The Oldest Woman of the World Passed Away at the age of 119 in Mohali of Punjab | पंजाब के मोहाली से थीं; 119 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, ठेठ देसी पंजाबी खान-पान था इतनी उम्र का राज
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मोहालीएक घंटा पहले
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ऐसी दिखती थीं दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला बचन कौर।
- 5 पीढ़ियों को अपनी गोद में खिलाकर महिला 16 अप्रैल 2021 को दुनिया से विदा हुईं
- बचन कौर की अंतिम यात्रा बैंड बाजों के साथ निकाली गई, स्वस्थ जीवन जिया
विश्व की सबसे उम्रदराज महिला नहीं रही। 5 पीढ़ियों को अपनी गोद में खिलाकर महिला 16 अप्रैल 2021 को दुनिया से विदा हो गईं। उन्होंने 119 साल 6 महीने की उम्र में आखिरी सांस ली। महिला का नाम बचन कौर था और वह पंजाब के मोहाली जिले में कस्बा बनूड़ के गांव मोटे माजरा की निवासी थी। बचन कौर की अंतिम यात्रा बैंड बाजों के साथ निकाली गई। पूरे परिवार सहित ग्रामीणों ने बचन कौर को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी।
सैन्य रिकॉर्ड के मुताबिक, बचन कौर का जन्म 1901 में हुआ था। उनके पति स्वर्गीय जीवन सिंह ने दोनों विश्व युद्ध लड़े थे। बचन कौर ने 9 संतानों को जन्म दिया, जिनमें से अब 3 बेटियां व 2 बेटे जीवित हैं। बड़ी बेटी प्रीतम कौर की उम्र 87 साल है, जबकि बड़े बेटे प्रीतम सिंह की उम्र 79 वर्ष है। प्रीतम सिंह सेना में सूबेदार रह चुके हैं। बचन कौर के पौत्र बाब सिंह भी 2 साल पहले भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए हैं।
1899 में हुआ था बचन कौर का जन्म
बचन कौर के बेटे रिटायर्ड सूबेदार प्रीतम सिंह ने बताया कि उनकी मां का जन्म 1899 में हुआ था। उनके पति जीवन सिंह ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक थे, लिहाजा सैन्य रिकॉर्ड में उनका जन्म वर्ष 1901 दर्ज है। वर्तमान में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जापान की 118 वर्षीय केन तनाका का नाम सबसे बुजुर्ग जीवित महिला के तहत दर्ज है। लेकिन बचन कौर उनसे उम्रदराज थीं, क्योंकि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक वे 119.6 वर्ष जीवित रहीं।
बचन कौर ने स्वस्थ जीवन जिया
परिजनों ने बताया कि बचन कौर ने बिना किसी बीमारी और दवाई के सेहतमंद जीवन व्यतीत किया। वे दूध और घी की शौकीन थीं। आखिरी समय तक पंजाबी खानपान ही उनकी सेहत का राज रहा। ब्लडप्रेशर व डायबिटीज जैसी समस्याएं भी बचन कौर को नहीं थीं।
कभी कभार बुखार या खांसी जैसी परेशानी हो जाती थी, जो दवा से ठीक हो जाती थी। लेकिन बढ़ती उम्र के कारण कमजोर हो गई थीं। इसलिए कुछ दिन पहले उन्होंने काम करना छोड़ दिया था। जबकि खेत में जाना, चारा लाना, दुधारू पशुओं की देखभाल जैसे काम वे करती थीं।
चंडीगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत उनके छोटे बेटे अजायब सिंह उन्हें अपने साथ ही रखते थे। करीब एक साल पहले उनकी सेवा के लिए अजायब सिंह ने रिटायरमेंट ले ली थी। हालांकि अपनी इच्छा के अनुसार उन्होंने अंतिम सांस अपने गांव में ही ली।