India Responds To Pakistan Imran Khan Govt Over Transfer Of Kartarpur Sahib Gurdwara Management | विदेश मंत्रालय ने करतारपुर गुरुद्वारे का प्रबंधन गैर सिखों को देने पर पाकिस्तानी डिप्लोमेट को तलब किया
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नई दिल्ली8 मिनट पहले
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ऐसी मान्यता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे। अपनी जिंदगी के आखिरी 18 साल उन्होंने यहीं बताए थे। – फाइल फोटो
भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को पाकिस्तान हाई कमीशन के प्रमुख को तलब किया। मंत्रालय ने करतारपुर साहिब के प्रबंधन और रखरखाव की जिम्मेदारी गैर सिखों को देने पर सख्त विरोध दर्ज कराया। साथ ही पाकिस्तान सरकार के इस फैसले को मनमाना और निंदनीय बताया।
MEA के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पाकिस्तानी CDA आफताब हसन खान को साफ तौर पर बताया गया है कि यह फैसला सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है।
#WATCH: Pakistan diplomat arrives at South Block in Delhi after being summoned by Ministry of External Affairs (MEA) over the transfer of management and maintenance of Gurudwara Kartarpur Sahib. pic.twitter.com/5AXQf1Ozei
— ANI (@ANI) November 6, 2020
पाकिस्तान सरकार ने करतारपुर गुरुद्वारा का मैनेजमेंट देख रही पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को हटाकर यह काम एक गैर सिख निकाय को दे दिया है। भारत सरकार ने इस फैसले की निंदा की है।
फैसला बदलने की गुजारिश की
विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान से इस मनमाने फैसले को बदलने की गुजारिश की है। मंत्रालय का कहना है कि पाकिस्तान का यह फैसला एकतरफा और निंदनीय है। यह करतारपुर साहिब कॉरिडोर की भावना के भी खिलाफ है। इस जगह से सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हैं। हमने इस फैसले पर गंभीर चिंता जाहिर की है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को निशाना बनाया जा रहा है। इस तरह की कार्रवाई पाकिस्तानी सरकार के धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के दावों का सच उजागर करती है।
9 नवंबर को खुला था करतारपुर कॉरिडोर
पाकिस्तान ने यह फैसला ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन का एक साल पूरा होने से कुछ दिन पहले लिया है। चार किलोमीटर लंबा यह गलियारा भारत में गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक मंदिर को पाकिस्तान के गुरुद्वारा करतारपुर साहिब से जोड़ता है। श्रद्धालुओं के लिए इसे 9 नवंबर को खोला गया था।
ऐसी मान्यता है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 1522 में करतारपुर आए थे। अपनी जिंदगी के आखिरी 18 साल उन्होंने यहीं बताए थे। माना जाता है कि करतारपुर में जिस जगह गुरु नानक देव का देहावसान हुआ था, वहीं यह गुरुद्वारा बना है। यह गुरुद्वारा रावी नदी के पार पाकिस्तान के नरोवाल जिले में है।