uttar pradesh panchayat election reservation: Uttar pradesh panchayat election 2021: yogi adityanath formula of panchayat chunav reservation changed by allahabad high court: पंचायत चुनाव में आरक्षण, हाई कोर्ट ने बदला योगी आदित्यनाथ सरकार का फैसला

हाइलाइट्स:

  • उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की सीटों पर आरक्षण का योगी सरकार का फैसला बदला
  • हाई कोर्ट ने साल 1995 की बजाय 2015 को बेस मानकर आरक्षण तय करने का दिया निर्देश
  • हाई कोर्ट के निर्देश के बाद आरक्षण की स्थिति में बदलाव तय, 25 मई तक होंगे पंचायत चुनाव

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव (Uttar Pradesh Panchayat Chunav 2021) के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार की आरक्षण व्यवस्था को इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने बदल दिया है। योगी सरकार ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के फैसले को पलटते हुए 1995 के आधार पर सीटों के आवंटन के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करने का फैसला किया था। इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर फैसला देते हुए सोमवार को कोर्ट ने साल 2015 को आधार बनाकर आरक्षण प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है।

ऐसे में योगी सरकार द्वारा बीते दिनों जारी किए गए आरक्षण की स्थिति का बदलना तय है। योगी सरकार की आरक्षण सूची में पंचायत की ऐसी सीटें भी शामिल हो गई थीं, जहां बीते 25 साल में कभी आरक्षण लागू नहीं हुआ था। कोर्ट का आदेश आने के बाद अब नए सिरे से आरक्षण प्रणाली लागू होगी।

अखिलेश यादव सरकार की क्या थी व्यवस्था
अखिलेश यादव की सरकार ने साल 2015 के पंचायत चुनाव के पहले पंचायती राज नियमावली में 10वां संशोधन किया था, जिसके तहत ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों के पहले की आरक्षण प्रणाली को शून्य कर दिया था और नए सिरे से साल 2011 की जनगणना के आधार पर सीटें तय की गई थीं। इस नियमावली के आधार पर साल 2021 की जनगणना होने के बाद 2025 में होने वाले पंचायत चुनाव में इस साल (2021) के और साल 2015 के आरक्षण की स्थिति को शून्य कर दिया जाएगा।

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क्या थी योगी आदित्यनाथ की आरक्षण की व्यवस्था
योगी सरकार ने पंचायती राज नियमावली में 11वां संशोधन कर अखिलेश यादव सरकार के फैसले को बदल दिया था। योगी ने 10वां संशोधन समाप्त करते हुए पंचायत की सीटों के लिए आरक्षण प्रणाली लागू करने में साल 1995 को आधार बनाया। इस फॉर्म्युले के तहत साल 1995 से जो सीटें कभी भी आरक्षण के दायरे में नहीं आई थीं, उन्हें भी आरक्षित कर दिया गया था। इस प्रणाली के मुताबिक, पंचायत की जो सीटें 1995 से लेकर साल 2015 तक कभी भी अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, उन्हें इस बार उसी वर्ग के लिए आऱक्षित नहीं किया जाएगा।

रोटेशन प्रणाली की खास बात
इस रोटेशन प्रणाली की सबसे प्रमुख बात ये है कि जो भी ग्राम या जिला पंचायत किसी वर्ग के लिए कभी आरक्षित नहीं हुई थीं, उन्हें पहले उसी कैटिगरी के लिए आरक्षित किया जाएगा। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस प्रणाली को हटाकर पुरानी पद्धति से ही सीटों के बंटवारे में आरक्षण व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया है।

क्या है मामला
बता दें कि अजय कुमार ने प्रदेश सरकार के 11 फरवरी 2011 के शासनादेश पर हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। तर्क दिया कि इस बार की आरक्षण सूची 1995 के आधार पर जारी की जा रही है, जबकि 2015 को आधार वर्ष बनाकर आरक्षण सूची जारी की जानी चाहिए, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतिम आरक्षण सूची जारी किए जाने पर रोक लगा दी थी।

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250 लोगों ने जताई थी आपत्ति
सीटों के आरक्षण की सूची पर 250 लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई गई थी। जिला पंचायत राज अधिकारी अनिल कुमार त्रिपाठी का कहना है कि फिलहाल अभी आरक्षण की अंतिम सूची के प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है। सोमवार को हाई कोर्ट के फैसले के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

25 मई तक चुनाव पूरा कराने का आदेश
हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण की नई लिस्ट आएगी। यूपी की योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के सामने आरक्षण में खामी होने की बात स्वीकार कर ली है। ऐसे में हाईकोर्ट ने साल 2015 के आधार पर आरक्षण लागू कर पंचायत चुनाव कराने का आदेश दिया है। वहीं सरकार को 15 मई के बजाय 25 मई तक पंचायत चुनाव पूरा कराने का आदेश दिया गया है।

योगी आदित्यनाथ

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