UP Panchayat Chunav 2021: With no Ethnic survey conduct after 2015 Delimitation will become obstacle in UP Panchayat Chunav: गांवों से शहरों में पहुंची बड़ी आबादी, यूपी पंचायत चुनाव में परिसीमन बनेगा रोड़ा
हाइलाइट्स:
- लखनऊ समेत 53 जिलों में परिसीमन के बाद बदले जातीय समीकरण, पंचायत चुनाव में बनेंगे रोड़ा
- नगर निकायों में पंचायतों का बड़ा हिस्सा आ जाने से एससी, एसटी और ओबीसी की संख्या बदली
- परिसीमन पूरा होने के बाद रैपिड सर्वे न होने से पंचायतों में अब भी पुराने समीकरण की तस्वीर
यूपी पंचायत चुनाव के मद्देनजर शासन ने आरक्षण की नीति जारी कर दी है, लेकिन लखनऊ समेत 53 जिलों में परिसीमन के बाद बदले जातीय समीकरण इसमें रोड़ा बन सकते हैं। नगर निकायों की सीमा में पंचायतों का बड़ा हिस्सा आ जाने से वहां रहने वाले एससी, एसटी और ओबीसी की संख्या बदल चुकी है। परिसीमन पूरा होने के बाद रैपिड सर्वे न होने से पंचायतों में अब भी पुराने जातिगत समीकरण की तस्वीर ही सामने आ रही है।
प्रदेश के विभिन्न जिलों में बीते साल करवाए गए परिसीमन के बाद पंचायतें घटी हैं और मतदाताओं की संख्या भी बदली है। गोंडा, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर और संभल में पूर्ण, जबकि लखनऊ समेत 49 अन्य जिलों में आंशिक परिसीमन किया गया है। इसके बाद कई पंचायतों के मतदाता ग्रामीण इलाकों से नगरीय निकायों में स्थानांतरित हुए हैं।
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2015 के बाद से नहीं हुआ जातीय सर्वे
इससे पंचायतों के जातीय समीकरण भी बदल चुके हैं। पंचायत में सामान्य, एससी और ओबीसी के लोगों की संख्या के निर्धारण के लिए साल 2015 में रैपिड सर्वे करवाया गया था। उसके बाद से जनगणना विभाग ने जातीय सर्वेक्षण नहीं करवाया है। लिहाजा, परिसीमन के बाद के बदले परिवेश में रैपिड सर्वे के बिना पंचायतों में आरक्षण नीति के निर्धारण की प्रक्रिया में मुश्किल हो सकती है।
160 राजस्व गांवों में अधूरे बदलाव
परिसीमन के दौरान प्रदेश के 160 राजस्व गांवों के कुछ हिस्से नगरीय निकाय में स्थानांतरित हुए हैं। इन गांवों का आधा-अधूरा हिस्सा ही नगरीय निकाय में आया है। ऐसे में पंचायतों में रहने वालों की संख्या भी खासी प्रभावित हुई है। वहीं, लखनऊ के आठों विकासखंडों में पुनरीक्षण के बाद 10,57,702 मतदाता सामने आए हैं।
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पंचायतों की संख्या घटकर 494 रह गई
2015 में 9,95,213 मतदाता बढ़े थे, लेकिन इस बार परिसीमन की वजह से 62,489 मतदाता ही बढ़े हैं। पंचायतों की संख्या भी 598 से घटकर 494 रह गई है और पंचायत चुनाव के लिए 626 मतदान केंद्र और 1748 बूथ बनाए गए हैं।
लखनऊ के सीडीओ प्रभाष कुमार कहते हैं कि पंचायतों में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए हर पहलू पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इसमें जो भी अड़चने आएंगी, उसका समाधान समन्वय से निकाला जाएगा।
सांकेतिक तस्वीर