Bawankheri Muder Case: Shabnam And Salim Were Sentenced To Death By Judge Saa Hussaini In 29 Seconds – 100 तारीख, 649 सवाल और 29 गवाहों को सुनने के बाद 29 सेकेंड में जज ने सुना दी शबनम-सलीम को फांसी

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आजादी के बाद किसी महिला को मथुरा जेल में फांसी के फंदे पर लटकाने की तैयारी से एक बार फिर अमरोहा के बावनखेड़ी हत्याकांड की खलनायिका शबनम और उसका प्रेमी सलीम सुर्खियों में आ गए हैं। हत्याकांड से फांसी की सजा तक 100 तारीखों पर 29 गवाहों से 649 सवाल हुए थे। इसके बाद जिला जज एसएए हुसैनी ने 29 सेकेंड में फैसला सुनाते हुए लिखा कि शबनम और सलीम को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए तब तक उनका दम न निकल जाए।

अमरोहा के हसनपुर तहसील क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी निवासी मास्टर शौकत के हंसते खेलते परिवार को 14/15 अप्रैल 2008 की रात मौत की नींद सुला दिया गया था। इस घटना को अंजाम किसी और ने नहीं बल्कि मास्टर शौकत की शिक्षामित्र बेटी शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर दिया था। शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर कत्ल कर दिया था। मासूम भतीजे अर्श की गला दबाकर हत्या की गई थी। इस मामले में अमरोहा कोर्ट में दो साल तीन महीने तक सुनवाई चली थी। इस दौरान 100 तारीखों पर जिरह हुई। 29 गवाहों को 649 सवालों से गुजरना पड़ा। 14 जुलाई 2010 को शबनम और सलीम को इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड में दोषी करार दिया गया। दूसरे दिन 15 जुलाई 2010 को जिला जज एसएए हुसैनी ने शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई थी।

कत्ल से सजा तक की कुछ खास बातें
– 100 तारीखों तक चली जिरह
– 29 गवाहों ने दिए थे शबनम-सलीम के खिलाफ बयान
– 27 महीने तक चली थी केस की सुनवाई
– 14 जुलाई 2010 शबनम और सलीम दोषी करार दिए गए
– 15 जुलाई 2010 को दोनों को सुनाई गई फांसी की सजा
– 29 सेकेंड में जिला जज एसएए हुसैनी ने सुनाई थी फांसी की सजा
– 29 लोगों की हुई गवाही पर सुनाया था फैसला
– 649 सवाल किए गए थे गवाहों से
– 160 पन्नों में दर्ज है सजा की दास्तान
– 03 जिला जजों के कार्यकाल में पूरी हुई सुनवाई

आजादी के बाद किसी महिला को मथुरा जेल में फांसी के फंदे पर लटकाने की तैयारी से एक बार फिर अमरोहा के बावनखेड़ी हत्याकांड की खलनायिका शबनम और उसका प्रेमी सलीम सुर्खियों में आ गए हैं। हत्याकांड से फांसी की सजा तक 100 तारीखों पर 29 गवाहों से 649 सवाल हुए थे। इसके बाद जिला जज एसएए हुसैनी ने 29 सेकेंड में फैसला सुनाते हुए लिखा कि शबनम और सलीम को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए तब तक उनका दम न निकल जाए।

अमरोहा के हसनपुर तहसील क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी निवासी मास्टर शौकत के हंसते खेलते परिवार को 14/15 अप्रैल 2008 की रात मौत की नींद सुला दिया गया था। इस घटना को अंजाम किसी और ने नहीं बल्कि मास्टर शौकत की शिक्षामित्र बेटी शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर दिया था। शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर कत्ल कर दिया था। मासूम भतीजे अर्श की गला दबाकर हत्या की गई थी। इस मामले में अमरोहा कोर्ट में दो साल तीन महीने तक सुनवाई चली थी। इस दौरान 100 तारीखों पर जिरह हुई। 29 गवाहों को 649 सवालों से गुजरना पड़ा। 14 जुलाई 2010 को शबनम और सलीम को इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड में दोषी करार दिया गया। दूसरे दिन 15 जुलाई 2010 को जिला जज एसएए हुसैनी ने शबनम और सलीम को फांसी की सजा सुनाई थी।

कत्ल से सजा तक की कुछ खास बातें

– 100 तारीखों तक चली जिरह

– 29 गवाहों ने दिए थे शबनम-सलीम के खिलाफ बयान

– 27 महीने तक चली थी केस की सुनवाई

– 14 जुलाई 2010 शबनम और सलीम दोषी करार दिए गए

– 15 जुलाई 2010 को दोनों को सुनाई गई फांसी की सजा

– 29 सेकेंड में जिला जज एसएए हुसैनी ने सुनाई थी फांसी की सजा

– 29 लोगों की हुई गवाही पर सुनाया था फैसला

– 649 सवाल किए गए थे गवाहों से

– 160 पन्नों में दर्ज है सजा की दास्तान

– 03 जिला जजों के कार्यकाल में पूरी हुई सुनवाई

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