जानें- कौन हैं आरसीपी सिंह जिन्हें नीतीश बता रहे हैं JDU में अपना उत्तराधिकारी
जानें- कौन हैं आरसीपी सिंह जिन्हें नीतीश बता रहे हैं JDU में अपना उत्तराधिकारी
बिहार चुनाव प्रचार के अंतिम दिन CM नीतीश कुमार ने कहा था कि अंत भला तो सब भला, ये अंतिम चुनाव है. हालांकि बाद में कहा कि वो अंतिम चरण का चुनाव था, इसलिए ऐसा कहा था, लेकिन अब नीतीश ने खुद ही अपने सियासी वारिस के तौर पर आरसीपी सिंह के नाम का संकेत दिया है. नीतीश और आरसीपी सिंह सिर्फ दोस्त ही नहीं बल्कि एक ही जिले और एक ही जाति से आते हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार का राजनीतिक उत्तराधिकारी राज्यसभा में संसदीय दल के नेता रामचंद्र प्रसाद सिंह हैं. यह बात जेडीयू के किसी दूसरे नेता ने नहीं कही बल्कि नीतीश कुमार ने खुद पार्टी कार्यकर्ताओं से कही है कि उनके बाद सब कुछ आरसीपी सिंह ही देखेंगे. बिहार चुनाव प्रचार के अंतिम दिन CM नीतीश कुमार ने कहा था कि अंत भला तो सब भला, ये अंतिम चुनाव है. हालांकि बाद में कहा कि वो अंतिम चरण का चुनाव था, इसलिए ऐसा कहा था, लेकिन अब नीतीश ने खुद ही अपना सियासी वारिस के तौर पर आरसीपी सिंह के नाम का संकेत दिया है.
शरद यादव के बाहर होने के बाद से आरसीपी सिंह जेडीयू में नंबर दो की सियासी हैसियत वाले नेता माने जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वो खासमखास माने जाते हैं और साये की तरह साथ रहते हैं. कहा जाता है कि बिहार में शायद ही ऐसा कोई फैसला हो, जो नीतीश कुमार ने बिना आरसीपी सिंह की सलाह के लिया हो. आरसीपी सिंह सिर्फ नीतीश कुमार के राजनीतिक, रणनीतिकार और सियासी सलाहकार ही नहीं बल्कि उन्हीं के कुर्मी समुदाय से आते हैं.
आरसीपी सिंह का सियासी सफर
बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में 6 जुलाई 1958 को जन्में आरसीपी सिंह के पिता का नाम स्वर्गीय सुखदेव नारायण सिंह था. माता का नाम स्वर्गीय दुख लालो देवी. आरसीपी सिंह की शुरुआती शिक्षा हाइस्कूल, हुसैनपुर, नालंदा और पटना साइंस कॉलेज से हुई. बाद में जेएनयू में पढ़ने के लिए गए. राजनीति में शामिल होने से पहले आरसीपी सिंह प्रशासनिक सेवा में रहे. उत्तर प्रदेश कैडर से आईएएस रहे, वो रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर के जिलाधिकारी रहे. इस दौरान आरसीपी सिंह की सपा के कद्दावर नेता रहे बेनी प्रसाद वर्मा से नजदीकियां बढ़ी.
बेनी प्रसाद वर्मा ने नीतीश से मिलाया
बेनी प्रसाद वर्मा केंद्रीय संचार मंत्री थे तो आरसीपी सिंह उनके निजी सचिव थे. इसके बाद नीतीश कुमार रेल मंत्री बने तो बेनी प्रसाद वर्मा ने उनसे आरसीपी सिंह का परिचय कराया और उन्हें अपने साथ रखने की सलाह दी थी. नीतीश कुमार ने इसी के बाद उन्हें अपना निजी सचिव रखा था. इतना ही नहीं नीतीश मुख्यमंत्री बने तो वह पांच सालों तक उनके प्रधान सचिव रहे. उसके बाद नीतीश जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी को अपना प्रधान सचिव बनाया. फिर उन्हें राजनीति में ले आए, और अब राज्यसभा का सांसद बना दिया, तब से दोनों नेताओं के बीच अच्छी केमिस्ट्री है.
नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच दोस्ती इसलिए भी गहरी हुई, क्योंकि दोनों ही बिहार के नालंदा से हैं और एक ही जाति से आते हैं. जेडीयू से राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के बाद नंबर दो की हैसियत रखते हैं. चुनावों में रणनीति तय करना, प्रदेश की अफसरशाही को कंट्रोल करना, सरकार की नीतियां बनाना और उनको लागू करने जैसे सभी कामों का जिम्मा उनके कंधों पर है. इसीलिए उन्हें ‘जेडीयू का चाणक्य’ भी कहा जाता है. यही वजह है कि नीतीश उन्हें अपने उत्तराधिकारी के तौर पर देख रहे हैं.