BSP chief Mayawati: मायावती ने किया ऐलान- गठबंधन से हमेशा नुकसान, यूपी-उत्तराखंड में अकेले लड़ेंगे चुनाव – bsp chief mayawati declares bsp contest election alone in up and uttarakhand
हाइलाइट्स:
- बीएसपी प्रमुख मायावती ने ऐलान किया है कि अगले विधानसभा चुनावों बीएसपी किसी से अलायंस नहीं करेगी
- मायावती का कहना है कि हमें गठबंधन से नुकसान होता है, उन्होंने यह भी कहा कि यूपी में आगामी चुनाव में बीएसपी की जीत तय है
- मायावती ने केंद्र सरकार से किसानों की सभी मांगे मानने की अपील की है, मायावती का शुक्रवार को 65वां जन्मदिन भी है
बीएसपी प्रमुख मायावती ने ऐलान किया है कि अगले विधानसभा चुनावों बीएसपी किसी से अलायंस नहीं करेगी। मायावती का कहना है कि हमें गठबंधन से नुकसान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपी में आगामी चुनाव में बीएसपी की जीत तय है। मायावती ने केंद्र सरकार से किसानों की सभी मांगे मानने की अपील की है। मायावती का शुक्रवार को 65वां जन्मदिन भी है।
इस मौके पर प्रेस से बात करते हुए बीएसपी प्रमुख ने कोरोना वैक्सीन लगाने की शुरुआत करने का स्वागत किया है लेकिन साथ ही केंद्र और राज्य सरकार से अनुरोध किया है वे सभी को फ्री में कोरोना वैक्सीन मुहैया कराएं। मायावती ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो यूपी में हर नागरिक को मुफ्त में कोरोना की वैक्सीन लगेगी।
जनकल्याणकारी दिवस के रूप में मना रहीं जन्मदिन
एक दिन पहले मायावती ने समर्थकों से अपने जन्मदिन को ‘जनकल्याणकारी दिवस’ के रूप में मनाने की अपील की थी। उन्होंने ट्वीट किया था, ‘कल 15 जनवरी सन् 2021 को मेरा 65वाँ जन्मदिन है जिसे पार्टी के लोग कोरोना महामारी के चलते व इसके नियमों का पालन करते हुए पूरी सादगी से तथा इससे पीड़ित अति-ग़रीबों व असहायों आदि की अपने सामर्थ के अनुसार मदद करके ‘जनकल्याणकारी दिवस‘ के रूप में मनाएं तो बेहतर।’
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यूपी में 2022 में होने हैं विधानसभा चुनाव
साल 2022 में यूपी में चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हाल ही में सुहेलदेव राष्ट्रीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी से लखनऊ में मुलाकात की।
दांव पर माया की सियासत
सियासी जानकारों का कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में शून्य, 2017 के विधानसभा चुनाव में 20 से भी नीचे पहुंचने के बाद 2019 में सपा के साथ के बाद दहाई सीट जीतने वाली मायावती की सियासत एक बार फिर डांवाडोल है। सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में मदद के बदले विधान परिषद चुनाव में साथ की अघोषित जमीन पहले से तय थी। इसे ‘बदले’ की शक्ल देकर मायावती ने अपना ही खेल बिगाड़ लिया। सत्ता का साथ उन्हें विपक्ष के तौर पर लड़ाई में कमजोर कर रहा है।
मायावती (फाइल फोटो)