Mumbai Lockdown; UP Varanasi Migrant Workers LTT Station Update | Narendra Modi Sansadiya Kshetra Workers On Train Ticketing Black Marketing | ट्रेन में टॉयलेट के पास खाना खा रहे, गेट पर लटककर घंटों की यात्रा करने को मजबूर

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वाराणसीकुछ ही क्षण पहलेलेखक: अमित मुखर्जी

रास्ते खत्म कहां होते हैं… जिंदगी के सफर में,
मंजिल तो वहां है…जहां ख्वाहिशें थम जाएं…

मुंबई से लौट रहे लोगों की कहानी भी कुछ ऐसे ही है। रोज रोटी देने वाले शहर को छोड़कर घर तो पहुंचे, लेकिन ख्वाहिशों को पूरा करने वाली मंजिल कैसे मिलेगी? पलायन एक्सप्रेस के दूसरे पार्ट में हम मुंबई से बनारस, लखनऊ और पटना पहुंची ट्रेनों की बोगियों में दाखिल हुए।

इसे हमने दो हिस्सों में बांटा है। पहली रिपोर्ट मुंबई से प्रधानमंत्री मोदी की उम्मीदों के शहर बनारस पहुंचे लोगों पर है। और दूसरी रिपोर्ट लखनऊ और पटना से होगी, जहां हजारों की तादाद में रोज लोग आ रहे।

तो आज बनारस से रिपोर्ट…
मुंबई में कोरोना के मामले 20 दिन में 3670% तक बढ़ गए हैं। हालात बेहद खराब हैं। यूपी-बिहार के लोग लौट रहे हैं। मुंबई से आने वाली दो मुख्य ट्रेन महानगरी और स्पेशल ट्रेन लोकमान्य तिलक 01061 वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर आ चुकी हैं। 1500 से 1600 यात्रियों की क्षमता वाले इस ट्रेन में ढाई हजार से ज्यादा लोग सवार हैं।

भीड़ इतनी है कि लोग टॉयलेट के पास बैठ सफर करने को मजबूर हैं। खाना-पीना भी वहीं हो रहा है। अमित कुमार बिहार के रहने वाले हैं। मुंबई में एक कंपनी में सुपरवाइजर का काम करते थे। लॉकडाउन लगा तो कंपनी के सेठ ने कहा घर चले जाओ।

अमित बताने लगे कि स्टेशन ट्रेन पकड़ने आया तो टिकट ही नहीं मिला। साथ में परिवार के चार लोग भी थे। ऐसे में घर जाने के लिए हर एक आदमी पर दो-दो हजार रुपए का फाइन भरा। यानी कुल 8 हजार रुपए दिए तब जाकर ट्रेन में जगह मिली।

वहीं कुछ दूर पर दरभंगा के रहने वाले गफ्फार बैठे मिले। वेल्डिंग का काम करते हैं। इनकी भी वही कहानी। बताया कि मुंबई के स्टेशन पर टिकट ही नहीं मिल पा रहा था। आना था ताे ट्रेन में आ बैठे। टीटी आए तो सबको फाइन मारते गए। मैं खुद भुसावल में 1900 रुपया फाइन भरकर सफर कर पाया। मजबूरी है कि किसी भी तरह गांव वापस पहुंच जाएं। मुंबई में तो हालत बिल्कुल ठीक नहीं है।

मुंबई में लॉक होने से अच्छा है घर लौट जाएं

पटना के रहने वाले संजीव ने बताया कि वे गारमेंट्स फैक्ट्री में जॉब करते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण बारी-बारी से सभी फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं। इतना ही नहीं बाहर भी नहीं निकलने दिया जा रहा। अब ऐसे में तो केवल गांव लौटने का ही रास्ता बचा था, तो किसी तरह निकल आए।

कुछ ऐसी कहानी बक्सर के रहने वाले श्याम राय की है। वे मुंबई में टैक्सी चलाते थे। उन्होंने बताया कि मुंबई में मंदिर, पार्क, दुकानें सब कुछ बंद होने लगा है। अब ऐसे में कौन बाहर निकले? किसी भी तरह बाहर निकले तो पुलिस पीट रही है। तो धंधा कैसे होगा? लोग परेशान होकर अपने-अपने गांव भाग रहे हैं।

शहर में बैग सिलाई का धंधा करने वाले मोतिहारी के तबरेज भी घर लौट रहे हैं। बीते एक महीने से उनका धंधा बंद है। काम खोजने निकले तो पुलिस पीटती है। बड़ी मुश्किल से परिवार के साथ ट्रेन में टॉयलेट के पास बैठकर सफर कर रहे हैं।

लखनऊ के ADRM आरपी चतुर्वेदी ने बताया कि दो ट्रेनें महानगरी और स्पेशल लोकमान्य तिलक कैंट पर आ रही हैं। लेकिन मुंबई से लौटने वालों की संख्या पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। आगे ट्रेनें बढ़ेंगी या नहीं फिलहाल इसका कोई आदेश भी नहीं आया है।

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