Uttar Pradesh upchunav result: उत्तर प्रदेश उपचुनाव रिजल्ट
उत्तर प्रदेश में सात सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए प्रचार पर रविवार की शाम विराम लग गया। इन सीटों पर 3 नवंबर (मंगलवार) को मतदान होने वाला है और वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी।
उपचुनाव के लिए अमरोहा की नौगवां सादात, बुलंदशहर, टुंडला, उन्नाव में बांगरमऊ, घाटमपुर, देवरिया और जौनपुर में मल्हानी विधानसभा सीट के लिए मतदान होगा। इन निर्वाचन क्षेत्रों में सभी शराब की दुकानें 48 घंटों के लिए बंद रखी जाएंगी और मतदान के लिए इन इलाकों में अवकाश घोषित किए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में उपचुनाव के लिए जहां प्रमुख राजनीति दलों ने जोरदार प्रचार किया है, वहीं कांग्रेस, सपा और बीएसपी के शीर्ष नेताओं ने खुद को प्रचार अभियान से दूर रखा है।
बुलंदशहर में सबसे ज्यादा प्रत्याशी
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि सातों सीटों पर जहां उप चुनाव होना है वहां निष्पक्ष, शांतिपूर्ण, समावेशी और कोविड-19 के दृष्टिगत सुरक्षित मतदान के लिए समस्त तैयारी पूरी कर ली गई है। शुक्ला ने मतदाताओं से कोविड-19 से सुरक्षा के लिए किए गए उपायों का पूरी तरह पालन करते हुए शारीरिक दूरी बनाकर मतदान करने की अपेक्षा की। सातों सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में निर्दलीय समेत कुल 88 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सर्वाधिक 18 प्रत्याशी बुलंदशहर सीट पर हैं। जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर 16 उम्मीदवार आमने-सामने हैं।
घाटमपुर में सबसे कम प्रत्याशी
अमरोहा जिले की नौगांव-सादात सीट और देवरिया सीट पर 14-14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसके अलावा फिरोजाबाद की टूंडला और उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर 10-10 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि कानपुर की घाटमपुर विधानसभा सीट पर सबसे कम छह उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी, एसपी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने इस चुनाव में अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कुछ सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने भी अपने प्रत्याशी उतारे हैं।
बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल!
राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन सिंह ने कहा, ‘यह चुनाव सत्तारूढ़ दल के लिए वाकई प्रतिष्ठा का सवाल है, क्योंकि 2017 के आम चुनाव में इनमें से छह सीटें बीजेपी ने जीती थीं। अगर इन सीटों पर बीजेपी को दोबारा जीत नहीं मिली, तो इसके निहितार्थ निकाले जाएंगे।’ राजीव ने कहा कि इस उपचुनाव में सरकार की लोकप्रियता के आकलन के साथ ही 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का भी पूर्वाभ्यास हो रहा है। स्वतंत्र देव सिंह ने दावा किया कि सभी सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार जीतेंगे। हालांकि सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि सपा का लक्ष्य 2022 का विधानसभा चुनाव है और जीत की शुरुआत उप चुनाव से ही होगी।
बीजेपी कर रही सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग: एसपी
एसपी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ‘विधानसभा उप चुनाव में मतदान की तारीख नज़दीक आ रही है, ऐसे में बीजेपी अपनी हार की आशंका के चलते चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग और मतदाताओं को भयभीत करने का हथकंडा अपना रही है।’ चौधरी ने दावा किया कि छह सीटों पर सपा और एक पर आरएलडी का उम्मीदवार जीतेगा। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी बीजेपी सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताते हुए दावा किया कि जनता ने बीजेपी सरकार को सबक सिखाने की ठान ली है और उपचुनाव में इसका असर दिखेगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पतन की शुरुआत इस उपचुनाव से ही होगी और कांग्रेस जीतेगी।
उपचुनावों में बीएसपी ने भी उतारे प्रत्याशी
इस बीच, राज्यसभा चुनाव में एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के चलते बीएसपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बीजेपी से अपनी नज़दीकी बढ़ाने वाले बयान दिए, जिसके बाद अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी और बीएसपी के बीच समझौता है। उपचुनावों से अमूमन दूर रहने वाली बीएसपी इस बार विधानसभा की सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े कर रही है। बीएसपी के एक नेता ने कहा कि चुनाव परिणाम बीएसपी के ही पक्ष में आएगा।
नौगांव-सादात सीट पर चेतन चौहान की पत्नी
बता दें कि राज्य सरकार में मंत्री रहे पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान के निधन से रिक्त हुई नौगांव-सादात सीट पर बीजेपी से उनकी पत्नी संगीता चौहान, कांग्रेस से कमलेश सिंह, सपा से जावेद अब्बास, बीएसपी से फुरकान और राकांपा से हशमत अली समेत अन्य उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। राज्य सरकार में मंत्री कमल रानी वरुण के निधन के रिक्त हुई घाटमपुर सीट पर बीजेपी से उपेंद्र नाथ पासवान, सपा से इंद्रजीत कोरी, बीएसपी से कुलदीप संखवार और कांग्रेस से डॉ कृपा शंकर उम्मीदवार हैं। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक रहे वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के बाद बीजेपी ने बुलंदशहर सीट पर सिरोही की पत्नी ऊषा सिरोही, बीएसपी ने मोहम्मद युनूस, कांग्रेस ने सुशील चौधरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने योगेंद्र शंकर शर्मा, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने दिलशाद अहमद और राष्ट्रीय लोकदल ने प्रवीण कुमार सिंह को मौका दिया है। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल को समर्थन दिया है।
बांगरमऊ में कौन लेगा कुलदीप सेंगर की जगह?
