Smartphone की चंगुल में आप किस कदर फंस चुके हैं? सर्वे में सामने आया ‘कड़वा सच’

नई दिल्ली: एक छोटा सा किस्सा है. फिलॉसफी की क्लास में टीचर ने बच्चों से पूछा, जीवन क्या है? बच्चे ने छोटा सा लेकिन बहुत असरदार जवाब दिया. बच्चे ने कहा, मोबाइल फोन (Smartphone) के बिना बिताया गया समय जीवन है.

लोगों ने 6 इंच की स्क्रीन को बना लिया दुनिया
ये जवाब आपको भी छू गया होगा. हो सकता है कि इस वक्त आप ये खबर किसी स्मार्टफोन पर ही पढ रहे हों. हममें से ज्यादातर लोग उसी स्मार्टफोन (Smartphone) से परेशान हैं. जिस पर वो सबसे ज्यादा वक्त बिता रहे हैं. लॉकडाउन में घर में बंद खाली लोग हों या वर्क फ्रॉम होम की वजह से मजबूरन ऑनलाइन आए लोग हों. नतीजा ये हुआ कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल (Smartphone Addiction) बढ गया और लोग ऑनलाइन ही वक्त काटने लगे. घर परिवार में सब लोगों के होने के बावजूद 6 इंच की स्क्रीन को ही दुनिया बना लिया.

रोजाना 7 घंटे फोन पर बिता रहे हैं लोग
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लोग औसतन दिन के 7 घंटे फोन (Smartphone) पर बिता रहे हैं. जरा सोचिए अगर आप दिन में 12 घंटे जागते हैं तो उसमें से 7 घंटे फोन के नाम समर्पित कर देते हैं तो आपके शरीर और मस्तिष्क का क्या होगा. रिपोर्ट में यह भी पता चला कि लोगों के दिन के 18 मिनट सेल्फी लेने और फोटो या वीडियो क्लिक करने में बीत रहे हैं. पिछले वर्ष के सर्वे में ये वक्त 14 मिनट था. 

दो साल में डेढ़ गुणा बढ़ गया स्मार्टफोन का टाइम
देश में मार्च 2019 में किए गए एक सर्वे में पता लगा था कि लोग रोजाना 4.9 घंटे फोन पर बिता रहे थे. मार्च 2020 तक ये समय 11 प्रतिशत बढ़ा और लोग 5.5 घंटे फोन (Smartphone) पर बिताने लगे. लेकिन लॉकडाउन के दौरान ये वक्त (Smartphone Addiction) बढ़कर रोजाना 6.9 घंटे हो गया. 

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रिपोर्ट में सामने आए ये दिलचस्प आंकडे:
– 31 से 40 वर्ष के 76 प्रतिशत लोग सबसे ज्यादा फोन इस्तेमाल करते हैं.
– 40 से 45 वर्ष के 73 प्रतिशत लोग फोन का इस्तेमाल करने में दूसरे नंबर पर हैं.

 स्मार्ट फोन ने कहां सबसे ज्यादा दखल दिया
-84 प्रतिशत लोग अपने बिस्तर पर बैठकर फोन का इस्तेमाल करते हैं.
-71 प्रतिशत लोग खाना खाते वक्त मोबाइल पर वक्त बिताते हैं. ऐसा करने वाले सबसे ज्यादा लोग 26 से 40 वर्ष के बीच के हैं. ये ज्यादातर लोग नौकरीपेशा हैं.
– 57 प्रतिशत लोग वर्क आउट करते वक्त स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं.
– 50 प्रतिशत लोग परिवार के साथ बैठे हुए भी फोन इस्तेमाल करते हैं.
– हर तीन में से दो लोग सोने से पहले और जागने के 15 मिनट में अपना फोन चेक करते हैं.

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फोन के उपयोग के लिए तय करनी होगी लिमिट
दिलचस्प बात ये है कि फोन (Smartphone) पर जिंदगी बिता रहे लोग ये जानते हैं कि ये फोन उन्हें परिवार से दूर कर रहा है लेकिन इस बारे में कुछ कर नहीं पा रहे. स्मार्ट फोन में आंखे गड़ाए रहना कितनी जरुरत है और कितनी आदत. ये फर्क करना सब के लिए मुश्किल हो रहा है. ये सर्वे स्मार्टफोन ब्रांड वीवो और साइबर मीडिया रिसर्च ने मिलकर किया है. 

देश के 8 शहरों में किया गया सर्वे
सर्वे में भारत के 8 शहरों के लोग शामिल थे. ये शहर हैं मुंबई, कोलकाता, बैंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे. ये सर्वे 15 से 45 वर्ष के युवाओं और गृहणियों पर किया गया.  कुल 2000 लोगों पर किए गए इस सर्वे में 30 प्रतिशत महिलाएं और 70 प्रतिशत पुरुष शामिल थे. सर्वे में ये साफ तौर पर समझ आ गया कि फोन (Smartphone Addiction) हमें अपनों से दूर कर रहा है. हालांकि स्मार्ट फोन (Smartphone) की उपयोगिता पर किसी को शक नहीं था लेकिन ये बात कहने वाले भी कम नहीं थे कि काश फोन ऑफ होता तो जिंदगी और रिश्ते बेहतर होते.

