Today, Chhattisgarh government is celebrating the centenary of Mahatma Gandhi’s first Raipur visit, the former officer wrote on the blog – Gandhi Wangmay does not even mention it | आज महात्मा गांधी की पहली रायपुर यात्रा की शताब्दी मना रही है सरकार, पूर्व अफसर ने ब्लॉग पर लिखा-गांधी वांग्मय में तो इसका उल्लेख ही नहीं

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मिथिलेश मिश्र, रायपुर22 मिनट पहले

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संस्कृति विभाग ने गांधी जी की पहली रायपुर यात्रा की 100वीं वर्षगांठ पर यह आयोजन किया है।

  • छत्तीसगढ़ का संस्कृति विभाग कर रहा है शताब्दी वर्ष आयोजन
  • सरकार का दावा 20-21 दिसम्बर 1920 को पहली बार रायपुर आए थे बापू

छत्तीसगढ़ में सरकार आज महात्मा गांधी की पहली रायपुर यात्रा का शताब्दी वर्ष मना रही है। संस्कृति विभाग ने पुरातत्व एवं संस्कृति संचालनालय परिसर में समारोह का आयोजन किया है। इसमें बापू की प्रिय प्रार्थनाओं के साथ उनके रायपुर, धमतरी और कंडेल प्रवास की स्मृतियों को साझा करने की कोशिश होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समारोह को संबोधित करेंगे।

इस बीच संस्कृति विभाग के पूर्व संयुक्त संचालक राहुल कुमार सिंह ने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी के पहले रायपुर प्रवास की तारीखों पर कुछ सवाल खड़े किये हैं। राहुल कुमार सिंह का कहना है, 1920 में महात्मा की जिस यात्रा की बात की जा रही है, उसका संपूर्ण गांधी वांग्मय में तो कोई उल्लेख ही नहीं है।

राहुल कुमार सिंह लिखते हैं, संपूर्ण गांधी वांग्मय खंड-19 में नवम्बर 1920 से अप्रेल 2021 तक का विवरण दर्ज है। इसमें 16 दिसम्बर 1920 को ढाका से कलकत्ता जाते हुए मगनलाल गांधी को लिखे पत्र की जानकारी है।

पेज 143 पर 18 दिसम्बर को नागपुर की सार्वजनिक सभा में दिए गए भाषण की जानकारी है। पेज 151 पर 25 दिसम्बर को नागपुर की बुनकर परिषद में भाषण और पेज 152 पर नागपुर के अन्त्यज सम्मेलन में भाषण की बात है।

राहुल सिंह ने गांधी शांति प्रतिष्ठान और भारतीय विद्या भवन की ओर से 1971 में प्रकाशित सीबी दलाल की पुस्तक “गांधी-1915 से 1948 ए डीटेल्ड क्रोनोलॉजी” का भी हवाला दिया है। इस पुस्तक के मुताबिक 17 दिसम्बर को गांधी जी ने कलकत्ता छोड़ा। 18 दिसम्बर को नागपुर की एक आमसभा में रहे। 19 से 23 दिसम्बर तक वे नागपुर में ही रहे। 31 दिसम्बर तक वे नागपुर के विभिन्न आयोजनों में शामिल होते रहे।

इसी लेख में राहुल कुमार सिंह ने बापू के रायपुर प्रवास की तारीखों पर सवाल उठाए हैं।

इसी लेख में राहुल कुमार सिंह ने बापू के रायपुर प्रवास की तारीखों पर सवाल उठाए हैं।

राहुल सिंह 1971 में प्रकाशित केपी गोस्वामी की “महात्मा गांधी ए क्रोनोलॉजी” में भी ऐसे ही तथ्यों का जिक्र करते हैं। सन 1920 में गांधीजी के छत्तीसगढ़ आने के संबंध में पं. सुंदरलाल शर्मा द्वारा किया गया कोई उल्लेख नहीं मिलता।

गांधीजी की आत्मकथा के अंतिम दो शीर्षकों में से “असहयोग का प्रवाह” में सितंबर 1920 के कलकत्ता के विशेष अधिवेशन का तथा दिसंबर 1920 के नागपुर वार्षिक अधिवेशन का उल्लेख है। यहां भी छत्तीसगढ़ का कोई उल्लेख नहीं हुआ है।

राहुल सिंह ने कहा, पं. सुंदरलाल शर्मा और महात्मा गांधी, दोनों ने 1920 में गांधीजी के छत्तीसगढ़ प्रवास का उल्लेख नहीं किया है, ऐसे में संदेह की गुंजाइश रह जाती है।

राहुल कुमार सिंह ने उम्मीद जताई कि इस संबंध में कुछ और पुष्ट जानकारी प्राप्त हो सकेगी, जिससे इतिहास के पन्नों में स्पष्टीकरण हो सके। अन्यथा यह मान लेना होगा कि 1920 में छत्तीसगढ़ में गांधीजी का सघन आह्वान हुआ। जिसके चलते समय बीत जाने पर वे साकार सत्य की तरह साक्षात हो गए।

