Coronavirus Vaccine | ICMR Ex Doctor VM Katoch On Coronavirus Disease (COVID-19) Vaccines and Mask | वैक्सीन एक जरूरी कवच, लेकिन आदतें बदलकर दे सकते हैं कोरोना को मात : डॉ. कटोच
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20 दिन पहले
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अलग-अलग सेक्टर्स के लिए 2021 कैसा रहेगा? इस पर आप उन सेक्टर्स से जुड़े विशेषज्ञों की राय लगातार पढ़ रहे हैं। आज बारी हेल्थ सेक्टर की है। तो आइये जानते हैं कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR के पूर्व डीजी डॉ. विश्व मोहन कटोच का इस सेक्टर को लेकर क्या सोचना है…
भारत में महामारी आना कोई नई बात नहीं है। हां, यह कह सकते हैं कि 1918 के स्वाइन फ्लू के बाद कोरोना सबसे बड़ी महामारी है। लेकिन, इस बार भारत ने उतनी ही ताकत से लड़ाई लड़ी है। सशक्त नेतृत्व, पुलिस महकमे, हेल्थकेयर सेक्टर और आम लोगों ने मिलकर 2020 में इस लड़ाई को लड़ा है। अब वैक्सीन की चर्चा है। कुछ लोगों को इसी साल वैक्सीन मिलेगी भी, लेकिन इस लड़ाई में सबसे तगड़ा हथियार मास्क है। इसके अलावा हाइजीन, हैंड वाशिंग, सैनिटाइजर का इस्तेमाल लोगों को वायरस से बचा सकता है।
आपको जानकर हैरानी होगी। मैं 40 साल पहले जापान गया था। वहां तब भी लोग मास्क पहने हुए थे। ये उनकी दिनचर्या में शामिल है। इसीलिए वहां सांस के जरिए फैलने वाली कोई बीमारी ज्यादा असर नहीं दिखता। यही वजह है कि जापान में अब तक सिर्फ 2.5 लाख लोग कोरोना का शिकार हुए हैं। जबकि अमेरिका में 2 करोड़ और भारत में एक करोड़ लोग पॉजिटिव आ चुके हैं। असल में मास्क पहनना सजा नहीं है और नया भी नहीं। चीन के मानचूरिया में 1910 में प्लेग ने तबाही मचाई हुई थी। तब डॉ. वू ने सबसे पहले मास्क पहना था। फिर मास्क से ही महामारी पर काबू पाया गया।
हेल्थकेयर कभी चर्चा के केंद्र में नहीं रहा
जहां तक कोरोना के दौर में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के कम पड़ने की बात है, तो इस पर अकेले सरकार को कठघरे में खड़ा करना ठीक नहीं है। प्रजातंत्र में अक्सर सरकारें लोकलुभावन फैसले करती हैं। आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर ज्यादा सजग होना होगा। हालांकि तस्वीर बदली है। अब लोगों का ध्यान हेल्थ केयर पर है। ऐसे में 2020 में कोरोना के टेस्ट के लिए 2300 से ज्यादा सरकारी और प्राइवेट लैब खुले हैं। आयुष्मान भारत भी एक बदलाव लाने वाली योजना साबित हो सकती है।
2021 में हाइजीन और फूड पर चर्चा होनी चाहिए
अब देश में स्वस्थ आहार पर चर्चा रुकनी नहीं चाहिए। रात-दिन खानपान की आदतों पर चर्चा होनी चाहिए। हमारे देश में स्वस्थ आहार वाली चीजों की कमी नहीं है। लेकिन, वो प्राथमिकता में नहीं हैं। ज्वार-बाजरा और रागी खाना लोग भूलते जा रहे हैं। इन्हें रोज के खाने में शामिल करना चाहिए।
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के 30 से ज्यादा जिलो में फ्लोरोसिस का प्रकोप चल रहा है। कोरोना के बीच उसकी चर्चा नहीं हो रही। लेकिन 2021 में इसका भी ध्यान रखना चाहिए।
इन सबसे ज्यादा जरूरी है कि कोरोना ही नहीं दूसरे फ्लू, वायरस को कैसे रोका जाए। उसके लिए इंसान को अपने व्यवहार में कुछ परिवर्तन करने होंगे। हाथों के साथ सब्जियों और फलों को भी धोकर ही खाएं, सिंथेटिक चीजें न खाएं। अस्पतालों में भीड़ कम करनी होगी। अपनी बारी का इंतजार करें। दूरी बनाए रखें।
रोगों की जांच में इनोवेशन को बढ़ावा मिलना चाहिए
अब टीवी के निदान और औषधि प्रतिरोधकता के लिए ट्रू नेट टेस्ट भारत के टेक्नीशियन माइक्रोस्कोपी से कर सकते हैं। यह भारत में होने वाले इनोवेशन के चलते संभव हुआ। इसी तरह के छोटे से छोटे इनोवेशन को बढ़ावा मिलना चाहिए। कोरोना हो, कैंसर हो या दूसरी बीमारियां.. जितनी जल्दी डायग्नोसिस होगा, उतना बेहतर इलाज होगा। केवल एसी और एडवांस लैब होना जरूरी नहीं है। सरकारी अस्पतालों और छोटी क्लिनिक की पैथलैब भी कारगर हैं।
ये बातें हो सकती हैं सुनने में बहुत छोटी लगें, लेकिन इन्हीं को मानने से जापान आज कोरोना केस में 2.5 लाख पर खड़ा है और हम 1 करोड़ का आंकड़ा पार कर रहे हैं। इन छोटी बातों को नजरअंदाज करना 2021 में भारी पड़ेगा। हमने 2020 में मिसाल कायम की, 130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश में कोरोना जैसे तेजी से फैले वाले वायरस को अब तक हावी नहीं होने दिया। 2021 में हम एक कदम और आगे बढ़ेंगे। इसमें सरकार के वोकल फॉर लोकल, मेड इन इंडिया, मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं के जरिए स्वस्थ भारत का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।