Real parents met after 6 years, met in Parbhani, Maharashtra | 5 साल बाद महाराष्ट्र में मां से मिली, परिवार ने असली नाम राधा वाघमारे बताया, DNA टेस्ट के बाद सौंपी जाएगी

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

इंदौर6 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के वाजुल में रहने वाली मीना पांद्रे ने गीता को अपनी बेटी बताया है। 
-फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के वाजुल में रहने वाली मीना पांद्रे ने गीता को अपनी बेटी बताया है। -फाइल फोटो

  • 26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर पाकिस्तान से भारत लाई गई थी गीता, 11 साल की उम्र में ईधी फाउंडेशन को रेलवे स्टेशन पर मिली

पांच साल पहले पाकिस्तान से भारत आई दिव्यांग गीता को उसकी मां मिल गई है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के वाजुल में रहने वाली मीना पांद्रे ने गीता को अपनी बेटी बताया है। मीना ने गीता का असली नाम राधा वाघमारे बताया। गीता के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। मां ने दूसरी शादी कर ली है।

मीना पांद्रे अपने परिवार के साथ गुरुवार को गीता से मिलीं। मीना के मुताबिक उनकी बेटी के पेट पर जले का निशाना था। गीता के पेट पर भी जले का निशान मिला है। हालांकि, अब तक दोनों का DNA टेस्ट नहीं कराया गया है। टेस्ट और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही गीता को सौंपा जाएगा।

गीता जब भारत पहुंची तो उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की थी।

गीता जब भारत पहुंची तो उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की थी।

11 साल की उम्र में पाकिस्तान पहुंची, सुषमा स्वराज भारत ले आईं
गीता पाकिस्तान में एक रेलवे स्टेशन पर 11-12 साल की उम्र में मिली थी। पाकिस्तान के ईधी वेलफेयर ट्रस्ट ने उन्हें अपने पास रखा था। 26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर गीता को पाकिस्तान से भारत लाया गया था। तब उसे इंदौर की मूक-बधिरों की संस्था में रखा गया था। यहां से उसके परिवार की तलाश शुरू की गई। गीता न बोल सकती हैं और सुन पाती हैं। वह पढ़ी लिखी भी नहीं थीं। ऐसे में उनसे उनकी जानकारी निकलवा पाना मुश्किल था।

26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर गीता को पाकिस्तान से भारत लाया गया था। तब उसे इंदौर की मूक-बधिरों की संस्था में रखा गया था।

26 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर गीता को पाकिस्तान से भारत लाया गया था। तब उसे इंदौर की मूक-बधिरों की संस्था में रखा गया था।

गीता ने इशारों में नदी और खेतों का जिक्र किया
इंदौर के आनंद सर्विस सोसाइटी के ज्ञान पुरोहित ने बताया कि गीता अपनी मां से मिलने पहुंची थी। गीता ने बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उन्हें इशारों में बताया था कि उसके घर के पास एक नदी थी और वहां गन्ने तथा मूंगफली की खेती होती थी। इसके साथ ही वहां डीजल के इंजन से रेल चला करती थी। ये ब्योरे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा (औरंगाबाद और इसके आसपास) इलाके के कुछ स्थानों से मेल खाते हैं।

24 दंपतियों ने किया दावा, लेकिन DNA मैच नहीं हुआ
26 अक्टूबर 2015 को गीता को इंदौर लाए जाने के बाद देशभर के कई दंपतियों ने गीता के माता-पिता होने का दावा किया। लेकिन किसी का DNA मैच नहीं हुआ। इसके बाद आज तक उसके माता-पिता की तलाश जारी रही। वर्तमान में गीता महाराष्ट्र के परभणी में रह रही है। पाकिस्तान के ईधी वेलफेयर ट्रस्ट की पूर्व प्रमुख दिवंगत अब्दुल सत्तार ईधी की पत्नी बिलकिस ईधी को भी गीता के परिवार से मिलने की जानकारी दी गई है। उन्होंने इस पर खुशी जताई है।

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *