यूपी कांग्रेस को ‘संजीवनी’ देने में लगीं प्रियंका, कर रहीं एक्सपेरिमेंट्स
हाइलाइट्स:
- प्रियंका गांधी के हाथों चुनी गई प्रदेश कांग्रेस कमेटी की टीम कर रही यूपी के लिए काम
- दो दशक से भी अधिक समय से दूर रही कांग्रेस यूपी में अपना पुराना वजूद पाने की कोशिश में
- प्रियंका गांधी यूपी में लगातार राजनीतिक, संगठन की मजबूती और तैयारी के लिए दे रहीं हैं समय
उत्तर प्रदेश की सत्ता से दो दशक से भी अधिक समय से दूर रही कांग्रेस अपना पुराना वजूद पाने की कोशिश कर रही है। यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलीम शेरवानी, अन्नू टंडन और अंकित परिहार की वीरानी में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव प्रियंका गांधी और उनके हाथों चुनी गई प्रदेश कांग्रेस कमेटी की टीम राज्य में काम कर रही है। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है, यह एक प्रकार से यूपी के राजनीतिक रेगिस्तान में फूल खिलाने जैसा है।
कांग्रेस के नेता निजी तौर पर बताते हैं कि प्रियंका गांधी यूपी में लगातार राजनीतिक, संगठन की मजबूती और तैयारी के लिए काफी समय दे रही हैं। वह सावधानी के साथ मुद्दों का चयन करती हैं और मुद्दे उठाती हैं। प्रियंका का पूरा ध्यान हर रोज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के कमजोर नस दबाने पर रहता है। बीते दिनों प्रियंका गांधी अपने भाई राहुल गांधी की पीठ थपथपाने के साथ प्रवासियों के मुद्दों पर प्रकाश डाला। और हाल ही में हाथरस बलात्कार पर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की। हालांकि इससे पार्टी के लिए राजनीतिक या संगठनात्मक विश्वास नहीं बन पाया है।
प्रियंका गांधी के सलाह देने के तरीके से नाखुश कई नेता
यूपी कांग्रेस में जिन लोगों ने पद छोड़ दिया है उन्होंने यूपीसीसी को वाड्रा की ओर से सलाह देने के तरीके पर नाखुशी का संकेत दिया है। राज्य कांग्रेस के भीतर तनाव एक साल से अधिक समय से चल रहा है। इसमें मुख्य रूप से पारंपरिक यूपी कांग्रेस नेताओं और वाड्रा के हाथ से चुने गए पीसीसी प्रमुख अजय कुमार लल्लू और उनके सहयोगी सह सलाहकार संदीप सिंह के बीच मतभेद प्रमुख हैं।
कांग्रेस के पुराने नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिख जताई थी चिंता
पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, पार्टी के पूर्व विधायक सिराज मेहदी, भूधर नारायण मिश्र, विनोद चौधरी, नेक चंद्र पांडे और पूर्व पदाधिकारी स्वयं प्रकाश गोस्वामी, राजेंद्र सिंह सोलंकी और संजीव सिंह सहित कई पुराने यूपी कांग्रेस के नेता जिन्हें यूपीसीसी की ओर से निष्कासित’ किया गया था, उन्होंने सितंबर की शुरुआत में सोनिया गांधी को एक संयुक्त पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने “परिवार के लिए प्यार से ऊपर उठने” और “आपसी विश्वास स्थापित करके और संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बहाल करके” संगठन चलाने का आग्रह किया था। साथ ही ऐसा होने पर कहा था कि कांग्रेस अतीत की बात बन जाएगी।
‘कांग्रेस में सारा जीवन लगाने वाले नेताओं को बिना कारण बाहर निकाला’
यूपी कांग्रेस की मौजूदा हालात पर चर्चा करते हुए सत्यदेव त्रिपाठी ने मंगलवार को हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘हमारे जैसे लोग जिन्होंने अपना सारा जीवन कांग्रेस में बिताया है, उनको बिना कारण बताओ नोटिस या निष्कासन आदेश के पार्टी से बाहर कर दिया गया। यूपी में सात विधानसभा उपचुनावों के नतीजे प्रदेश कांग्रेस की स्थिति को दिखाएंगे।
2022 यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लगेगा झटका
त्रिपाठी ने कहा कि मुझे डर है कि 2022 के विधानसभा चुनावों में यूपी कांग्रेस न के बराबर हो जाएगी। पार्टी को यह वह कीमत प्रियंका वाड्रा और उनके सलाहकारों के चलते चुकानी पड़ेगी जो पारंपरिक कांग्रेस के लोगों को छोड़ देंगे और उन बाहरी लोगों को लाएंगे, जिनका कोई वैचारिक संबंध नहीं है। अन्नू टंडन जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे केवल यूपी कांग्रेस में नाखुशी की हद को दर्शाते हैं।