उन्नाव की बांगरमऊ सीट पर कांग्रेस से आरती बाजपेयी, बहुजन समाज पार्टी से महेश प्रसाद और भारतीय जनता पार्टी से श्रीकांत कटियार चुनाव मैदान में हैं, जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां सुरेश कुमार पाल को मैदान में उतारा है। बांगरमऊ सीट विधायक कुलदीप सेंगर के सजायाफ्ता होने से रिक्त हुई है। बीजेपी विधायक जनमेजय सिंह के निधन से रिक्त हुई देवरिया सीट पर भारतीय जनता पार्टी से सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी, समाजवादी पार्टी से ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी, बहुजन समाज पार्टी से अभय नाथ त्रिपाठी और कांग्रेस से मुकुंद भाष्कर तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से अशोक यादव चुनाव मैदान में हैं। देवरिया में बीजेपी से टिकट न मिलने पर जनमेजय के पुत्र अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
टूंडला में निरस्त हुआ कांग्रेस
समाजवादी पार्टी के विधायक पारसनाथ यादव के निधन से रिक्त हुई मल्हनी सीट पर सपा ने लकी यादव, भारतीय जनता पार्टी ने मनोज कुमार सिंह, बहुजन समाज पार्टी ने जयप्रकाश दुबे, कांग्रेस ने राकेश मिश्र और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सतीश चंद्र उपाध्याय को मौका दिया है। मल्हनी सीट पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी किस्मत आजमा रहे हैं। बीजेपी सरकार में मंत्री रहे एसपी सिंह बघेल के आगरा से सांसद बनने के बाद रिक्त हुई टूंडला सीट पर बीजेपी से प्रेम पाल सिंह धनगर, समाजवादी पार्टी से महराज सिंह धनगर और बहुजन समाज पार्टी से संजीव चक मैदान में हैं। यहां कांग्रेस उम्मीदवार का नामांकन पहले ही निरस्त हो चुका है।
6 सीटों पर BJP और SP में मुकाबला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ दिनेश शर्मा तथा पार्टी पदाधिकारियों एवं अन्य मंत्रियों ने डिजिटल माध्यम से संवाद के अलावा चुनाव क्षेत्रों में जाकर लगातार जनसभाएं और जनसंपर्क किया। कांग्रेस ने उपचुनाव के लिए बांगरमऊ सीट पर अपना ध्यान केंद्रित किया है, जबकि अन्य विधानसभा सीटों पर मुख्यत: बीजेपी और एसपी के बीच लड़ाई है।
बीजेपी के लिए कड़ी परीक्षा
विधानसभा चुनाव 2022 से पहले का यह चुनाव सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए कड़ी परीक्षा है। बीजेपी के पास इन खाली सात में से छह सीटें हैं। इस समय प्रदेश में कोरोना संकट, अयोध्या में राममंदिर निर्माण की तैयारी और हाथरस कांड के बाद होने जा रहे उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी हैं। उपचुनाव के नतीजों से सियासी दलों के प्रति मतदाताओं के रुख का पता चलेगा। इन उपचुनाव में बीजेपी की साख दांव पर लगी है।