चंद्रशेखर राव-असदुद्दीन ओवैसी-अमित शाह (फाइल फोटो)
– फोटो : PTI
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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कदम रखा तो भाजपा नंबर दो की पार्टी बन गई और जब भाजपा ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निकाय चुनावों में कदम रखा तो ओवैसी की पार्टी तीसरे नंबर पर चली गई। लेकिन इससे जितनी खुशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को हुई होगी, उतना ही खुश असदुद्दीन ओवैसी भी हुए होंगे। क्योंकि तेलंगाना, ग्रेटर हैदराबाद में धाक जमाए बैठे मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को गहरा झटका लगा है। टीआरएस को केवल 55, भाजपा 48 और ओवैसी की पार्टी को 44 सीटें मिली हैं। टीआरएस को इस चुनाव में 44 सीटों का नुकसान हुआ है।
11 गुणा भाजपा ने बढ़ाया पॉवर
2016 के चुनाव में टीआरएस को 99 सीटें मिली थी। ओवैसी की पार्टी 44 पर ही थी। जबकि भाजपा को केवल चार सीटें मिली थी। इस तरह से टीआरएस को भाजपा ने कड़ी चुनौती दे दी है। अमित शाह ने इसे बड़ी कामयाबी बताते हुए नतीजे पर आश्चर्य व्यक्त किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता, चुनाव प्रबंधन में माहिर भूपेंद्र यादव ने इसे पार्टी की नैतिक जीत बताया है।
गौरतलब है कि भाजपा ने 150 सीटों वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। इसमें प्रचार के लिए जहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद गए थे, वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भाजपा का प्रचार किया था। इतना ही नहीं आखिरी समय में कोविड-19 वैक्सीन की प्रयोगशाला देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैदराबाद गए थे। प्रधानमंत्री की इस यात्रा को भी नगर निगम चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा था।
क्या हैं 48 सीट आने के माने
भाजपा के मैदान में उतरने से नगर निगम चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है। भाजपा चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी बनने में सफल रही और पिछले चुनाव की तरह कांग्रेस पार्टी के जनाधार में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई। 2009 के चुनाव में 52 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2016 में दो सीटें ही जीत सकी थी और इस बार भी उसे केवल दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा। इस तरह से भाजपा ने दक्षिण भारत के राज्य में अपना पैर पसारने के बाद इसे फैलाना शुरू कर दिया है। 2023 में तेलंगाना में राज्य विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि तेलंगाना में भाजपा तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्रसमिति के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कदम रखा तो भाजपा नंबर दो की पार्टी बन गई और जब भाजपा ने ग्रेटर हैदराबाद नगर निकाय चुनावों में कदम रखा तो ओवैसी की पार्टी तीसरे नंबर पर चली गई। लेकिन इससे जितनी खुशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को हुई होगी, उतना ही खुश असदुद्दीन ओवैसी भी हुए होंगे। क्योंकि तेलंगाना, ग्रेटर हैदराबाद में धाक जमाए बैठे मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति को गहरा झटका लगा है। टीआरएस को केवल 55, भाजपा 48 और ओवैसी की पार्टी को 44 सीटें मिली हैं। टीआरएस को इस चुनाव में 44 सीटों का नुकसान हुआ है।
11 गुणा भाजपा ने बढ़ाया पॉवर
2016 के चुनाव में टीआरएस को 99 सीटें मिली थी। ओवैसी की पार्टी 44 पर ही थी। जबकि भाजपा को केवल चार सीटें मिली थी। इस तरह से टीआरएस को भाजपा ने कड़ी चुनौती दे दी है। अमित शाह ने इसे बड़ी कामयाबी बताते हुए नतीजे पर आश्चर्य व्यक्त किया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता, चुनाव प्रबंधन में माहिर भूपेंद्र यादव ने इसे पार्टी की नैतिक जीत बताया है।
गौरतलब है कि भाजपा ने 150 सीटों वाले ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। इसमें प्रचार के लिए जहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद गए थे, वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी भाजपा का प्रचार किया था। इतना ही नहीं आखिरी समय में कोविड-19 वैक्सीन की प्रयोगशाला देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैदराबाद गए थे। प्रधानमंत्री की इस यात्रा को भी नगर निगम चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा था।
क्या हैं 48 सीट आने के माने
भाजपा के मैदान में उतरने से नगर निगम चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है। भाजपा चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी बनने में सफल रही और पिछले चुनाव की तरह कांग्रेस पार्टी के जनाधार में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो पाई। 2009 के चुनाव में 52 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2016 में दो सीटें ही जीत सकी थी और इस बार भी उसे केवल दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा। इस तरह से भाजपा ने दक्षिण भारत के राज्य में अपना पैर पसारने के बाद इसे फैलाना शुरू कर दिया है। 2023 में तेलंगाना में राज्य विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि तेलंगाना में भाजपा तीन साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में तेलंगाना राष्ट्रसमिति के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है।
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