Signs of pain near the eye and nose after recovery from corona, it seems like Mucor Mycosis very dengerous disease | कोरोना से ठीक होने के बाद आंख-नाक के पास दर्द म्यूकॉरमाइकोसिस का संकेत

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2 घंटे पहले

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कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोग अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, डॉक्टर इस स्थिति को म्यूकॉरमाइकोसिस बता रहे हैं। - Dainik Bhaskar

कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोग अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, डॉक्टर इस स्थिति को म्यूकॉरमाइकोसिस बता रहे हैं।

देश में कोरोना के मरीज इलाज से ठीक हो रहे हैं। हालांकि, ऐसे लोगों में से कुछ को देखने और सांस लेने में दिक्कतें हो रही हैं। वे अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना भी कर रहे हैं। डॉक्टर इस स्थिति को म्यूकॉरमाइकोसिस बता रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के दौर में म्यूकॉरमाइकोसिस बड़ी चुनौती बनकर उभर सकता है। आइए जानते हैं कि म्यूकॉरमाइकोसिस के बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं।

म्यूकॉरमाइकोसिस क्या है?
म्यूकॉरमाइकोसिस फंगल इंफेक्शन (फफूंद संक्रमण) है। यह उन लोगों पर असर करता है, जिनकी किसी अन्य बीमारी का इलाज चल रहा है। इससे पर्यावरणीय रोगजनकों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। सांस लेने पर फंगल के कण फेफड़ों पर बुरा असर डालने लगते हैं। इससे गंभीर बीमारी हो सकती है।
म्यूकॉरमाइकोसिस के क्या लक्षण हैं?
आंखों, नाक के आसपास दर्द और लालपन, बुखार, सिरदर्द, कफ, सांस लेने में कठिनाई, रक्त के साथ उल्टी, मानसिक स्थिति में बदलाव म्यूकॉरमाइकोसिस के प्रमुख लक्षण हैं। इसके अतिरिक्त नाक बंद, गालों की हडि्डयों में दर्द, चेहरे के एक तरफ सूजन-दर्द, दांतों में दर्द-कमजोरी और छाती में दर्द आदि भी म्यूकॉरमाइकोसिस का संकेत देते हैं।
किन्हें म्यूकॉरमाइकोसिस होने का खतरा ज्यादा है?
अनियंत्रित डायबिटीज, स्टेरॉयड दवा के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता घटने, लंबे समय तक आईसीयू में रहने, को-मॉरबीडाइटिस (सह-बीमारी), प्रत्यारोपण और अस्वच्छता से म्यूकॉरमाइकोसिस का खतरा ज्यादा रहता है।
म्यूकॉरमाइकोसिस को किस तरह रोका जा सकता है?
म्यूकॉरमाइकोसिस को रोकने के उपाय हैं- धूल भरे स्थानों पर मास्क का इस्तेमाल करें। लंबे ट्राउजर, लंबी बांह वाली शर्ट, जूते, दस्ताने पहनकर ही मिट्‌टी, खाद या काई को छुए। निजी स्वच्छता का ध्यान रखें। शरीर को रगड़कर नहाएं।
म्यूकॉरमाइकोसिस होने पर क्या करें?
हायपरग्लायसेमिया को नियंत्रित करें। कोरोना और डायबिटीज से ठीक होने के बाद रक्त में ग्लुकोज के स्तर पर ध्यान देते रहें। उचित समय, मात्रा और तरीके से ही स्टेरॉयड दवा का सेवन करें। ऑक्सीजन थेरेपी के समय नमी के लिए स्वच्छ और बैक्टीरिया रहित पानी का इस्तेमाल करें। एंटीबॉयोटिक और एंटीफंगल्स का इस्तेमाल उचित तरीके से करना चाहिए।
म्यूकॉरमाइकोसिस होने पर क्या न करें?
म्यूकॉरमाइकोसिस संबंधी चेतावनी और लक्षणों के प्रति बेपरवाह न रहें। इलाज में देरी न करें। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि कोरोना ठीक होने के बाद म्यूकॉरमाइकोसिस होता ही है। घबराएं नहीं। डॉक्टर से सलाह लें।
म्यूकॉरमाइकोसिस की रोकथाम के लिए क्या करें?
डायबिटीज नियंत्रित करने के उपाय अपनाएं। मरीज की हालत स्थिर हो तो स्टेरॉयड दवा का इस्तेमाल बंद करें। बिना डॉक्टरी सलाह के फंगल रोधक दवाओं का इस्तेमाल न करें। शरीर में पानी की उचित मात्रा बनाए रखने के उपाय करते रहें।
म्यूकॉरमाइकोसिस में किन डॉक्टरों से सलाह ली जा सकती है?
म्यूकॉरमाइकोसिस में अलग- अलग लक्षणों पर माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट, इंटरनल मेडिसीन स्पेशलिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, कान-नाक-गला विशेषज्ञ, आंख के डॉक्टर, डेंटिस्ट, माइक्रोफेशियल या प्लास्टिक सर्जन और बायोकेमिस्ट से सलाह ली जा सकती है।

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