Uttar Pradesh Samachar: सहकारिता भर्ती घोटाला: राम जतन और राम प्रवेश के सियासी आकाओं तक पहुंचेगी जांच की आंच – up sit to probe kingpin of the case of corruption in cooperative societies

लखनऊ
सहकारिता भर्ती घोटाले के दो मुख्य आरोपित राम जतन यादव और राम प्रवेश यादव के जरिए एसआईटी घोटाले के सियासी आकाओं तक पहुंचने की जुगत निकाल रही है। दोनों ही भर्ती घोटाले के छह-छह मुकदमो में नामजद हैं। एसआईटी ने इन दो आरोपितों के खिलाफ घोटाले में कई अहम साक्ष्य जुटा लिए हैं लेकिन इनके आकाओं के खिलाफ अभी तक कागजों में कोई साक्ष्य नहीं मिला है।

पड़ताल में यह बात सामने आई है कि मनचाहे अभ्यर्थियों का चयन करवाने के लिए इन्हें मौखिक आदेश मिलते थे। सहकारिता भर्ती घोटाले के सात में से छह मुकदमों में नामजद कंप्यूटर एजेंसी संचालक राम प्रवेश यादव घोटालों की सबसे अहम कड़ी है क्योंकि यह बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुए ग्राम विकास व ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती घोटाले में भी मुख्य आरोपित है। ओएमआर शीट के खेल करने में इसकी अहम भूमिका सामने आई है। इन दोनों के अलावा ओमकार यादव भी सहकारिता भर्ती घोटाले की अहम कड़ी है।

90 फीसदी से ज्यादा ओएमआर शीट्स में हुई गड़बड़ियां
एसआईटी ने शासन के निर्देश पर उप्र राज्य भंडारण निगम और सहकारी संस्थागत सेवा मंडल के अधिकारियों, पदाधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच में कई पुख्ता सुबूत एकत्र किए है। सहकारिता विभाग व अधीनस्थ संस्थाओं में एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के मध्य की गई सभी नियुक्तियों की जांच में सामने आया है कि आरोपितों ने मनचाही कंप्यूटर एजेंसी को परीक्षा करवाने के लिए चुना और उनके जरिए 90 फीसदी अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट्स में गड़बड़ियां अंजाम दी। जांच में यह भी सामने आया है कि 90 फीसदी अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट्स के उत्तर विकल्प भरने में एक से अधिक इंकशेड व पैटर्न इस्तेमाल हुए थे।

किसके जरिए भर्ती हुए लोग, पता लगाने में जुटी टीम
भंडारण निगम में तो कई अभ्यर्थियों के फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरियां दी गई। संस्थागत सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव की तरह भंडारण निगम के तत्कालीन एमडी ओमकार यादव ने भी कंप्यूटर एजेंसी की उस हार्ड डिस्क गायब कर दी, जिसमें परीक्षा से संबंधित सारा डेटा था। अब एसआईटी चुने गए अभ्यर्थियों के बारे में जानकारी एकत्र कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किसी नेता और अधिकारी के जरिए भर्ती होने में सफल हुए थे और उन्होंने इसके लिए कितनी रकम दी थी।

ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी राम प्रवेश की कंपनी को मिला काम
सहकारिता व ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड एक ही व्यक्ति आरपी यादव है। हाल ही में एसआईटी ने राम प्रवेश यादव समेत 11 लोगों को ग्राम विकास व ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया था। एसआईटी की पड़ताल में सामने आया था कि आरपी यादव एक्सेस डिजीनेट कंपनी संचालित करता है। सहकारिता की सात में छह भर्तियों का काम इसकी कंपनी के पास था। सहकारिता भर्तियों की जांच के बाद इसकी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।

नौकरी के लिए वसूले गए 10 से 20 लाख रुपये
इसके बाद ग्राम विकास व ग्राम पंचायत अधिकारियों की भर्ती में इसने अपने यहां काम करने वाले कमलेश उर्फ कोमल की कंपनी केडी इंटरप्राइजेज को काम दिलवा दिया। इसके बाद दलालों के जरिए 200 से ज्यादा अभ्यर्थियों से संपर्क किया। उनका चयन कराने के एवज में 10 से 20 लाख रुपये तक वसूले। सहकारिता भर्ती घोटाले की तरह ग्राम विकास व ग्राम पंचायत अधिकारी भर्ती घोटाले में भी बड़े पैमाने पर ओएमआर शीट में गड़बड़ी की बात सामने आई थी। उसमें अभ्यर्थियों से सेटिंग हुई थी कि वे ओएमआर शीट पर सिर्फ अपनी डिटेल भरकर हस्ताक्षर करके जमा कर देंगे। इसके बाद स्कैनिंग से उनकी ओएमआर शीट को बाहर मंगवाकर भरा गया। जिन कर्मचारियों की मदद से शीट बाहर मंगवाई गईं वे सभी उन्हें मोड़कर लाए। इसी आधार पर एसआईटी ने गड़बड़ियां पकड़ीं थीं।

जल्द हो सकती है गिरफ्तारियां
सहकारिता भर्ती घोटाले में शासन ने मामले की विवेचना को युद्धस्तर पर कराने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में आरोपितों के खिलाफ एसआईटी को तमाम फरेंसिक साक्ष्य जांच के दौरान ही मिल चुके हैं। पहले दर्ज हुए एक मुकदमे और इन छह मुकदमों में एसआईटी गिरफ्तारी की कार्रवाई जल्द शुरू कर सकती है। हालांकि आरोपित अपने बचाव के लिए कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। जानकारी के मुताबिक भर्ती के मानकों में नियमों के खिलाफ जाकर किए गए बदलाव, ओएमआर शीट और कम्प्यूटर एजेंसी के चयन में हुई गड़बड़ियों के पर्याप्त साक्ष्य एसआईटी के पास हैं।

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