Political factors exist behind the sugar vaccine incident in Brazil | ब्राजील में चीनी वैक्सीन घटना के पीछे राजनीतिक कारक मौजूद

बीजिंग, 14 नवंबर(आईएएनएस)। ब्राजील के राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी ब्यूरो ने हाल में चीनी सिनोवैक और ब्राजीली इंस्टीट्यूटो बुटानटन के साथ सहयोग कर कोरोना वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण को औपचारिक तौर पर बहाल किया। अभी तक चीनी वैक्सीन के खिलाफ संबंधित मामले का स्पष्ट परिणाम निकल आया है।

गौरतलब है कि स्थानीय समय के अनुसार, 9 नवम्बर को ब्राजील के राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी ब्यूरो ने आकस्मिक तौर पर सिनोवैक द्वारा ब्राजील में किए जा रहे वैक्सीन परीक्षण को अस्थाई तौर पर बंद करने की घोषणा की। वजह थी कि टीके के परीक्षण के दौरान एक स्वयं सेवक की मौत हो गई थी। कुछ ब्राजीली राजनीतिज्ञों ने जांच के परिणाम आने से पहले खुलेआम इस मामले को चीनी वैक्सीन की गुणवत्ता से जोड़ा। लेकिन स्थानीय पुलिस ने शीघ्र ही पाया कि इस स्वयंसेवक ने आत्महत्या की है। इंस्टीट्यूटो बुटानटन ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि सिनोवैक की वैक्सीन सुरक्षित है, और स्वयं सेवक की मौत का वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है। इस तरह उपरोक्त स्थिति पैदा हुई।

लेकिन, यह एक सरल घटना नहीं है। इसके पीछे राजनीतिक कारक मौजूद हैं।

सर्वप्रथम, संबंधित प्रक्रिया में कई संदेह हैं। ब्राजीली राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी ब्यूरो का कहना था कि स्वयंसेवक की मौत 29 अक्तूबर को हुई, लेकिन इन्टरनेट पर खींचातनी के चलते इस संस्था को 9 नवम्बर तक इंस्टीट्यूटो बुटानटन द्वारा प्रस्तुत औपचारिक अधिसूचना पत्र पहुंचाया गया। लेकिन बुटानटन के प्रधान डिमास कोवास ने 10 नवम्बर को इस बात को अस्वीकार किया और कहा कि संबंधित डेटा पारदर्शी है, गत 6 नवम्बर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य निगरानी ब्यूरो ने एक दस्तावेज प्राप्त किया है। टीके के परीक्षण को अस्थाई तौर पर बंद करने के बाद ब्राजील में कुछ राजनीतिज्ञों ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को हरा दिया है। इसे जोड़ कर सोचा जाए, तो स्पष्ट है कि वैज्ञानिक मामले का इस देश में राजनीतिकरण हो चुका है।

दूसरा, इस घटना के घटित होने का समय संदेहास्पद है। लोगों का ध्यान इस पर केंद्रित हुआ कि अमेरिका की फाइजर कंपनी ने अभी-अभी सार्वजनिक किया कि उसकी वैक्सीन 90 प्रतिशत तक प्रभावी है। इसके तुरंत बाद, ब्राजील में चीनी वैक्सीन संबंधी गंभीर खराब मामला पैदा हुआ और परीक्षण को अस्थाई तौर पर बंद किए जाने का आदेश मिला। क्या यह संयोग की बात है?

तीसरा, इस मामले के पैदा होने के बाद कुछ पश्चिमी मीडिया ने चीन की वैक्सीन सुरक्षा पर तीखा हमला किया है, इसके पीछे उनका क्या अर्थ है?

वर्तमान में कोविड-19 महामारी सारी दुनिया में फैल रही है। अरबों नागरिकों को उम्मीद है कि वैक्सीन का शीघ्र ही प्रयोग किया जाएगा। टीके के अनुसंधान और विकास के अग्रिम पंक्ति में शामिल होने वाले देश के रूप में चीन के 4 वैक्सीन कई देशों में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण में हैं। प्राप्त प्रारंभिक परिणाम से पता चला है कि चीनी वैक्सीन सुरक्षित है, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय का उच्च मूल्यांकन मिला। उल्लेखनीय बात यह है कि चीन ने कई बार स्पष्ट रूप से प्रतिबद्धता दिखाई है कि वैक्सीन के अनुसंधान और विकास पूरा होने के बाद इसका वैश्विक सार्वजनिक उत्पाद के रूप में प्रयोग किया जाएगा। चीन ने विकासशील देशों में टीकों की पहुंच और उपयोग के लिए योगदान दिया है।

वायरस का कोई राजनीतिक रूख नहीं होता है। मानव जाति को कठिनाइयों से बाहर निकालने के लिए विज्ञान का सम्मान करना चाहिए, साथ ही एकता और सहयोग की भी जरूरत है। अपने राजनीतिक इरादे से टीके का जानबूझकर राजनीतिकरण बनाना खुद को नुकसान पहुंचाना है।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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