kisano ka andolan kya khatm ho gya bku bhanu ke neta bhnu pratap singh ne diya yah jawab: किसानों का आंदोलन क्या खत्म हो गया बीकेयू भानु के नेता भानु प्रताप सिंह ने दिया यह जवाब

हाइलाइट्स:

  • भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने सरकार को सौंपा मांग पत्र
  • सरकार के आश्वासन के बाद बीकेयू (भानु) ने चिल्ला बॉर्डर के कुछ हिस्से को कर दिया है खाली
  • भानु प्रताप सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर किया जमकर हमला, बोले- किसानों को मरवाएंगे क्या

लखनऊ
नए कृषि कानूनों को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है। चिल्ला बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) प्रदर्शन कर रहा था। बीकेयू (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह के साथ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को बातचीत की। इस बातचीत के बाद बीकेयू (भानु) के तेवर कुछ नरम पड़े। बीकेयू (भानु) ने चिल्ला बॉर्डर का कुछ हिस्सा खाली कर दिया। इसके बाद आवाजाही शुरू हो गई।

भानु प्रताप सिंह सरकार की बातचीत के बात मांगों को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं। वहीं, बीकेयू (भानु) के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि वह सभी किसानों के साथ हैं और उनकी मांगें न पूरी हुईं तो भूख हड़ताल करेंगे। एनबीटी ऑनलाइन की ओर से हिमांशु तिवारी ने भानु प्रताप सिंह से बातचीत की है।

सवाल: केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर से आपकी बातचीत हुई है। क्या आपकी मांगें मान ली गई हैं?
जवाब: शनिवार को हमें राजनाथ सिंह ने अपनी कोठी पर बुलाया था। वहां उन्होंने हमारा बहुत सम्मान किया। हम बुजुर्ग हैं उस हिसाब से हमें खूब सम्मान मिला। बीकेयू (भानु) की गाड़ियां कोठी के अंदर गईं। वहां पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद थे। फिर हम चार-पांच लोगों को जलेबियां-पकौड़ा वगैरह खिलाया। इसके बाद हमारी बातचीत शुरू हुई।

जो आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से करेगा हम उसके साथ हैं। जिसमें हमें गंदगी की बू आएगी हम उसके कतई साथ नहीं हैं। यह मांग किसने रख डाली कि वो रिहा होना चाहिए, यह रिहा होना चाहिए। क्या किसी रिहाई के लिए किसान आएगा। क्या हम किसान सभी डकैत-चोर, आतंकियों को रिहा कराएंगे।

भानु प्रताप सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन (भानु)

ये हैं बीकेयू (भानु) की मांगें
भानु प्रताप सिंह ने कहा, ‘हमारी मांग है कि सरकार किसान आयोग का गठन करे। इस किसान आयोग में किसान रहेंगे न कि राजनेताओं को जगह दी जाएगी। किसान आयोग फसलों के दाम तय करेगा, सरकार नहीं। किसान विरोधी नीतियों की वजह से अन्नदाता कर्जदार है, एक-एक पैसे का कर्ज माफ किया जाए। 60 वर्ष की आयु हो जाने के बाद किसान मजदूर को 10 हजार रुपये जीवनयापन भत्ता देना होगा। दुर्घटना में मौत होने पर 1 करोड़ रुपये किसान के परिवारवालों को दिए जाएं। किसानों को बिजली 24 घंटे दी जाए। जहां गन्ना किसानों का बकाया पड़ा है, वहां 10 दिनों में भुगतान किया जाए। पत्रकारों के साथ दुर्घटना में मौत पर उसके परिवार को 4 करोड़ रुपये दिए जाएं।’

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‘…तो हम धरना प्रदर्शन खत्म कर देंगे’
भानु प्रताप सिंह ने कहा, ‘हमें एमएसपी वगैरह से कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि जब किसान आयोग होगा तो किसान ही तय करेगा। इन बातों से केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर सहमत दिखे। उन्होंने कहा कि इन बातों को वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखेंगे। उन्होंने हमसे कहा कि चिल्ला बॉर्डर पर नोएडा से, उत्तर प्रदेश से आकर दिल्ली को लोग आते-जाते हैं उन्हें बहुत समस्या हो रही है, इस पर थोड़ी सी जगह खोल दो। हमने कुछ जगह खोल दी। वहां हमने रामायण का पाठ शुरू करा दिया है। जैसे ही वे हमारी मांगें मान लेते हैं तो हम धरना हटा लेंगे।’

हमें राजनाथ सिंह ने अपनी कोठी पर बुलाया था। वहां उन्होंने हमारा बहुत सम्मान किया। हम बुजुर्ग हैं उस हिसाब से हमें खूब सम्मान मिला।

भानु प्रताप सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, बीकेयू (भानु)

सवाल: योगेश प्रताप सिंह का कहना है कि वह भूख हड़ताल शुरू करने जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (भानु) में ही दो अलग-अलग बातें हो रही हैं।
जवाब: इस पर बीकेयू (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा, ‘उनको अभी पता नहीं है कि कितनी मांगें मानेंगे और कितनी नहीं मानेंगे। भूख हड़ताल करेंगे कि क्या करेंगे यह हम उनको समझा लेंगे।’

सवाल: किसानों के इस आंदोलन में राजनीतिक दलों की सक्रियता ज्यादा हो गई है, इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब: आप सब समझ रहे हैं। इसी वजह से हम इसे खत्म करना चाह रहे हैं। अब मेरी 70 साल उम्र है। मुझे 40 साल का अनुभव है। ये सभी लड़के हैं अभी। एकबात बताइए कि किसानों की इस लड़ाई को जब राजनेता और गुंडे हाइजैक करना चाह रहे हों तो उस लड़ाई को छोड़ देना चाहिए। श्रीकृष्ण भी रणछोड़ कहलाए थे। देश का जब नुकसान हो रहा हो, ऐसे में यह जारी रखना कितना जायज है। राहुल गांधी चिल्ला रहे हैं कि यह आंदोलन नहीं वापस लेंगे। वर्ष 2011 में आपके पास गए थे, वर्ष 2013 में गए थे तब क्या हो गया था। अब कह रहा है कि आंदोलन वापस नहीं लेंगे…मरवाएगा किसानों को। जब वे सम्मान सहित कह रहे हैं कि आपकी मांगें पूरी करेंगे तो क्यों गुंडागर्दी कर रहे हो। लोकतंत्र है, आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन हमारी अपनी जो सोच है उसमें धौंस देने का अधिकार नहीं है कि खालिस्तान वाले आ जाएंगे, पाकिस्तान वाले आ जाएंगे, चीन वाले आ जाएंगे, विदेशी लोग आ जाएंगे। हमारे देश में, इस आंदोलन में क्या विदेशी सहयोग लेंगे हम।

बीकेयू (भानु) के पदाधिकारियों ने की थी मुलाकात

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