First Human Virgin Hyperloop Test Performed In Las Vegas, Us – लास वेगास: पहली बार मानव को बैठाकर हाइपरलूप का किया गया परीक्षण

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली

Updated Wed, 11 Nov 2020 07:18 AM IST

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अमेरिका के लास वेगास में पहली बार वर्जिन हाइपरलूप पर मानव यात्री बैठाकर परीक्षण किया गया। यह परीक्षण इस तकनीक को मानव उपयोग के लिए शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। परीक्षण 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर हुआ। हालांकि दावा किया गया है कि हाइपरलूप पर 960 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आवागमन हो सकेगा। वर्जिन हाइपरलूप ने कम रफ्तार की वजह अपने छोटे मार्ग को बताया है। यह अभी केवल 500 मीटर लंबा है।

अधिकतम गति के परीक्षण के लिए करीब 100 किलोमीटर लंबे मार्ग का निर्माण करना होगा। कंपनी के प्रमुख तकनीकी अधिकारी जोश जिगल और सारा लुशियन इस परीक्षण में शामिल हुए। उन्हें 2 लोगों के बैठने जितने बड़े हाइपरलूप पॉड में सीट बेल्ट बांधकर बैठाया गया। कंपनी का मानना है कि वह जल्द ऐसे हाइपरलूप पॉड बना सकेगी। जिसमें 25-30 लोग साथ बैठ सकें। इन्हें ट्रेन के कोच की तरह उपयोग किया जा सकेगा।

कैसे काम करती है हाइपरलूप तकनीक

कई कंपनियां इस तकनीक को भविष्य के परिवहन के विकल्प के तौर पर देखती है हालांकि परीक्षण अभी जारी हैं। हाइपरलूप दरअसल, वेक्यूम ट्यूब आधारित तकनीक है। इस विशालकाय ट्यूब में किसी ट्रेन की तरह पॉड्स को गुजारा जाता है। यह पॉड्स चुम्बकीय क्षेत्र में तैरते हुई आगे बढ़ते हैं, इसलिए इन्हें काफी तेज, यहां तक कि करीब 600 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है।

2025 तक परीक्षण पूरे होने का अनुमान

कंपनी का अनुमान है कि 2025 तक परीक्षण पूरे हो जाएंगे और फिर इन्हें आम नागरिकों के उपयोग के लिए शुरू किया जा सकेगा। हालांकि अभी वित्त से लेकर वैज्ञानिक सिद्धांतों की चुनौतियां बाकी हैं। कंपनी का दावा है कि वह इसके जरिए प्रति घंटे हजारों नागरिकों को यात्रा करवा सकेगी।

इलोन मस्क का लक्ष्य न्यूयॉर्क से वाशिंगटन 30 मिनट में

हाइपरलूप तकनीक पर उद्यमी व इनोवेटर इलोन मस्क भी 2013 से काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, 2017 में अमेरिकी सरकार ने उनकी योजना को मौखिक सहमति दी है। वह न्यूयॉर्क से वाशिंगटन डीसी के लिए इसे बना रहे हैं। इन शहरों के बीच आने-जाने में करीब 4 घंटे लगते हैं। मस्क का दावा है कि हाइपरलूप से यहां सिर्फ 30 मिनट में पहुंचा जा सकेगा।

अमेरिका के लास वेगास में पहली बार वर्जिन हाइपरलूप पर मानव यात्री बैठाकर परीक्षण किया गया। यह परीक्षण इस तकनीक को मानव उपयोग के लिए शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। परीक्षण 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर हुआ। हालांकि दावा किया गया है कि हाइपरलूप पर 960 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आवागमन हो सकेगा। वर्जिन हाइपरलूप ने कम रफ्तार की वजह अपने छोटे मार्ग को बताया है। यह अभी केवल 500 मीटर लंबा है।

अधिकतम गति के परीक्षण के लिए करीब 100 किलोमीटर लंबे मार्ग का निर्माण करना होगा। कंपनी के प्रमुख तकनीकी अधिकारी जोश जिगल और सारा लुशियन इस परीक्षण में शामिल हुए। उन्हें 2 लोगों के बैठने जितने बड़े हाइपरलूप पॉड में सीट बेल्ट बांधकर बैठाया गया। कंपनी का मानना है कि वह जल्द ऐसे हाइपरलूप पॉड बना सकेगी। जिसमें 25-30 लोग साथ बैठ सकें। इन्हें ट्रेन के कोच की तरह उपयोग किया जा सकेगा।

कैसे काम करती है हाइपरलूप तकनीक

कई कंपनियां इस तकनीक को भविष्य के परिवहन के विकल्प के तौर पर देखती है हालांकि परीक्षण अभी जारी हैं। हाइपरलूप दरअसल, वेक्यूम ट्यूब आधारित तकनीक है। इस विशालकाय ट्यूब में किसी ट्रेन की तरह पॉड्स को गुजारा जाता है। यह पॉड्स चुम्बकीय क्षेत्र में तैरते हुई आगे बढ़ते हैं, इसलिए इन्हें काफी तेज, यहां तक कि करीब 600 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है।

2025 तक परीक्षण पूरे होने का अनुमान

कंपनी का अनुमान है कि 2025 तक परीक्षण पूरे हो जाएंगे और फिर इन्हें आम नागरिकों के उपयोग के लिए शुरू किया जा सकेगा। हालांकि अभी वित्त से लेकर वैज्ञानिक सिद्धांतों की चुनौतियां बाकी हैं। कंपनी का दावा है कि वह इसके जरिए प्रति घंटे हजारों नागरिकों को यात्रा करवा सकेगी।

इलोन मस्क का लक्ष्य न्यूयॉर्क से वाशिंगटन 30 मिनट में

हाइपरलूप तकनीक पर उद्यमी व इनोवेटर इलोन मस्क भी 2013 से काम कर रहे हैं। उनके अनुसार, 2017 में अमेरिकी सरकार ने उनकी योजना को मौखिक सहमति दी है। वह न्यूयॉर्क से वाशिंगटन डीसी के लिए इसे बना रहे हैं। इन शहरों के बीच आने-जाने में करीब 4 घंटे लगते हैं। मस्क का दावा है कि हाइपरलूप से यहां सिर्फ 30 मिनट में पहुंचा जा सकेगा।

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