भारत को जल्दी नहीं मिलेगी Pfizer की कोरोना वैक्सीन! जानिए क्यों
हाइलाइट्स:
- mRNA वैक्सीनों का भारत में इस्तेमाल मुश्किल है
- इसे माइनस 17 डिग्री में स्टोर करना पड़ता है
- भारत ने वैक्सीन की एडवांस खरीद समझौता नहीं किया है
- सबसे पहले अमेरिका की मिलेगी वैक्सीन की डोज
कोविड-19 महामारी (Covid-19 Pandemic) से कराह रही दुनिया के लिए राहत की खबर है। फार्मा कंपनी Pfizer की कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) क्लीनिकल ट्रायल में 90 प्रतिशत कारगर पाई गई है। उम्मीद की जा रही है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस महीने के आखिर तक कंपनी की वैक्सीन को बेचने की मंजूरी मिल सकती है। इसका फाइनल प्रॉडक्ट इसी साल तैयार हो सकता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि शायद भारत को तत्काल इसका फायदा नहीं मिलेगा।
इस वैक्सीन की शुरुआती डोज सबसे पहले अमेरिकी में आएगी। अमेरिका पहले ही इसकी 10 करोड़ डोज खरीदने के लिए करार कर चुका है। कनाडा, जापान और ब्रिटेन ने भी एडवांस में ऑर्डर दे रखा है। इसके अलावा विशेषज्ञों का कहना है कि एमआरएनए (mRNA) वैक्सीनों के लिए तापमान संबंधी सख्त जरूरतों की वजह से भी नैशनल इम्युनाइजेशन स्ट्रैटजी के तहत भारत में इसका इस्तेमाल मुश्किल होगा। यह वैक्सीन mRNA पर आधारित है।
भारत नहीं है ग्लोबल डील का हिस्सा
Pfizer का खुद ही कहना है कि इस डेटा के आधार पर वह अमेरिका में भी इमरजेंसी ऑथराइजेशन एप्रूवल के लिए अप्लाई नहीं कर सकती है। कंपनी ने एक बयान में कहा की सेफ्टी पर और डेटा की जरूरत है और कंपनी मौजूदा क्लीनिकल स्टडी के दौरान सेफ्टी डेटा इकट्ठा कर रही है।
Pfizer ने यूरोप और एशिया में इस वैक्सीन के वितरण के लिए जर्मनी की कंपनी Biontech और चीन की कंपनी Fosun के साथ करार किया है। भारत इस ग्लोबल डील का हिस्सा नहीं है। साथ ही फाइजर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समर्थित COVAX फसिलिटी का हिस्सा नहीं है। यह फसिलिटी गरीब और मध्य आय वर्ग वाले देशों के लिए वैक्सीन जुटाने के लिए बनाई गई है।
माइनस 17 डिग्री पर स्टोरेज
भारत ने किसी भी ग्लोबल या घरेलू वैक्सीन कंपनी के साथ एडवांस खरीद समझौता नहीं किया है। mRNA वैक्सीन को माइनस 17 डिग्री तापमान पर स्टोर करना पड़ता है। ऐसा करना अमेरिका के लिए भी एक चुनौती है। Wellcome Trust India के पूर्व सीईओ देविंदर गिल ने पिछले सप्ताह ईटी से कहा कि भारत में राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी योजना चलाना नामुमकिन है। यही वजह है कि भारत जैसे देशों में ऐसी वैक्सीन की दरकार होगी जिसे लोगों तक पहुंचाना आसान हो।
इस बारे में फाइजर की प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। अमेरिका में एडवांस ऑर्डर के अलावा फाइजर को वैक्सीन डेवलप करने के लिए 1 अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग भी मिली है। अमेरिका के बाद भारत कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित है। देश में 85 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। हालांकि एक्टिव मामलों की संख्या 5 लाख के करीब है। देश में 1 लाख 26 हजार से अधिक लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है।
कोरोना से 12 लाख लोगों की मौत
कोरोना महामारी से दुनियाभर में अब तक 12 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। Pfizer अपने पार्टनर Biontech के साथ कोरोना की वैक्सीन बना रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे बहुत बड़ी खबर बताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि वैक्सीन जल्द ही आ रही है। 90 प्रतिशत से ज्यादा कारगर पाई गई है। कंपनी ने कहा कि विश्लेषण में पता चला कि जिन वॉलिंटयर्स पर इसका परीक्षण किया गया, उनमें यह बीमारी को रोकने में 90 प्रतिशत से ज्यादा कामयाब रही।
अगर बाकी डेटा भी यह संकेत देते हैं कि वैक्सीन सेफ है तो इस महीने के खत्म होने से पहले ही कंपनी हेल्थ रेग्युलेटर्स से वैक्सीन को बेचने की इजाजत के लिए आवेदन करेगी। Pfizer ने कहा कि अब तक क्लीनिकल ट्रायल के दौरान कोई भी गंभीर सेफ्टी इश्यू सामने नहीं आया है। ट्रायल में अमेरिका और दूसरे देशों में करीब 44,000 लोगों पर परीक्षण किया जा रहा है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वैक्सीन से लोगों में कितने लंबे समय तक कोरोना के प्रति इम्यूनिटी विकसित होगी।