type a blood group people are more likely to contract coronavirus says new study | ‘ए’ ब्लड ग्रुप वालों को है कोरोना वायरस संक्रमण का अधिक खतरा, रिसर्च का दावा

नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus) को लेकर अब तक कई शोध हैं जिनमें ऐसे कई अंतर्निहित कारणों के बारे में बताया गया है जिनकी वजह से नए कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 इंफेक्शन (Covid-19) का खतरा अधिक है. अब एक नई रिसर्च हुई है जिसमें ये सबूत मिले हैं कि आपका ब्लड ग्रुप (Blood Group) क्या है, यह भी कोरोना वायरस से आपके संक्रमित होने में एक अहम भूमिका निभा सकता है। एक नई स्टडी की मानें तो जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ए है, उन्हें कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा अधिक है. 

मरने वाले एक तिहाई लोग ए ब्लड ग्रुप के ही थे

इस स्टडी की मानें तो अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से जिन 5 लाख 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई उनमें से 1 तिहाई लोग ऐसे थे जिनका ब्लड ग्रुप ए (A Blood Group) था. ए ब्लड ग्रुप वाले ये लोग इस वायरस की चपेट में जल्दी आ गए और कोविड-19 से संक्रमित होने की वजह से उनकी मौत हो गई. शोधकर्ता इस बारे में बताते हैं कि इस नए कोरोना वायरस में एक खास तरह का प्रोटीन होता है जिसे- रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) कहा जाता है. यह आरबीडी खास तौर पर ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों के फेफड़ों में मौजूद श्वसन कोशिकाओं (रेस्पिरेटरी सेल्स) की तरफ आकर्षित होता है.

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ए ब्लड ग्रुप ने वायरस के आरबीडी के प्रति अधिक प्रतिक्रिया दिखायी

इस स्टडी को ब्लड अडवांसेज नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इस स्टडी में यह भी सुझाव दिया या है कि शोध में जो नई बात सामने आयी है कि उसकी मदद से कुछ नई और संभावित दवाइयों या तकनीक की खोज की जा सकती है ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके. अमेरिका के ब्रिघम एंड वीमेन्स हॉस्पिटल की एक रिसर्च टीम ने इस बात की जांच की कि आखिर A, B और O- ये तीनों ब्लड ग्रुप, इस आरबीडी प्रोटीन की तरफ किस तरह का रिऐक्शन देते हैं और पाया गया कि ए ब्लड ग्रुप इस प्रोटीन की तरफ सबसे अधिक प्रतिक्रियाशील था.

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ए ब्लड ग्रुप वालों के एंटीजेन को वरीयता देता है वायरस

पैथोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सीन स्टोवेल कहते हैं, ‘यह देखना बेहद दिलचस्प है कि वायरल RBD, केवल A ब्लड ग्रुप वाले लोगों के रेस्पिरेटरी सेल्स में मौजूद एंटीजेन को ही वरीयता देता है. अधिकतर लोग यही मानते हैं कि संभवतः वायरस अधिकांश रोगियों में इसी तरह से प्रवेश करता है और उन्हें संक्रमित करता है. ब्लड ग्रुप का टाइप एक चैलेंज है क्योंकि हर व्यक्ति इसे वंशानुगत रूप से प्राप्त करता है और ये कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम बदल पाएं. लेकिन अगर हम बेहतर तरीके से यह समझ लें कि वायरस, लोगों के ब्लड ग्रुप पर किस तरह  से परस्पर प्रभाव डालता है, तो हम नई दवाओं या रोकथाम के तरीकों को खोजने में सक्षम हो सकते हैं.’   

SARS बीमारी में भी यही पैटर्न देखने को मिला था

इससे पहले SARS-CoV वायरस जिसकी वजह से सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) की बीमारी हुई थी उसमें भी यही देखने को मिला था कि वायरस के आरबीडी ने ए ब्लड ग्रुप वाले के रेस्पिरेटरी सेल्स में मौजूद एंटीजेन को वरीयता दी थी मरीज के शरीर में प्रवेश करने के लिए.   

(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. Zee News इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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