up panchayat election 2021: UP Panchayat Election: यूपी पंचायत चुनाव में 33 प्रतिशत से ज्यादा चुनी जाएंगी महिला ब्लॉक प्रमुख – more than 33 percent block head women in up panchayat election

हाइलाइट्स:

  • यूपी में 826 ब्लॉक प्रमुख चुने जाने हैं, महिलाओं के लिए न्यूनतम 33 प्रतिशत भागीदारी
  • 273 होनी चाहिए थीं महिलाएं, लेकिन चुनी जाएंगी 300 महिला ब्लॉक प्रमुख
  • जिला पंचायत अध्यक्षों की 75 सीटों में से 25 सीटें महिलाओं के खाते में जाएंगी

लखनऊ
भले ही महिलाओं के लिए आरक्षण केवल 33 प्रतिशत का हो, लेकिन इस बार यूपी पंचायत चुनाव में महिला ब्लॉक प्रमुखों की संख्या इससे पार हो जाएगी। आधी आबादी की भागीदारी तय आरक्षण के मानकों को पीछे छोड़ते हुए ज्यादा की तरफ बढ़ेगी। यही नहीं, अभी महिला ग्राम प्रधानों की फाइनल सूची नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है इनकी संख्या भी 33 प्रतिशत के मानक को पीछे छोड़ देगी।

उत्तर प्रदेश में कुल 826 ब्लॉक प्रमुख चुने जाने हैं। महिलाओं के लिए न्यूनतम 33 प्रतिशत भागीदारी का प्रतिबंध है। इस हिसाब से देखा जाए तो यह संख्या 273 होनी चाहिए थी। लेकिन जो आरक्षण सूची शासन ने जारी की है, उसके मुताबिक कुल 300 महिला ब्लॉक प्रमुख चुनी जाएंगी। यानी, न्यूनतम मानक से 27 ज्यादा।

33 फीसदा मानक बढ़ा
जिला स्तर पर महिला ग्राम प्रधानों की संख्या भी जब तय की जा रही है तो वह भी 33 प्रतिशत के मानक से बढ़ रही है। 26 मार्च को शासन से अंतिम सूची आने के बाद प्रदेश में महिला प्रधानों की कुल संख्या की जानकारी मिल सकेगी। हालांकि जिला पंचायत अध्यक्षों में महिलाओं की संख्या 25 होगी, जोकि 33 प्रतिशत के मानक पर ही है।

तो यह है कारण
पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से जब महिला आरक्षण का 33 प्रतिशत के मानक से ज्यादा होने के बारे में पूछा गया तो वह बोले, महिलाओं के आरक्षण का प्रतिबंध न्यूनतम है। यानी, यह आरक्षित संख्या 33 प्रतिशत से कम नहीं हो सकती है। एक तरफ कुल सीटों में से 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित होनी चाहिए। वहीं, हर जाति के लिए भी जब महिला सीटें आरक्षित की जाती हैं तो उनकी संख्या भी 33 प्रतिशत कम से कम होनी चाहिए।

50 फीसदी से अधिक आरक्षण
अगर सीटों की संख्या पूर्णांक में नहीं होती है तो उसमें एक का इजाफा कर दिया जाता है। इस तरह से हर जाति में ही कमोबेश सीटों की संख्या 33 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ती जाती है। इस तरह से जब भी आखिरी आंकड़ा निकलता है तो वह 33 प्रतिशत से ज्यादा ही होता है। मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि महिलाओं के आरक्षण को 50 फीसदी से अधिक होने वाले आरक्षण के दायरे में भी नहीं रखा जाता है।

लेकिन यहां सवाल भी हैं
जानकार विभाग का यह तर्क तो उचित मानते हैं कि महिला सीटों के आरक्षण में 33 प्रतिशत के आधार पर अगर पूर्णांक के बाद कुछ भी शेष बचता है तो एक सीट का इजाफा कर दिया जाता है। जैसे, जिला पंचायत अध्यक्षों की 75 सीटों में से 33 प्रतिशत देखा जाए तो यह संख्या 24.75 होती है। अब ऐसे में 25 सीटें महिलाओं के खाते में जाएंगी। लेकिन ब्लॉक प्रमुखों की जो सूची जारी की गई है, उसपर कुछ सवाल भी हैं। मसलन, अनुसूचित जनजातियों के लिए पांच सीटें आरक्षित हैं।

अनुसूचित जातियों के लिए 86 सीटें
ऐसे में 33 प्रतिशत के हिसाब से 2.75 सीट होनी चाहिए थीं, यानी इन्हें बढ़ाकर तीन सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किया जा सकता था। लेकिन शासन ने महिलाओं को चार सीट का आरक्षण दिया है। अनुसूचित जातियों के लिए 171 सीटें आरक्षित हैं। 33 प्रतिशत के हिसाब से महिलाओं के खाते में 57 सीटें होनी चाहिए थीं, लेकिन शासन ने 86 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की हैं।

223 सीटों में 97 आरक्षित
इसी तरह पिछड़ा वर्ग की 223 सीटों में से महिलाओं के खाते में 74 सीटें होनी चाहिए थीं, लेकिन महिलाओं के लिए 97 सीटें आरक्षित की गई हैं। वहीं, सामान्य वर्ग के लिए बचीं 401 सीटों में 33 प्रतिशत के हिसाब से 133 सीटें महिलाओं के खाते में जानी चाहिए थीं, लेकिन शासन ने सामान्य महिलाओं के लिए 113 सीटें ही आरक्षित की हैं।

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