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नए कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहे प्रदर्शनों को लेकर बने गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शनिवार को केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की बातचीत बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। अब दोनों पक्षों में छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को होगी। इस दौरान सरकार ने आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधियों से कहा कि उनकी चिंताओं पर ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन किसान संगठनों के नेता कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने बातचीत बीच में छोड़ने की चेतावनी दी। हालांकि, सरकार किसान नेताओं को वार्ता जारी रखने के लिए मनाने में सफल रही। किसानों का दावा है कि इन कानूनों से मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

अपराह्न ढाई बजे शुरू हुई बैठक जब चाय ब्रेक के बाद दोबारा शुरू हुई तो किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में नहीं सोच रही तो वे बैठक छोड़कर चले जाएंगे। ब्रेक में किसान नेताओं ने अपने साथ लाया भोजन और जलपान किया। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने उन्हें बातचीत जारी रखने के लिए मना लिया। मंत्रियों द्वारा रखे गए प्रस्तावों पर बैठक में भाग लेने वाले किसानों के बीच मतभेद भी सामने आया।

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एक सूत्र ने कहा कि सरकार ने किसानों के खिलाफ पराली जलाने के और कुछ किसान कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की भी पेशकश की। मंत्रियों ने शाम को बैठक स्थल पर मौजूद कुल 40 किसान प्रतिनिधियों में से तीन-चार किसान नेताओं के छोटे समूह के साथ बातचीत पुन: शुरू की। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अनेक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के समूह से कहा कि सरकार सौहार्दपूर्ण बातचीत के लिए प्रतिबद्ध है और नए कृषि कानूनों पर उनके सभी सकारात्मक सुझावों का स्वागत करती है।

बाद में केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने पंजाबी में किसान नेताओं को संबोधित किया और कहा कि सरकार पंजाब की भावनाओं को समझती है। एक सूत्र के अनुसार सोम प्रकाश ने किसान नेताओं से कहा, ”हम खुले दिमाग से आपकी समस्त चिंताओं पर ध्यान देने को तैयार हैं।” बैठक में रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए।

केंद्र की ओर से वार्ता की अगुवाई कर रहे तोमर ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ शांतिपूर्ण वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है और किसानों की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती। सूत्रों ने बताया कि कृषि मंत्री ने तीनों कृषि कानूनों पर प्रतिक्रियाओं और सुझावों का स्वागत किया, वहीं कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान नेताओं के साथ पिछले चार दौर की बातचीत की संक्षिप्त जानकारी दी।

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माना जा रहा है कि दोनों पक्षों ने नए कानूनों के तहत प्रस्तावित निजी मंडियों में व्यापारियों के पंजीकरण और विवाद निस्तारण के प्रावधान जैसे विवादास्पद मुद्दों पर चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ महत्वपूर्ण बैठक से पहले राजनाथ सिंह और अमित शाह समेत केंद्रीय मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और प्रदर्शन कर रहे समूहों के सामने रखे जाने वाले संभावित प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया। मुलाकात में तोमर और गोयल भी उपस्थित थे।

इससे पहले राजनाथ सिंह और अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रियों के साथ इस विषय पर चर्चा की। सूत्रों ने कहा कि किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के केंद्र के प्रयासों में अहम भूमिका निभा रहे केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के प्रधानमंत्री के फैसले से नजर आता है कि वह इस संकट को समाप्त किए जाने को कितना महत्व दे रहे हैं। केंद्रीय मंत्रियों और हजारों प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि समूह के बीच बृहस्पतिवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही थी। इसमें किसान नेता तीनों कानूनों को वापस लिये जाने की मांग पर अड़े रहे, जबकि सरकार ने तीनों कानूनों में किसानों द्वारा उठाई गई चिंताओं के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करने तथा उन पर खुले दिमाग से विचार करने की पेशकश की थी।

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किसानों ने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की है और चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तो आंदोलन तेज किया जाएगा तथा राष्ट्रीय राजधानी आने वाले और मार्गों को अवरुद्ध कर दिया जाएगा। सितंबर में लागू तीनों कृषि कानूनों को सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार करार दिया है। वहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को समाप्त कर देंगे। केंद्र सरकार बार-बार इस बात पर जोर दे रही है कि मंडी और एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी तथा इसमें और सुधार किया जाएगा। हजारों की संख्या में किसान सर्दी के मौसम में पिछले नौ दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हैं।

आज की बैठक शुरू होने से पहले ऑल इंडिया किसान सभा के एक पदाधिकारी ने कहा कि नए कृषि कानूनों को रद्द करके ही गतिरोध समाप्त किया जा सकता है। बैठक स्थल से बाहर ‘इंडियन टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन’ (आईटीटीए) के कर्मचारियों को ‘हम किसानों का समर्थन करते हैं’ लिखे बैनर लहराते और नारे लगाते हुए देखा गया। इस संगठन ने प्रदर्शनकारी किसानों की आवाजाही के लिए वाहनों की सुविधा प्रदान की है। आईआईटीए के अध्यक्ष सतीश सहरावत ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ”मैं किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मैं उनकी आशंकाओं को समझ सकता हूं। हमारे महिपालपुर में खेत थे और अब आप वहां टी-3 टर्मिनल देख रहे हैं। हम प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन कर रहे हैं।”

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) राजेवाल के प्रदेश महासचिव ओंकार सिंह अगोल ने कहा, ”हमारी मांग वही है कि सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। हम चाहते हैं कि कानून के तहत एमएसपी की गारंटी हो।” उन्होंने विद्युत संशोधन कानून और पराली जलाने पर लाए गए अध्यादेश को भी रद्द करने की मांग की। पंजाब से भाजपा नेता सुरजीत कुमार जयानी ने अपने पार्टी सहयोगी हरजीत सिंह ग्रेवाल के साथ विज्ञान भवन में प्रवेश करते हुए उम्मीद जताई कि जल्द इस मुद्दे का समाधान निकाल लिया जाएगा।

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