यहां से निकली बापू के 1920 में रायपुर प्रवास की बात

राहुल सिंह के मुताबिक रविशंकर शुक्ल की 79वीं जन्मतिथि पर 1955 में “रविशंकर शुक्ल अभिनंदन ग्रंथ” में संभवत: पहली बार 1920 में गांधीजी के रायपुर आने का उल्लेख हुआ है।

इस पुस्तक के जीवनी खंड में रविशंकर शुक्ल के मेरे कुछ संस्मरण शीर्षक लेख में उल्लेख आया है कि 1920 में कलकत्ता के विशेष कांग्रेस अधिवेशन से पूर्व महात्मा गांधी रायपुर आये थे।

इस पंक्ति के अलावा गांधीजी के रायपुर प्रवास का कोई विवरण यहां नहीं दिया गया है। इसके पश्चात दिसम्बर 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन का उल्लेख आता है। इस संस्मरण में गांधीजी की 1933 की यात्रा का विवरण पर्याप्त विस्तार से है।

जनसंपर्क के प्रकाशनों में रायपुर-धमतरी प्रवास का विवरण

  • मध्य प्रदेश संदेश के 30 जनवरी 1988 अंक में 20-21 दिसम्बर 1920 को गांधी जी के रायपुर-धमतरी और कंडेल जाने का जिक्र है।
  • अक्टूबर 1969 में सूचना तथा प्रकाशन संचालनालय द्वारा मध्य प्रदेश और गांधीजी में बताया गया कि 1920 में गांधीजी की रायपुर और धमतरी यात्रा में मौलाना शौकत अली उनके साथ थे।
  • रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर से 1970 में प्रकाशित छत्तीसगढ़ में गाँधीजी में 20 दिसम्बर 1920 को बापू के रायपुर आने का उल्लेख है। हालांकि इसी पुस्तिका में प्रकाशित अपने लेख में प्रसिद्ध गांधीवादी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केयूर भूषण ने कंडेल सत्याग्रह का विवरण दिया है, लेकिन गांधीजी के वहां जाने की बात नहीं लिखी है।
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पिछले वर्ष सरकार ने धमतरी के कंडेल गांव से रायपुर के गांधी मैदान तक पदयात्रा का आयोजन किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस पदयात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों में शामिल हुए थे।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर पिछले वर्ष सरकार ने धमतरी के कंडेल गांव से रायपुर के गांधी मैदान तक पदयात्रा का आयोजन किया था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस पदयात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों में शामिल हुए थे।

कंडेल सत्याग्रह से जुड़ा है बापू के रायपुर आगमन का किस्सा

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जनसंपर्क और पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित पुस्तिकाओं-पत्रिकाओं में बापू के रायपुर-धमतरी आगमन का किस्सा कंडेल सत्याग्रह की पृष्ठभूमि से जुड़ा है।

अधिकतर विवरणों के मुताबिक 1917 में धमतरी के कंडेल गांव में नहर सत्याग्रह शुरू हुआ। पं. सुंदरलाल शर्मा इसके सूत्रधार थे। आंदोलन के नेताओं ने गांधीजी से पत्र व्यवहार किया। 1920 में गांधी जी के बंगाल दौरे के समय सुंदरलाल शर्मा उन्हें बुलाने गए।

गांधीजी और मौलाना शौकत अली 20 दिसम्बर को पहली बार रायपुर पहुंचे। रायपुर में अभी जहां गांधी चौक है, वहां एक सभा में उनका भाषण हुआ। वहां से गांधीजी मोटर से धमतरी और कुरूद गए। गांधीजी के आगमन की सूचना मिलने के बाद सरकार ने सत्याग्रहियों की मांग मान ली थी।

धमतरी के जामू हुसैन के बाड़े में उनका कार्यक्रम हुआ। सभा में बहुत भीड़ थी। उमर सिंह नाम के एक कच्छी व्यापारी ने उन्हें कंधे पर बिठाकर मंच तक पहुंचाया। बाजीराव कृदत्त ने जनता की ओर से गांधीजी को 501 रुपए की थैली भेंट की।

विवरण है कि धमतरी से गांधीजी कंडेल भी गये। धमतरी में गांधीजी के ठहरने की व्यवस्था नारायणराव मेघावाले के निवास पर थी। रात्रि विश्राम के बाद गांधीजी रायपुर वापस आए। यहां उन्होंने महिलाओं की एक सभा का संबोधित किया। इस दौरान करीब 2 हजार रुपए मूल्य आभूषण और रुपए भेंट किए गए। इसके बाद बापू नागपुर रवाना हो गए।

क्यों महत्वपूर्ण है गांधी वांग्मय

महात्मा गांधी के लेखों, पत्रों, डायरियों, भाषणों और कार्यक्रमों के समग्र प्रकाशन के लिए भारत सरकार ने एक ग्रंथमाला का प्रकाशन किया है। हिंदी में यह 97 खंडों में संपूर्ण गांधी वांग्मय नाम से प्रकाशित हुई है। इसे महात्मा गांधी संबंधी जानकारी का सबसे विश्वसनीय स्रोत माना जाता है।

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