Important Order Of Punjab And Haryana High Court On Divorce Case – जब साथ रहने की संभावनाएं खत्म हो जाएं तो तलाक के लिए कानूनन इंतजार की जरूरत नहीं: हाईकोर्ट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Sat, 23 Jan 2021 12:55 AM IST

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

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दंपती द्वारा तलाक के लिए छह माह की कानूनन साथ रहने की समय सीमा माफ करने की याचिका को स्वीकार करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को तलाक पर तुरंत फैसला लेने का आदेश दिया है। हिसार निवासी दंपती ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि उनका विवाह 2018 में हुआ था और 2019 तक दोनों साथ रहे। इस दौरान उनके बीच संबंध बिगड़ने लगे और हालात ऐसे हो गए कि अब वह साथ नहीं रहना चाहते हैं। 

दोनों सहमति से तलाक चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने अक्तूबर 2020 को हिसार की फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका भी दाखिल की है। याची ने बताया कि फैमिली कोर्ट ने दोनों के बयान दर्जकर सुनवाई अप्रैल 2021 तक टाल दी है। 

फैमिली कोर्ट में दंपती ने तलाक के लिए छह माह साथ रहने की शर्त हटाने के लिए अर्जी भी दाखिल की थी। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। महिला ने बताया कि अब वह किसी और से विवाह करना चाहती है लेकिन तलाक न मिलने के चलते वह ऐसा नहीं कर पा रही है। फैमिली कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद अब उनके पास हाईकोर्ट के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। 

हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि पति-पत्नी के बीच अलगाव पैदा हो गया हो और भविष्य में उनके प्रेम से रहने की संभावना खत्म हो गई हो तो इस अवधि से छूट दी जा सकती है। साथ ही अदालत को यदि यह लगे कि कुछ दिन साथ रहने से रिश्तों की खटास समाप्त नहीं होगी तो ऐसे में छह माह की अवधि का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

दंपती द्वारा तलाक के लिए छह माह की कानूनन साथ रहने की समय सीमा माफ करने की याचिका को स्वीकार करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट को तलाक पर तुरंत फैसला लेने का आदेश दिया है। हिसार निवासी दंपती ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि उनका विवाह 2018 में हुआ था और 2019 तक दोनों साथ रहे। इस दौरान उनके बीच संबंध बिगड़ने लगे और हालात ऐसे हो गए कि अब वह साथ नहीं रहना चाहते हैं। 

दोनों सहमति से तलाक चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने अक्तूबर 2020 को हिसार की फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका भी दाखिल की है। याची ने बताया कि फैमिली कोर्ट ने दोनों के बयान दर्जकर सुनवाई अप्रैल 2021 तक टाल दी है। 

फैमिली कोर्ट में दंपती ने तलाक के लिए छह माह साथ रहने की शर्त हटाने के लिए अर्जी भी दाखिल की थी। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। महिला ने बताया कि अब वह किसी और से विवाह करना चाहती है लेकिन तलाक न मिलने के चलते वह ऐसा नहीं कर पा रही है। फैमिली कोर्ट से अर्जी खारिज होने के बाद अब उनके पास हाईकोर्ट के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है। 

हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि पति-पत्नी के बीच अलगाव पैदा हो गया हो और भविष्य में उनके प्रेम से रहने की संभावना खत्म हो गई हो तो इस अवधि से छूट दी जा सकती है। साथ ही अदालत को यदि यह लगे कि कुछ दिन साथ रहने से रिश्तों की खटास समाप्त नहीं होगी तो ऐसे में छह माह की अवधि का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

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