up panchayat chunav ke liye jari hui pariseeman suchi: यूपी पंचायत चुनाव के लिए जारी हुई परिसीमन सूची
हाइलाइट्स:
- यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 75 जिलों में परिसीमन की सूची जारी
- यूपी में परिसीमन की इस सूची में वॉर्डों की संख्या में कटौती कर दी गई है
- क्षेत्र पंचायत सदस्यों की संख्या कम करने के साथ ग्राम पंचायत वॉर्डों की संख्या में भी कटौती
पंचायतीराज विभाग की ओर से उत्तर प्रदेश (UP Panchayat Chunav) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 75 जिलों में परिसीमन की सूची जारी होने के बाद पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के बीच निराशा का माहौल बन गया है। दरअसल, सूबे के जिलों में पंचायती चुनाव के लिए जारी की गई परिसीमन सूची में वॉर्डों की संख्या घटा दी गई है। इतना ही नहीं, सूची में क्षेत्र पंचायत सदस्यों की संख्या कम करने के साथ ग्राम पंचायत वॉर्डों की संख्या में भी कटौती की गई है। इसकी वजह से कई दावेदारों को दूसरे क्षेत्र से ग्राम पंचायत चुनाव लड़ना पड़ सकता है या फिर नए सिरे से गठित होने वाली नई ग्राम पंचायत से चुनाव लड़ना पड़ सकता है।
परिसीमन के बाद वर्ष 2015 की तुलना में जिला पंचायतों के 3120 वॉर्डों की संख्या घटाकर 3051 कर दी गई है। वहीं, अगर ग्राम पंचायतों की बात करें तो सूबे में इस बार 59,074 की जगह 58,194 ग्राम पंचायतों में प्रधान चुने जाएंगे। परिसीमन के बाद वर्ष 2015 की तुलना में ग्राम पंचायत वॉर्डों की संख्या 7,44,558 से घटाकर 7,31,813 कर दी गई है। इसके तहत देखा जाए तो ग्राम पंचायतों में वॉर्डों की संख्या 12,745 कम की गई है। इसी तरह 77,801 क्षेत्र पंचायत सदस्यों की संख्या में कटौती करते हुए 75,805 की गई है।
जमानत राशि और चुनावी खर्च पर यह फैसला
पंचायतीराज विभाग की ओर से जारी की गई परिसीमन सूची के अनुसार, जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 3120 से कम करते हुए 3051 की गई है। 36 जिले ऐसे भी हैं, जहां जिला पंचायत सदस्यों की संख्या में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। वहीं 3 जिलों में तीन जिलों में वर्ष 2015 से अधिक जिला पंचायत सदस्य चुने जाने की बात सामने आ रही है। इसमें गोंडा में 51 की जगह 65, मुरादाबाद में 34 की जगह 39 और संभल में 27 की जगह 35 जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बार होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों से जमा कराई जाने वाली जमानत राशि और चुनावी खर्च की सीमा को न बढ़ाने का फैसला लिया है। आयोग के अनुसार, इस बार भी चुनाव खर्च की सीमा पिछले पंचायत चुनाव के बराबर होगी।
सांकेतिक तस्वीर