Unhrc: Resolution Against Israel, Violent Conflict Will Be Investigated As War Crime – यूएनएचआरसी: इस्राइल में हिंसक संघर्ष की जांच युद्ध अपराध के तौर पर होगी, जानिए भारत का रुख
सात वर्षों में तीसरी बार जिनेवा में मानवाधिकार परिषद ने इस तरह का पैनल तय किया है। हालांकि यह दो अन्य से भिन्न था। इस्राइल के विरुद्ध पहली बार बहुमत से गठित होने वाले जांच पैनल को अनिश्चित काल तक जांच को आगे बढ़ा सकता है। इस प्रस्ताव में हमास या अन्य फलस्तीनी आतंकी समूहों का जिक्र नहीं होने के कारण आलोचकों ने इसमें संतुलन की कमी का हवाला भी दिया है। प्रस्ताव पर हुए मतदान में 14 देश वोटिंग प्रक्रिया से बाहर रहे, जिनमें भारत भी शामिल है। भारत ने यूएनएचआरसी में दोहराया कि वह फलस्तीनियों के मुद्दों के साथ खड़ा है। मतदान से बाहर रहने वाले दूसरे देशों में फ्रांस, इटली, जापान, नेपाल, नीदरलैंड, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, फिजी, बहमास, ब्राजील, डेनमार्क, टोगो और यूक्रेन शामिल हैं। फलस्तीनियों के अधिकारों को लेकर बुलाए गए इस खास सत्र में ओआईसी से जुड़े इस्लामी देश एकजुट होकर फलस्तीन नागरिकों को पक्ष में खड़े रहे।
इस्राइल भड़का, कहा- हमास आतंकियों से बचने के लिए हमने यह कार्रवाई की
इस्राइल के प्रधानमंत्री ने का कहना है कि उसने हमास आतंकियों के रॉकेट हमलों से बचने के लिए हवाई हमले किए थे। नेतन्याहू ने कहा कि यूएनएचारसी ने जानबूझकर इस्राइलियों को निशाना बनाया और गाजा के लोगों को ढाल की तरह इस्तेमाल करते हुए उनके अपराधों पर परदा डाल दिया है। उन्होंने कहा, हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और हमें इस संघर्ष में मानवाधिकार संस्था ने दोषी पक्ष करार दिया है। यह वैश्विक नियमों का मजाक है और दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए प्रोत्साहन देने वाला साबित होगा।
यूएनएचआरसी पाखंडपूर्ण संस्था
इस्राइली विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर यूएनएचआरसी में पारित प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उसने कहा, यूएनएचआरसी एक पाखंडपूर्ण संस्था है। इस्राइल पर एक आतंकी संगठन ने 4,300 रॉकेट हमले किए लेकिन उसके खिलाफ निंदा प्रस्ताव तक नहीं लाया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रस्ताव में हमास जिक्र तक नहीं है, जबकि उसने हमारे रिहाइशी क्षेत्रों में रॉकेट गिराकर एक तरह का वैश्विक युद्ध अपराध किया है।
इन देशों ने किया पक्ष में मतदान
इस्राइल के खिलाफ मतदान प्रस्ताव के पक्ष में चीन, रूस और पाकिस्तान ने मत दिया। इनके अलावा बांग्लादेश, फिलीपींस, अर्जेंटीना, बहरीन, क्यूबा, इंडोनेशिया, लीबिया, मेक्सीको, नामीबिया, उजबेकिस्तान, सोमालिया और सूडान ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इनके अलावा इस्लामी देश इस्राइल के खिलाफ एकजुट रहे।
इस्राइल का साथ देने वाले देश
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इस्राइल के पक्ष में जो देश खड़े रहे उनमें ब्रिटेन समेत ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, कैमरून, चेक रिपब्लिक, जर्मनी, मलावी, मार्शऑल आईलैंड्स और उरुग्वे शामिल हैं। इस्राइल के मित्र देशों ने इस बैठक का विरोध किया। अमेरिका यूएनएचआरसी में 47 सदस्य देशों में शामिल नहीं है। इसलिए वह मतदान में हिस्सा नहीं ले सका। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को संस्था से बाहर कर लिया था।
भेदभाव और दमन की भी होगी जांच
यूएनएचआरसी द्वारा गठित जांच आयोग गाजा संघर्ष की जड़ तक जांच करेगा। पारित हुए प्रस्ताव के मुताबिक, अस्थिरता, हिंसक संघर्ष के बचाव, भेदभाव और दमन की भी जांच होगी। इसमें कुछ देशों से हथियारों की आपूर्ति को लेकर भी टिप्पणी की गई है और कहा गया है कि यह मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर हनन है। इस टिप्पणी का निशाना उन देशों पर है जो इस्राइल को हथियार देते हैं।
इस्राइल ने कहा- खुद शीशे के घर में रहता है पाकिस्तान
अक्सर इस्राइल पर हमलावर रहने वाले पाकिस्तान पर इस्राइल ने पहली बार खुलेआम सख्त टिप्पणी की है। पाकिस्तान ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल फॉरेन मिनिस्टर्स पब्लिक डिप्लोमेसी से ट्वीट किया कि फलस्तीन व पूर्वी येरूळसम में मानवाधिकारों के भयावह स्थिति पर पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी संबोधित करेंगे।
इसके जवाब में इस्राइली विदेश मंत्रालय के महाप्रबंधक अलोन उश्पिज ने ट्वीट किया कि मानवाधिकार चैम्पियन पाकिस्तान तो वास्तव में शीशे के घर में रह रहा है। मध्य-पूर्व में इस्राइल एकमात्र लोकतंत्र है जिसे पाकिस्तान ज्ञान दे रहा है। यह पाखंड की अच्छी मिसाल है। उन्होंने मानवाधिकार पर तैयार एक रिपोर्ट का लिंक भी लगाया है जिसमें पाकिस्तान के भीतर मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई गई है।