The peculiar argument of the people – the government wants to kill us so that pension does not have to be paid; People in Bihar Kesari village are reluctant to take second dose | लोगों का अजीब तर्क- सरकार हमें मारना चाहती है ताकि पेंशन न देना पड़े; बिहार केसरी के गांव में लोग दूसरी डोज लेने से कतरा रहे
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18 मिनट पहलेलेखक: कमल किशोर विनीत और अभिषेक मिश्र
कोरोना से उपजे हालात को लेकर लोगों में अलग तरह की नाराजगी है। गांवों में जाएं तो कुछ लोग तर्क के साथ पाबंदियों का विरोध करते हैं तो कुछ अजीब तर्क देते हुए सरकार को कोसते हैं। भास्कर टीम जब बिहार के शेखपुरा के गांवों में पहुंची तो लोगों ने इसी तरह से अपनी बात रखी। पढ़ें, ग्राउंड रिपोर्ट…
शेखपुरा के दो गांवों का हाल जुदा है। एक ओर बिहार के पहले मुख्यमंत्री बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह के पैतृक गांव माउर के अब तक 70% लोगों ने कोरोना का टीका लगवा लिया है, दूसरी ओर जिले के अंतिम छोर पर स्थित पानापुर गांव में पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज लेने में ग्रामीण कतरा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि टीके की पहली डोज लेने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। इसलिए अब वे दोबारा टीका नहीं लगवाएंगे।
पानापुर गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में बैठी हेल्थ वर्कर क्रांति कुमारी कहती हैं कि पिछले महीने ग्रामीणों को वैक्सीन दी गई। इसके बाद कुछ लोगों को बुखार की शिकायत हो गई। लोग बता रहे हैं कि सरकार साजिश रचकर हम लोगों को मारना चाहती है ताकि वृद्धा अवस्था पेंशन नहीं देनी पड़े। इसलिए अब हम लोग टीका नहीं लगवाएंगे।
वहीं, गांव की आंगनबाड़ी वर्कर रेखा देवी ने बताया कि ग्रामीण धमकी दे रहे हैं। अगर वे उन्हें फिर से टीका लगाने के लिए कहेंगी तो वे लोग पिटाई कर देंगे और सिर फोड़ देंगे।
कोरोना से किसी की मौत नहीं
2400 की आबादी वाले पानापुर गांव के ग्रामीणों का दावा है कि अब तक यहां कोरोना का कोई मरीज नहीं मिला और न ही किसी की जान गई है, तो वे लोग टीका क्यों लगवाएं? टीका लगवाने के बाद ही बुखार और सर्दी-खांसी हो गई। यह बीमारी से बचाने के लिए नहीं, बल्कि मार देने के लिए लगाया जा रहा है।
पानापुर गांव में लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आती।
माउर में घर-घर जाकर युवा कर रहे जागरूक
बरबीघा प्रखंड के माउर गांव में 12 युवाओं की टोली घर-घर जाकर लोगों से वैक्सीनेशन की अपील कर रही है। इसकी खासियत यह रही कि गांव के पात्र लोगों में अब तक 70% लोगों ने टीके की दोनों डोज ले ली है।
ग्रामीण राजवर्धन बताते हैं कि अप्रैल महीने की शुरुआत में जब कोरोना का पहला मरीज मिला था। तभी गांव के युवाओं ने लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया।
वे कहते हैं कि अब तक दो बार कैंप लगाकर गांव के सभी लोगों की जांच कराई जा चुकी है। साथ ही कैंप लगाकर ही लोगों को टीका भी दिया जा रहा है। वैसे कुछ ग्रामीण नजदीकी अस्पताल जाकर वैक्सीनेशन करवा रहे हैं।
25 संक्रमित मिले, किसी की मौत नहीं
गांव के रामप्रवेश कहते हैं कि युवाओं की मुस्तैदी का आलम यह रहा कि अब तक हुई जांच में केवल 25 लोग ही संक्रमित मिले हैं। खासकर जो संक्रमित मिले, उनके घर का दूसरा कोई व्यक्ति पीड़ित नहीं मिला।
गांव के अमृत, अमन, प्रियांशु, किसलय और अन्य युवकों ने संक्रमित मरीजों को आइसोलेट किया। इससे 4500 लोगों की आबादी वाले इलाके में संक्रमण नहीं फैल सका।
डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी गाना गाकर मरीजों का हौंसला बढ़ाते हैं।
गाना गाकर मरीजों का हौसला बढ़ाते हैं डॉक्टर
कोविड केयर सेंटर में मरीजों की देखभाल में लगे डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी गाना गाकर उनका हौसला बढ़ाते हैं। सुबह भजन और शाम को मनोरंजन का कार्यक्रम चलता है। मरीज के परिजनों ने बताया कि इससे हमारा हौसला बढ़ता ही है, मरीजों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।