up mlc chunav news: UP MLC Chunav: कैसे होता है एमएलसी चुनाव? क्या है स्नातक और शिक्षक निर्वाचन…कौन डाल सकता है वोट, हर जानकारी – up mlc chunav how mlc elected and what is teachers constituency and graduate constituency all you need to know

हाइलाइट्स:

  • यूपी विधान परिषद में कुल 100 सीटें, 10 सीटें मनोनीत कोटे के तहत
  • परिषद में स्नातक और शिक्षक निर्वाचन के तहत 8-8 सीटें आरक्षित हैं
  • छह साल होता है एमएलसी का कार्यकाल, विधायक के बराबर शक्तियां
  • यूपी के अलावा अभी बिहार, महाराष्ट्र समेत 6 राज्यों में है विधान परिषद

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद (UP MLC Elections 2020) की 11 खाली सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। शिक्षक निर्वाचन (Teachers Constituency election) और स्नातक निर्वाचन (Graduate Constituency election) क्षेत्र के इस चुनाव में कई ऐसी बातें हैं, जो प्रत्यक्ष निर्वाचन से अलग हैं। विधानसभा के उलट यहां चुनिंदा लोग ही वोट डाल सकते हैं। विधान परिषद सदस्य यानी एमएलसी का चुनाव कैसे होता है और क्या है इस चुनाव की निर्वाचन प्रक्रिया, आइए समझने की कोशिश करते हैं।

अभी देश के छह राज्यों में ही विधान परिषद (Vidhan Parishad) हैं। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं। इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी विधान परिषद अस्तित्व में है। विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। मसलन यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं। यानी यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है। एमएलसी का दर्जा विधायक के ही समकक्ष होता है।

कैसे चुने जाते हैं विधान परिषद के सदस्य
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।

VIDHAN PARISHAD

शिक्षक निर्वाचन की सीटें- बरेली-मुरादाबाद, लखनऊ, गोरखपुर-फैजाबाद, वाराणसी, इलाहाबाद-झांसी, कानपुर, आगरा, मेरठ
स्नातक निर्वाचन की सीटें- लखनऊ, आगरा, मेरठ, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद, गोरखपुर-फैजाबाद, इलाहाबाद-झांसी, कानपुर

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शिक्षक निर्वाचन: किसको वोट का अधिकार, कैसे रजिस्ट्रेशन
हाईस्कूल के टीचर-प्रिसिंपल के अलावा डिग्री कॉलेज-यूनिवर्सिटी के टीचर भी इस चुनाव को लड़ सकते हैं। शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में हर टीचर अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। हाईस्कूल यानी 10वीं या उससे ऊपर पढ़ाने वाले शिक्षकों को ही वोट डालने का अधिकार है। लेकिन इसके लिए उनको वोटर बनना जरूरी है। माध्यमिक-सेंट्रल स्कूल, डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, पॉलिटेक्निक और इंजिनियरिंग कॉलेज के शिक्षक वोटर बन सकते हैं। वोटर बनने के लिए कम से कम तीन साल पढ़ाने का अनुभव जरूरी है। वहीं जिन शिक्षकों को रिटायर हुए तीन साल से ज्यादा नहीं हुए हैं, वे भी वोटर बनने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए फॉर्म-19 में अपनी पर्सनल डीटेल भरनी पड़ती है। इसके साथ ही प्रूफ के लिए राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर आईडी के अलावा स्कूल में पढ़ाने का भी दस्तावेज लगाना पड़ता है। इस फॉर्म को इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के यहां दस्तावेजों के साथ जमा करना पड़ता है। आवेदन पर मंजूरी मिलने के बाद वोटर लिस्ट में नाम ऑनलाइन भी दिखने लगता है।

स्नातक निर्वाचन: किसको वोट का अधिकार, कैसे रजिस्ट्रेशन
स्नातक निर्वाचन (Graduate Constituency) के लिए प्रदेश में आठ सीटें हैं। ग्रैजुएशन करने के तीन साल बाद ही वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए आवेदन किया जा सकता है। वोटर बनने की बाकी सारी प्रक्रिया शिक्षक निर्वाचन की तरह ही है। स्नातक निर्वाचन एमएलएसी चुनाव में वही वोट दे सकता है, जो ग्रैजुएट हो। वहीं कैंडिडेट का भी ग्रैजुएट होना जरूरी है। संसदीय लोकतंत्र में शिक्षकों और पढ़े-लिखे लोगों की नुमाइंदगी के लिए इस कोटे की व्यवस्था की गई थी।

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