Ind vs Eng 2nd test: Five reasons why England lost to team india in chennai test – Ind vs Eng 2nd test: चेपॉक का वही मैदान… और जो रूट की टीम चारों खाने चित, इंग्लैंड की हार के 5 कारण
नई दिल्ली:
India vs England 2nd test: वहीं चेन्नई का मैदान….लेकिन परिणाम एकदम उलट. चेन्नई टेस्ट में खेले गए पहले टेस्ट में जहां भारतीय टीम को करारी हार का सामना करना पड़ा था, वहीं इसी चेपॉक मैदान पर दूसरे टेस्ट में विराट कोहली ब्रिगेड पूरी तरह बदले स्वरूप में नजर आई. भारतीय टीम ने दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड को 317 रन से हराकर चार टेस्ट की सीरीज 1-1 से बराबर कर ली है. मैच में इंग्लैंड की टीम अपने प्रतिद्वंद्वी के आगे हर क्षेत्र में पिछड़ी नजर आई और इसी के कारण उसे हार का सामना करना पड़ा. मौजूदा भारतीय टीम की यही सबसे बड़ा प्लस प्वॉंइंट है कि किसी मैच में हारने के बाद यह तुरंत पलटवार करना अच्छी तरह से जानती है. जहां तक मेहमान इंग्लैंड टीम की बात हैं तो पहले टेस्ट की जीत की उसकी खुमारी दूर गई है और उसके अगले मैचों में अच्छा प्रदर्शन कर सीरीज हार से बचने के लिए कमर कसनी होगी. नजर डालते हैं, दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड की हार के पांच कारणों पर..
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टर्निंग ट्रैक पर ज्यादातर बल्लेबाजों की खेलने में नाकामी
पहले टेस्ट की तुलना में दूसरे टेस्ट में जो पिच इस्तेमाल की गई, उसमें टर्न ज्यादा था. इस विकेट पर बल्लेबाजी करना चुनौती से कम नहीं था. पहले दिन से ही विकेट टर्न कर रहा था. मेहमान इंग्लैंड टीम की बात करें तो कप्तान जो रूट के अलावा टर्निंग ट्रैक पर क्वालिटी स्पिन गेंदबाजी का सामना करने योग्य उसके पास धाकड़ बल्लेबाज नहीं है. भारतीय फिरकी गेंदबाजों ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी की इस कमजोरी का पूरा फायदा उठाया और पहले दिन से ही मेहमानों पर दबाव बनाया.
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जो रूट का न चल पाना
मौजूदा इंग्लैंड टीम की बात करें तो इसकी धुरी, कप्तान जो रूट के केंद्र के इर्दगिर्द ही घूमती है. पहले टेस्ट में रूट ने दोहरा शतक जड़ा तो इंग्लैंड टीम की ने जीत हासिल की. माइकल वॉन, इयान बेल और केविन पीटरसन के दौर की पुरानी इंग्लैंड टीम में कम से कम दो-तीन प्लेयर बल्लेबाजी का दारोमदार संभालते थे. इस टीम में काफी कुछ रूट पर ही निर्भर नजर आ रहा. पहले टेस्ट में वे चले तो इंग्लैंड जीता और दूसरे टेस्ट में नहीं चले तो इंग्लैंड ढेर हो गया.
इंग्लैंड के मुकाबले ज्यादा धारदार लगे भारत की स्पिनर
टर्निंग विकेट पर इंग्लैंड के लिए स्पिनर की जिम्मेदारी जैक लीच और मोईन अली ने संभाली. अनियमित गेंदबाज के रूप में कप्तान रूट भी इनके साथ नजर आए. मेजबान टीम के इस स्पिन आक्रमण की तुलना भारत की आर. अश्विन, कुलदीप यादव और अक्षर पटेल की तिकड़ी से करें तो यह उसके समकक्ष नहीं ठहरता. सपोर्टिंग विकेट पर अश्विन तो मारक होते ही हैं, अपने डेब्यू टेस्ट में अक्षर ने भी कमाल का प्रदर्शन किया. चाइनामैन कुलदीप यादव ने दूसरी पारी में दो विकेट लिए जो उनका आत्मविश्वास बढ़ाने वाले रहे.
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जोफ्रा आर्चर का उपलब्ध न हो पाना
विकेट कैसा भी हो, जोफ्रा आर्चर ऐसे गेंदबाज हैं जो अपनी गति और बाउंस से बल्लेबाजों को भयभीत करने की क्षमता रखते हैं. स्टीव स्मिथ जैसे बल्लेबाज को भी वे अपनी शार्ट पिच गेंदबाजी से ‘भयभीत’ कर चुके हैं. बेशक चेन्नई का विकेट टर्निंग विकेट था और तेज गेंदबाजों के लिए इसमें उछाल हासिल करना आसान नहीं था लेकिन आर्चर और जेम्स एंडरसन जैसे तेज गेंदबाज संभवत: ब्रॉड और स्टोन की तुलना में बेहतर विकल्प होते लेकिन आर्चर चोटिल हैं और एंडरसन को इंग्लैंड ने रोटेट किया.
डोमिनिक बीस को न खिलाना
दूसरे टेस्ट का विकेट काफी घुमावदार था, इसमें दो स्पिनर के बजाय तीन स्पिनरों के साथ उतना इंग्लैंड के लिए अच्छा विकल्प होता. वह पहले टेस्ट में खेले ऑफ ब्रेक बॉलर डोमिनिक बीस को भी प्लेइंग XI में रखने के बारे में सोच सकता था. वे विकेट के ‘रफ’ का इस्तेमाल करके बाएं हाथ के बल्लेबाजों जैसे ऋषभ पंत और अक्षर पटेल के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते थे. बीस ने पहले टेस्ट की पहली पारी में चार और दूसरी पारी में एक विकेट लिया था लेकिन इसके बावजूद उन्हें दूसरे टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में जगह न देने का इंग्लैंड टीम प्रबंधन का फैसला सही नहीं माना जा सकता. वह भी ऐसे विकेट पर जिस पर गेंद काफी घूम रही हो.