Sheila Dikshit On Delhi Cm Remarks On Sc Order Says Power Doesn Depend On The Number Of Seats You Have | केजरीवाल के बयान पर बोलीं शीला दीक्षित- शक्ति आपकी सीटों की संख्या पर निर्भर नहीं करती

केजरीवाल के बयान पर बोलीं शीला दीक्षित- शक्ति आपकी सीटों की संख्या पर निर्भर नहीं करती



दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कोर्ट के इस फैसले से नाखुश नजर आए. उन्होंने इस फैसले को जनता और जनतंत्र के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा, जो सरकार इतने भारी बहुमत से चुनकर आती है अगर उसके पास काम करने की शक्तियां नहीं होगी, तो काम कैसे करेंगे. अब इस मामले में  दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित का बयान भी सामने आया है.

दरअसल शीला दीक्षित से जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर राय मांगी गई तो उन्होंने कहा, संविधान में दिल्ली सरकार की शक्तियों के बारे में बताया गया है. दिल्ली सरकार की शक्तियां असीमीत नहीं है. केंद्र, उपराज्यपाल और गृह मंत्रालय दिल्ली में काफी सारी चीजें देखते हैं.

उन्होंने कहा, अगर जरूरत हो तो चीजों में बदलाव करें, लेकिन लड़ना समस्या का समाधान नहीं है. शीला दीक्षित ने कहा, शक्ति इस चीज पर निर्भर नहीं करती कि आपके पास कितनी सीट हैं.

क्या कहा था केजरीवाल ने?

दरअसल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि तीन सीट वाली पार्टी ट्रांसफर तय करेगी. अब क्या भ्रष्टाचार रोकने के लिए हम विपक्ष से बोलें. केजरीवाल ने कहा था, विवाद का समाधान अब जनता करेगी. दिल्ली के लोगों को उनका अधिकार मिलना चाहिए. दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. मैं दिल्ली के लोगों से अपील करना चाहता हूं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर आम आदमी पार्टी को जिताएं, ताकि हम दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग लोकसभा में उठा सकें.

क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए  केंद्र की इस अधिसूचना को बरकरार रखा कि दिल्ली सरकार का एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) भ्रष्टाचार के मामलों में उसके कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकता. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्त करने का अधिकार होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि, दिल्ली सरकार के पास बिजली आयोग या बोर्ड नियुक्त करने या उससे निपटने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल के बजाय दिल्ली सरकार के पास पब्लिक प्रॉसिक्यूटर या कानूनी अधिकारियों को नियुक्त करने का अधिकार होगा. भूमि राजस्व की दरें तय करने समेत भूमि राजस्व के मामलों को लेकर अधिकार दिल्ली सरकार के पास होगा.

इसके साथ सुप्रीम कोर्ट ने एलजी को भी चेताया और कहा कि उपराज्यपाल को अनावश्यक रूप से फाइलों को रोकने की जरुरत नहीं है और राय को लेकर मतभेद होने के मामले में उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाना चाहिए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ की इस सवाल पर अलग-अलग राय रही कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सेवाओं पर नियंत्रण किसके पास है. राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर अपना खंडित फैसला कोर्ट ने बड़ी पीठ के पास भेज दिया.

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