Madhya Pradesh: BJP jerk kill politics, parties trying to MLA, Bhopal News in Hindi
khaskhabar.com : गुरुवार, 18 जून 2020 2:25 PM
भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सियासत की चौसर पर अपनी चालें जारी रखने का सिलसिला बनाए हुए है और वह कांग्रेस को लगातार झटके पर झटके दिए जा रही है। इसका आने वाले समय में राज्य की सियासत पर बड़ा असर पड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।
राज्य में भाजपा के हाथ में कांग्रेस के भीतर हुई बगावत के चलते फिर सत्ता की कमान आई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और तत्कालीन 22 विधायकों के कांग्रेस छोड़ने से कांग्रेस कमजोर हुई है। अब भाजपा ने उन बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों पर नजर गड़ा दी है जो अब तक कमलनाथ के साथ खड़े नजर आते थे और भाजपा की इस कोशिश का असर भी दिखने लगा है। सपा, बसपा और निर्दलीय कुल मिलाकर चार विधायक बुधवार को भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के सामने उपस्थिति भी दर्ज करा चुके हैं।
सामने आई तस्वीरें बताती है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर व नरेंद्र सिंह तोमर से बसपा विधायक राम बाई, संजीव सिंह कुशवाहा, सपा विधायक राजेश शुक्ला और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा ने मुलाकात की। इस मौके पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहे।
भाजपा की तरफ बसपा, सपा व निर्दलीय विधायकों के बढ़ते कदमों के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है, “इस बारे में मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहना है बाकी आप सब लोग सब जानते हैं। जहां तक सहभोज की बात है तो भाजपा की संगत की पंगत है और भाजपा की परंपरा आपस में मेल मुलाकात की है।
वहीं भाजपा के सूत्रों का कहना है की शुक्रवार को राज्यसभा के होने वाले चुनाव में कांग्रेस के कुछ विधायक भी मतदान के जरिए अपने इरादे जाहिर कर सकते हैं। क्या होने वाला है इसका खुलासा करने तैयार नहीं है।
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है ,संख्या बल के आधार पर कांग्रेस के एक उम्मीदवार की जीत तय है और वह पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह हैं, भाजपा तो महज दुष्प्रचार ही करती है और यही उसका काम है। भाजपा के भीतर क्या हाल चल रहा है उसकी वह पहले चिंता कर ले।
वहीं राजनीति विश्लेषक रवींद्र व्यास का मानना है कि आने वाले समय में राज्य की सियासत में बड़े उथल पुथल की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता। पहले राज्यसभा चुनाव और फिर 24 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उप-चुनाव के दौरान नई तस्वीर देखने को मिलेगी। दल-बदल जोरों पर चलेगा, लुभाने की हर संभव कोशिश होगी और आरोपों की झड़ी लगाने में कोई किसी से पीछे नहीं रहेगा। कुल मिलाकर आने वाले माह राज्य की राजनीति में गर्माहट भरे होंगे।
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