panchayat elections reservation: पंचायत चुनाव पर ब्रेक से गांवों में तेज हुई सियासी सरगर्मी – political temperatures soar after high court decision on panchayat elections
राजधानी में पंचायत चुनाव पर ब्रेक लगने के बाद गांवों में सियासी सरगर्मियां अब और तेज होती नजर आ रही हैं। किसी को जोर जुगाड़ से आवंटित सीट खिसकने का भय सता रहा तो कोई गुपचुप अपनी संभावित पारी की तैयारी में जुट गया है। सभी की निगाहें पंचायत चुनाव के आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट के अगले आदेश पर टिकी हैं।
पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था लागू होने के बाद कार्यालयों में आईं 600 से अधिक आपत्तियों में लोगों ने अपने-अपने दावे पेश किए हैं। किसी ने पूर्व के चुनाव में सीट आवंटन का आईना अफसरों को दिखाया है तो किसी ने आजादी के बाद अभी तक मौका न दिए जाने की अर्जी लगाई है। अब आरक्षण के मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट के ब्रेक के बाद आपत्ति करने वालों को अगले आदेश में नई ऊर्जा का इंतजार है।
इसको लेकर ग्रामीण इलाकों में अटकलें लगने लगी हैं। वहीं आरक्षण लागू होने के बाद जिन लोगों को मौका मिलता नजर आ रहा है, वे अपने तर्कों से पूर्व निर्धारण को ही सही बता रहे हैं। बीकेटी से लेकर निगोहां और मलिहाबाद से लेकर माल तक सीटों के समीकरण को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं तैरने लगी हैं।
कार्यालयों में भी छाई सुस्ती, नहीं हुआ काम
कलेक्ट्रेट में शनिवार को अवकाश होने के नाते कामकाज ठप रहा है। हालांकि इससे पहले अवकाश के दिन भी पंचायत चुनाव से जुड़े कर्मचारी अपने दफ्तर में नजर आ रहे थे, लेकिन आरक्षण का मामला हाईकोर्ट चले जाने से अब कर्मचारी भी अगले आदेश पर नजर गड़ाए हैं। चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक कर्मचारी का कहना है कि अदालत के आदेश के बाद ही तस्वीर साफ होगी। उसी के आधार पर कामकाज भी तेज किया जाएगा।
अगले आदेश के इंतजार में सूची तैयार करने वाले
राजधानी की पंचायतों में संवेदनशील केंद्रों व बूथों की सूची तैयार करने वालों ने भी राहत की सांस ली है। अभी तक 115 अति संवेदनशील प्लस बूथों व 500 से अधिक संवदेनशील बूथों का निर्धारण छह ब्लॉकों में किया गया है, लेकिन दो ब्लॉक का ब्यौरा तैयार नहीं हो पाया है। ब्लॉक के एक अधिकारी ने बताया कि अब दो-तीन दिन का समय मिल गया है। अदालत के आदेश के बाद ही संवेदनशीलता के निर्धारण को अंतिम रूप दिया जाएगा। समीकरण बदल सकते हैं।