Sc Refuses To Extend Security To Ex Judge Sk Yadav Who Pronounced Babri Masjid Case Verdict Acquitted All 32 Accused – बाबरी मामले में फैसला देने वाले पूर्व न्यायाधीश की सुरक्षा बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Mon, 02 Nov 2020 12:39 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : social media

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उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी करने वाले पूर्व न्यायाधीश एस के यादव की सुरक्षा बढ़ाने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ पूर्व न्यायाधीश के आवेदन पर विचार कर रही थी जिसमें उन्होंने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अपनी निजी सुरक्षा को जारी रखने का आग्रह किया था।

इस पीठ में न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘पत्र देखने के बाद हम सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं समझते हैं।’ 30 सितंबर को विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के लिए इन लोगों के किसी भी साजिश का हिस्सा होने के कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं। एसके यादव ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन इस मामले पर फैसला सुनाया था।

यह भी पढ़ें- Babri Masjid Demolition Verdict: अदालत ने कहा- अराजक तत्वों ने गिराया ढांचा, नेताओं की भूमिका के साक्ष्य नहीं

बता दें कि विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ढांचा विध्वंस की घटना पूर्वनियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

 

उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी करने वाले पूर्व न्यायाधीश एस के यादव की सुरक्षा बढ़ाने से सोमवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ पूर्व न्यायाधीश के आवेदन पर विचार कर रही थी जिसमें उन्होंने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए अपनी निजी सुरक्षा को जारी रखने का आग्रह किया था।

इस पीठ में न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘पत्र देखने के बाद हम सुरक्षा प्रदान करना उचित नहीं समझते हैं।’ 30 सितंबर को विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा था कि अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के लिए इन लोगों के किसी भी साजिश का हिस्सा होने के कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं। एसके यादव ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन इस मामले पर फैसला सुनाया था।

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बता दें कि विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि ढांचा विध्वंस की घटना पूर्वनियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

 

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