Pakistan Under Pressure To Take Action Against 26/11 Perpetrators, Says Report – 26/11 के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पाकिस्तान दबाव में: रिपोर्ट
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यूरोपीय संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय दबाव फिर से पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें सुरक्षित पनाह देने से रोकने पर जोर दे रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ लोगों ने इस मुद्दे से निपटने के लिए पाकिस्तान की ओर से अभी भी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी होने का तर्क दिया है। भीषण हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों में से कुछ अभी भी आजाद घूम रहे हैं और इसी तरह के हमले करने की साजिश रच रहे हैं। मुंबई हमलों के कारण पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों और उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का अंतरराष्ट्रीय दबाव फिर से बढ़ रहा है।
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा के दस प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को ताज होटल, ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ट्रेन स्टेशन सहित मुंबई में कई ठिकानों पर हमलों को अंजाम दिया था।
इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस भीषण हमलों में नौ आतंकवादी मारे गए थे, जबकि एक पकड़ा गया था। आतंकी अजमल आमिर कसाब को 11 नवंबर, 2012 को पुणे में यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
यूरोपीय सांसदों ने इमरान खान को पत्र लिख मांगी जानकारी
यूरोपीय संसद के दो प्रमुख सदस्यों (एमईपी) ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान को पत्र लिखकर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर इस्लामाबाद की निंदा की। 24 नवंबर को खान को लिखे पत्र में यूरोपीय संसद के पोलैंड के सदस्य रेज्जर्ड कजारनेकी और इटली के सदस्य फुल्वियो मार्टूसिसेलो ने मुंबई आतंकवादी हमलों पर पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई उसके बारे जानकारी मांगी है।
उन्होंने पूछा कि सामान्य तौर पर देश के भीतर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान क्या कार्रवाई कर रहा है और क्या कर सकता है? इसकी भी जानकारी मांगी है। पाकिस्तानी अधिकारी इन आतंकी हमलों में अपना हाथ होने से इनकार करते रहे हैं।
भारत की तरफ से साझा किए गए कई डोजियर पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सात संदिग्धों के खिलाफ एक पाकिस्तानी आतंकवाद-निरोधी अदालत में बीते एक दशक से मुकदमा चल रहा है। पाकिस्तानी अधिकारी उनके खिलाफ सबूतों की वैधता पर सवाल उठाते रहे हैं।