Bhopal News: चार अस्पतालों में भटका कम्प्यूटर ऑपरेटर इलाज के अभाव में मौत

Publish Date: | Fri, 19 Jun 2020 04:16 AM (IST)

कोरोना मरीजों और संदिग्धों के इलाज में हो रही लापरवाही

भोपाल। नवदुनिया प्रतिनिधि

लोगों को कोरोना से ज्यादा सरकारी व्यवस्थाएं रुला रही हैं। संदिग्ध व पुष्ट मरीजों के इलाज में लगातार लापरवाही हो रही है। ऐसे में कुछ मरीज मौत के मुंह में जा रहे हैं। इसी तरह की लापरवाही गुरुवार को नगर निगम के कंप्यूटर ऑपरेटर अनूप मजूमदार के साथ हुई, जिससे उनकी मौत हो गई। वह कोरोना संदिग्ध थे। अनूप के छोटे भाई ने बताया कि वह बुधवार सुबह से शाम तक डीआईजी बंगला स्थित एक क्लीनिक, एक मेडिकल कालेज और दो निजी अस्पतालों में भाई को लेकर इलाज के लिए भटकता रहे, लेकिन किसी ने भी उन्हें न तो इलाज दिया और न ही जांच की। सभी इधर-उधर घुमाते रहे। थक हारकर गुरुवार सुबह हमीदिया पहुंचा, यहां इलाज शुरू होता और आक्सीजन सपोर्ट दिया जाता उससे पहले ही भाई की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि भाई को बुधवार को सांस लेने में अचानक तकलीफ हो रही थी। यदि समय पर इलाज मिल जाता तो उनकी जान नहीं जाती।

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कम्प्यूटर ऑपरेटर की मौत के बाद वार्ड कार्यालय सील कर दिया है। सभी कर्मचारियों को होम क्वारंटाइन होने के निर्देश दिए गए है। शुक्रवार को सभी की सैंपलिंग की जाएगी।

वीएस चौधरी कोलसानी, नगर निगम आयुक्त, भोपाल

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रिपोर्ट आने के पहले ही गर्भवती की अस्पताल से छुट्टी, मौत

भोपाल। हफ्ते भर के भीतर भोपाल में एक और गर्भवती की मौत इलाज में लापरवाही के चलते हो गई। सुभाष कॉलोनी अशोका गार्डन के रहने वाले भारत साहू ने बताया कि उनकी पत्नी रश्मि साहू को आठ महीने का गर्भ था। पेट दर्द व सांस फूलने की तकलीफ पर उसे सोमवार को जेपी अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया । साथ ही मंगलवार को कोरोना की जांच के लिए सैंपल भी लिए गए। बुधवार को हालत में मामूली सुधार दिखा तो डॉक्टरों ने छुट्टी कर दी, जबकि महिला की कोरोना की जांच रिपोर्ट भी नहीं आई थी। भारत ने बताया कि घर पहुंचे तो रश्मि को फिर पेट में दर्द होने लगा तो इंदिरा गांधी गैस राहत अस्पातल लेकर गए। यहां डॉक्टरों ने ठीक से देखा तक नहीं और सुल्तानिया अस्पताल रेफर कर दिया। यहां रात 7 बजे भर्ती कराया। कोरोना की जांच के खातिर फिर सैंपल लिए गए। गुरुवार तड़के उसकी मौत हो गई। भारत ने कहा कि जेपी अस्पताल के डॉक्टरों इतनी जल्दी छुट्टी नहीं देना चाहिए थी। इस संबंध जेपी अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरके तिवारी ने बात नहीं की, जबकि सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने जानकारी नहीं होने की बात कही।

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जांच रिपोर्ट नेगेटिव फिर भी पत्नी मुंह तक न देख पाए

भारत ने बताया कि उनकी पत्नी की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव थी, लेकिन इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई। कोरोना संदिग्ध होने के चलते पत्नी का शव प्लास्टिक बैग में पैक कर नगर निगम कर्मचारियों को सौंप दिया गया। वह पत्नी के अंतिम संस्कार के दौरान आखिरी बार मुंह तक नहीं देख पाए। पांच और सात साल के दो बेटे भी मां को देखने के लिए बिलखते रहे।

Posted By: Nai Dunia News Network

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