स्मार्टफोन ने बढ़ाई दूरियां, रिश्तों के बीच आया स्मार्टफोन  
– 66 प्रतिशत भारतीयों के मुताबिक स्मार्टफोन ने उनकी ज़िंदगी बेहतर की.
– 70 प्रतिशत के मुताबिक स्मार्टफोन उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों पर असर डालता है.
– 74 प्रतिशत के मुताबिक अगर वो समय समय पर फोन को स्विच ऑफ कर पाएं तो परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिता सकेंगे.
– 74 प्रतिशत ने ये भी माना कि बिना फोन के वो परेशान हो जाते हैं.
– 18 प्रतिशत ही ऐसे थे जो अपना फोन एक घंटे या उससे ज्यादा वक्त के लिए स्विच ऑफ यानी बंद कर पा रहे थे.

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लॉकडाउन ने बढ़ाई स्मार्टफोन की लत
पिछले वर्ष के मुकाबले स्मार्टफोन का इस्तेमाल इस साल 25 प्रतिशत तक बढ गया. 
लॉकडाउन (अप्रैल 2020) में भारतीयों ने स्मार्टफोन पर कहां वक्त बिताया  
Work from home – 75 प्रतिशत 
Calling – 63 प्रतिशत 
OTT – 59 प्रतिशत 
Social Media – 54 प्रतिशत   
Gaming -45 प्रतिशत 

बढ़ रही है परिवारों में एकाकीपन की समस्या
फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर दुनिया से जुड़ रहे करोड़ों लोग अपने आस पास की हकीकत वाली दुनिया से कटते जा रहे हैं. हो सकता है कि दिल्ली में बैठे बैठे आपके फोन ने आपको लेह लद्दाख की बर्फ की तस्वीरें दिखा दी हों लेकिन ये भी हो सकता है कि आप डिजीटल दुनिया में इस कदर खो गए कि ये नहीं जान पाए कि आपके घर में किसी को आपके कीमती वक्त की जरुरत थी. यही वजह है कि काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिकों के पास अकेलेपन और डिप्रेशन के शिकार लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है. ज्यादातर लोग अपने दिल की बात करने के लिए किसी को खोज रहे हैं.

स्मार्टफोन के बारे में कुछ ऐसा सोचते हैं लोग:
सर्वे के कुछ और आंकड़ों पर नज़र डालिए. इन आंकड़ों से ये साफ होता है कि स्मार्टफोन ऐसी आदत है जो चाहने पर भी नहीं छूट पा रही है. 
– 79 प्रतिशत फोन यूजर्स ने माना कि फोन उनको लोगों से जोड़े रखता है.
– 88 प्रतिशत ने ये भी माना कि उनके आसपास मौजूद लोग उनके स्मार्टफोन पर रहने की आदत की वजह से उन्हें टोकते रहते हैं.
– 46 प्रतिशत व्यक्ति किसी के साथ एक घंटे का वक्त बिताएं, तो उसमें औसतन 5 बार फोन चेक करते हैं.
– 70 प्रतिशत ने माना कि स्मार्टफोन की  उनकी आदत बन गई है.

हर वक्त चेक करते रहते हैं स्मार्टफोन
– 84 प्रतिशत जागने के 15 मिनट के अंदर ही अपना फोन चेक करते हैं.
– 89 प्रतिशत ने माना कि फोन की वजह से परिवार के साथ बिताए जाने वाले वक्त में कटौती हो गई है.  
– 74 प्रतिशत के मुताबिक स्मार्टफोन के अलावा भी ज़िंदगी होनी चाहिए.
– 73 प्रतिशत ने कहा फोन का इस्तेमाल कम करके खुश होंगे.

सेहत पर भारी पड़ रही है स्मार्टफोन की लत
स्मार्टफोन (Smartphone) में बिजी रहने की आदत ने इंसान के शरीर का पॉस्चर बदल डाला है. गर्दन में दर्द और आंखों में जलन की शिकायतें बढ़ी हैं. इसके अलावा सेल्फीसाइटिस, नोमोफोबिया और ऐसी कई नई बीमारियों को जन्म दे दिया है जिनके बारे में पहले किसी ने सोचा तक नहीं होगा.

हमें अपनों से गुम करती जा रही है डिजिटल दुनिया
स्मार्टफोन (Smartphone) के जरिए शॉपिंग, खाना ऑर्डर करने, कैब बुक करने और छुटिटयों के लिए होटल बुकिंग करने जैसे हजारों काम मिनटों में हो जाते हैं, जिनके लिए पहले घंटों और दिनों का वक्त लग जाता था. लेकिन डिजिटल दुनिया पर हमें मिनटों का वक्त बिताना है या कई घंटे, ये हमें खुद तय करना होगा. क्योंकि डिजिटल दुनिया में गुम रहने की आदत अब हमें असल दुनिया से गुम करती जा रही है.

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