protem speaker election in uttar pradesh: UP Politics: ‘बीजेपी नहीं करवाना चाहती चुनाव…’ विधान परिषद में सभापति के लिए शुरू हुआ सियासी संग्राम – the battle for the speaker in the upper house intensified, the sp alleges, the bjp does not want to conduct elections
हाइलाइट्स:
- समाजवादी पार्टी ने की सभापति का चुनाव करवाने की मांग
- समाजवादी पार्टी का आरोप, बीजेपी नहीं करवाना चाहती चुनाव
- बीजेपी बोली, प्रोटेम स्पीकर की व्यवस्था पहले से मौजूद
विधान परिषद के सभापति रमेश यादव की शुक्रवार की विदाई के साथ सभापति की कुर्सी को लेकर सियासी संग्राम शुरू हो गया है। रमेश यादव एसपी से एमएलसी थे और अब भी उच्च सदन में बहुमत एसपी के पास ही है। इसलिए एसपी चाहती है कि सभापति का चुनाव हो और उस पर वह अपनी मर्जी का चेहरा चुन सके।
वहीं, सत्तारुढ़ बीजेपी फिलहाल प्रोटेम स्पीकर के जरिए इस कुर्सी को अपने पाले में रखने की जुगत में है। इस मसले को लेकर एसपी राजभवन जाने की तैयारी में है।
SP ने की सभापति का चुनाव करवाने की मांग
एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अध्यक्षता में सोमवार को पार्टी के विधान परिषद सदस्यों की बैठक हुई। एसपी सदस्यों ने आशंका जताई कि बीजेपी विधान परिषद में लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की साजिश कर रही है। वह सभापति के पद पर वरिष्ठतम सदस्य के चयन को दरकिनार कर अपने मनोनीत प्रोटेम सभापति के जरिए सदन चलाना चाहती है।
बीजेपी के पास विधान परिषद में न तो बहुमत है और न हीं वरिष्ठतम कार्यकाल का कोई सदस्य है। एसपी ने सभापति का चुनाव करवाने की मांग की है। पार्टी राज्यपाल से मिलकर इस मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग करेगी।
बीजेपा लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है। सरकार अपना प्रोटेम स्पीकर थोपना चाहती है। सदन में हमारा बहुमत है। सभापति का चुनाव होना चाहिए।
राजेंद्र चौधरी, एमएलसी व राष्ट्रीय सचिव एसपी
14 साल से कोई उपसभापति नहीं
रमेश यादव का एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद सभापति की कुर्सी खाली हो गई है। सदन में कोई उपसभापति भी नहीं है। बीजेपी से पहले एसपी-बीएसपी सरकारों ने भी उपसभापति के चुनाव से परहेज ही किया। आखिर बार उपसभापति के तौर पर कुंवर मानवेंद्र सिंह 6 अगस्त 2004 को चुने गए थे और 5 मई 2006 तक इस पद पर रहे थे।
इससे पहले भी 14 साल तक कुर्सी खाली थी। नित्यानंद स्वामी 1992 में उपसभापति बने थे। फिलहाल, इस समय सदन के कार्यों के संचालन के लिए चेहरे का चयन जरूरी हो गया है। 18 फरवरी से बजट सत्र शुरू होगा।
प्रोटेम स्पीकर बदलने की तैयारी में बीजेपी!
सूत्रों का कहना है कि बीजेपी फिलहाल प्रोटेम स्पीकर नामित कर सदन चलाने की तैयारी में है। बीजेपी का तर्क है कि प्रोटेम स्पीकर के जरिए सदन पहले भी चलता रहा है।
वरिष्ठतम सदस्य को सभापति बनाए जाने की बाध्यता नहीं है। नियमों में भी इसका उल्लेख नहीं है। पार्टी शिव प्रसाद गुप्ता, कुंवर मानवेंद्र सिंह सहित दूसरे नाम गिना रही है, जो वरिष्ठतम सदस्य न होते हुए भी स्पीकर बने थे।
जो संविधान प्रदत्त और नियम संगत है, भाजपा वही करेगी। गैर भाजपाई सरकारों में भी गैर-वरिष्ठतम सदस्य प्रोटेम स्पीकर बने हैं। वरिष्ठतम सदस्य ही प्रोटेम बनेगा, ऐसी कोई लिखित व्यवस्था नहीं है।
दिनेश शर्मा, नेता सदन, विधान परिषद
संख्या का खेल साधने की तैयारी
सभापति का चुनाव राज्यपाल की ओर से तय तारीख पर होता है। अगर अभी चुनाव करवाया जाता है तो एसपी का पलड़ा भारी रहेगा। 100 सदस्यीय सदन में एसपी के पास 51 सदस्य हैं। बीजेपी के पास इस समय 32 सदस्य ही हैं।
विधान परिषद में अल्पमत में होने के चलते सरकार को अपने कानून पास करवाने के लिए प्रभाव बनाए रखना जरूरी होता है। ऐसे में सभापति की भूमिका अहम हो जाती है। इसलिए, बीजेपी संख्या का खेल सधने तक प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करा संतुलन साधने के मूड में है।
विधान परिषद की निकाय कोटे के 36 सीटों का कार्यकाल अगले साल मार्च में समाप्त होगा। चूंकि, उस समय विधानसभा चुनाव भी होंगे, इसलिए एमएलसी की 36 सीटों पर चुनाव दिसंबर-जनवरी में हो जाएंगे।
भाजपा को उम्मीद है कि इन चुनावों में वह संख्या बल को बहुमत के पार ले जाने में सफल होगी और तब अपना सभापति बनाना आसान हो जाएगा।
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