संतोष अग्रवाल राजस्थान परिषद के अध्यक्ष निर्वाचित

संतोष अग्रवाल राजस्थान परिषद के अध्यक्ष निर्वाचित
वरुण-विक्रम उपाध्यक्ष व नरेश सचिव चुने गए
डेढ़ दर्जन पदों के लिए 450 सदस्यों का मतदान

रजिस्टर व बैलेट पेपर के नंबर में मिलान नहीं होने पर उठे सवाल ( अंत में पढ़ें )

राउरकेला: राजस्थानियों की प्रतिनिधि संस्था राजस्थान परिषद राप की नई कार्यकारिणी का चुनाव रविवार को सम्पन्न हो गया. करीब डेढ दर्जन पदों के लिए रिकार्ड 450 सदस्यों ने सुबह दस बजे से दोपहर दो बजे तक मतदान में हिस्सा लिया अमर भवन में सुबह दस बजे दोपहर दो बजे तक मतदान के बाद मतों की गिनती हुई और परिणाम की घोषणा शाम पांच बजे की कई.

अध्यक्ष पद पर संतोष अग्रवाल सर्वाधिक मत पाकर एक बार फिर अध्यक्ष निर्वाचित हुए,
उपाध्यक्ष पद पर विक्रम बोथरा व वरुण सोमानी,सचिव पर नरेश खेतान,कोषाध्यक्ष पद पर नटवर बगड़िया, सह कोषाध्यक्ष पद पर मनोज अग्रवाल निर्वाचित हुए.इन छह प्रमुख पदों पर 14 प्रत्याशी मैदान में थे. अध्यक्ष पद पर संतोष अग्रवाल व जुगल किशोर मरोठिया के बीच मुकाबला था.
संरक्षण समिति मेंबर पद पर सतीश अजमेरा, जॉइंट सेक्रेटरी पद पर मनीष तोदी व पांच महिला मेंबर अंजू केडिया,हेमा शर्मा,रुपम राठी,सारिका मोदी व सीमा नरेडी पहले ही निर्विरोध चुन लिए गए.

उपाध्यक्ष के दो पद पर विक्रम बोथरा, वरुण सोमानी व आनंद बांगड,

सचिव पद पर पवन गिडिया व नरेश खेतान,

कोषाध्यक्ष पद पर विनय शर्मा व नटवर बगड़िया,

सह कोषाध्यक्ष पद पर मुकेश केडिया व मनोज अग्रवाल के बीच मुकाबला हुआ

जबकि 15 कार्यकारिणी सदस्य के लिए 21 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला हुआ, अशोक अग्रवाल, दिलीप शर्मा,अमित बांका, अंकित अग्रवाल,आशीषपोद्दार, बिश्वनाथ मोदी,गोविंद अग्रवाल, हेमंत मलानी,कन्हैया धवालिया, मनन अग्रवाल, मनोज बालोडिया,मोहित माहेश्वरी, पप्पू मरोठिया, पवन खेमनी, रवि बगड़िया, संजय सीखवाल,सुरेश खेतान कार्यकारिणी सदस्य पद का चुनाव जीत गए, जबकि सचिन अग्रवाल,धनराज अग्रवाल,प्रदूमन शर्मा,सुनील शर्मा चुनाव नहीं जीत सके.

परिषद के सूत्रों के अनुसार अध्यक्ष पद पर जगदीश हरित को 115, जुगल मरोठिया को 162, संतोष अग्रवाल को 167 मत मिले,

उपाध्यक्ष के दो पद पर आनंद बांगड को 157, वरुण सोमानी को 315, विक्रम बोथरा को 241 वोट मिले.

जनरल सेक्रेटरी पद पर नरेश खेतान को 253 व पवन गिडिया को 191 वोट मिले,

कोषाध्यक्ष पद पर नटवर बगडिया को 242 व विनय शर्मा को 204 मत मिले.

सह कोषाध्यक्ष पद पर मनोज अग्रवाल को 230 व मुकेश केडिया को 217 वोट मिले.

कार्यकारिणी सदस्य पद पर गोविंद अग्रवाल को 318,रबि बगड़िया को 317, अशोक अग्रवाल को 311, दिलीप शर्मा को 306, अंकित अग्रवाल को 300, हेमंत मलानी 298, आशीष पोद्दार 283, पवन खेमानी को 381, मोहित माहेश्वरी को 275, कन्हैया धवालिया को 270, सुरेश खेतान को 257, अमित बांका को 250, मनन अग्रवाल को 242, बिश्वनाथ मोदी को 242, संजय सिखवाल को 238 मत मिले.

रजिस्टर व बैलेट पेपर के नंबर में मिलान नहीं होने पर उठे सवाल

राजस्थान परिषद के चुनाव तो खत्म हो गए, लेकिन चुनाव में सदस्यों की उत्साह पूर्ण भागीदारी से लेकर चुनाव प्रबंधन की चर्चा अभी भी हो रही है। राजस्थान परिषद की कमेटी के चुनाव में लम्बे समय तक सिर्फ अध्यक्ष पद के लिए मतदान की परिपाटी व परम्परा टूटी और लगभग सभी पदों के लिए मतदान हुआ। इसे लेकर तरह तरह चर्चाएं है। जहां कुछ लोगों का मानना है कि समाज का चुनाव आम सहमति से होना चाहिए, वहीं कुछ लोगों का मानना है की समाज की सेवा के लिए स्पर्धा संस्थान बधा के हित में बहुत ही उचित है और इससे की नए चेहरे को मौका मिलेगा।

वहीं चुनाव के रजिस्टर में 411 लोगो के हस्ताक्षर तथा मतदान में 452 बैलेट के प्रयोग पर पराजित प्रत्यशियों ने सवाल उठाये और कहा कि यह कैसे संभव हुआ। ऐसा कहने वाले गड़बड़ी का भी आरोप दबे जुबान लगा रहे हैं। ऐसे में चुनाव कमेटी को स्थिति 411 बनाम 452 वाले मामले स्पष्ट करने की जरूरत है। बताते चलें की राजस्थान परिषद के चुनाव में मतदान के लिए रजिस्टर में 411 नाम का उल्लेख है लेकिन वोटिंग में 452 बैलेट का प्रयोग हुआ. चुनाव कमेटी के अध्यक्ष समाज के सम्मानीय राधश्याम अग्रवाल है. यह संयोग है की चैंबर के चुनाव परिणाम पर विवाद शुरू हो गया. चैंबर चुनाव कमेटी का भी राधेश्याम अग्रवाल जी अध्यक्ष है.राधेश्याम जी के दो संस्थान के चुनाव में चुनाव कमेटी के प्रमुख रहते हुए विवाद पहली बार हुआ, जिससे उन्हें आगे आकर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए ताकि उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल ना उठे. राजस्थान परिषद के चुनाव का संचालन चुनाव कमेटी के अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल, संतोष पारीक, राजेंद्र खेमनी, राकेश मोहन बागड़ी की देख रेख व ललित केजरीवाल, तरुण मलानी, महावीर मोदी के सहयोग से चुनाव सम्पन्न हुआ।

चुनाव परिणाम के बाद विजेताओं ने सभी सदस्यों के प्रति आभार जताया और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का भरोसा दिया.

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