Budget 2021: पेट्रोल पर 2.5 रुपये और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर का सेस, क्या आपकी जेब पर असर पड़ेगा?

Budget 2021: पेट्रोल पर 2.5 रुपये और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर का सेस, क्या आपकी जेब पर असर पड़ेगा?

सरकार ने सेस बढ़ाया है तो दूसरी तरफ एक्साइज ड्यूटी घटा दी है. यानी सेस बढ़ाने और एक्साइज ड्यूटी घटाने से टैक्स का प्रस्ताव न्यूट्रल हो जाएगा. इसलिए सेस लगने पर भी ग्राहकों की जेब पर इसका फिलहाल कोई असर नहीं होगा.

नई दिल्ली: बजट में पट्रोल पर 2.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर कृषि बुनियादी ढांचा उपकर (सेस) लगाया गया है. नया कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर कल यानी 2 फरवरी से लागू होगा. लेकिन उपभोक्ताओं को इस उपकर के बोझ से बचाने के लिए इसी अनुपात में उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में कटौती का भी फैसला किया है.

 

सरकार ने अर्थव्यवस्था के इन दो प्रमुख क्षेत्रों में आवश्यक बड़े निवेश के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए सेस लगाने का कदम उठाया है, जो देश को विकास की राह पर वापस लाने की कुंजी है. हालांकि, देशभर में पहले से ही ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर पहुंच चुके दोनों पेट्रोलियम उत्पादों (पेट्रोल और डीजल) के खुदरा मूल्य को अतिरिक्त उपकर के प्रभाव से बचाने के लिए भी उपाय किए गए हैं. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि मूल उत्पाद शुल्क और पेट्रोल और डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क की दरें मौजूदा स्तरों से कम की जा रही हैं.

 

आसान भाषा में इसका क्या मतलब है?

 

कुल मिलाकर, कृषि और बुनियादी ढांचा उपकर ऑटो ईंधन पर कराधान के स्तर को बढ़ाएगा, वहीं उत्पाद शुल्क में कमी करने से बजट कर में कर का प्रस्ताव तटस्थ यानी न्यूट्रल हो जाएगा, जो तेल विपणन कंपनियों को पेट्रोल और डीजल के खुदरा मूल्य को नए अधिरोपण (इंपोजिशन) के आधार पर बढ़ाने से दूर रखेगा. आसान शब्दों में कहें तो सेस बढ़ाने के साथ ही एक्साइज ड्यूटी घटा दी गई है. पेट्रोल और डीजल पर कृषि सेस लगाए जाने के साथ ही मौलिक उत्पाद शुल्क (बीईडी) और विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) को कम किया गया है. इस कारण कृषि सेस लगने पर भी ग्राहकों की जेब पर फिलहाल कोई असर नहीं पड़ेगा.

 

पिछले पांच दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है, लेकिन इससे पहले जनवरी में तो इसके दामों में 10 बार बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. पेट्रोलियम उद्योग से जुड़े एक विशेषज्ञ ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया, “पेट्रोल और डीजल कर की वर्तमान दर इसकी उच्च खुदरा कीमतों का प्रमुख कारण है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और टैक्स को कम करना चाहिए, ताकि ऑटो ईंधन की कीमतें दायरे में रहें.”

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