Betul News: Betul News : जनवरी तक होना था पुल का निर्माण अभी भी अधूरा 32 गांवों के लोग होंगे परेशान

Updated: | Wed, 17 Jun 2020 05:10 PM (IST)

Betul News बैतूल । चोपना क्षेत्र के 32 गांवों के निवासियों को उम्मीद थी कि इस बारिश में उन्हें न तो टापू में रहने को मजबूर होना पड़ेगा और न ही 15 से 20 किलोमीटर का फेरा काट कर ब्लॉक मुख्यालय जाना होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

सिवनपाट में तवा नदी पर जो 7 करोड़ 16 लाख रुपये की लागत से पुल बन रहा है वह इस बारिश के पहले भी नहीं बन पाया। इस पुल का निर्माण तो वैसे जनवरी माह में ही हो जाना था, लेकिन पुल का काम अभी भी आधा-अधूरा ही है। इसका जितना काम बाकी है, उसे देखकर किसी हाल में यह पुल बारिश में ग्रामीणों के काम आने की दूर-दूर तक संभावना नहीं है।

घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के पुनर्वास क्षेत्र चोपना के 32 गांवों के लोगों को किसी भी कार्य के लिए ब्लॉक मुख्यालय घोड़ाडोंगरी ही आना पड़ता है। इसके लिए सिवनपाट होकर आने वाले रास्ता सबसे करीब है। यही कारण है कि इस रास्ते से ही ग्रामीण आवाजाही करते हैं। साल के 8 महीने तो कोई परेशानी उन्हें नहीं जाती है, लेकिन बारिश के 4 महीने यह रास्ता बंद ही रहता है।

इसके चलते यह गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं। यदि कोई जरुरी काम ही हो तो उन्हें बांसपुर, सालीढाना होते हुए घोड़ाडोंगरी पहुंचना होता है। इस रास्ते से आवाजाही करने में 15 से 20 किलोमीटर का अतिरिक्त फेरा ग्रामवासियों को काटना पड़ता है। इसमें समय भी अधिक लगता है और वाहनों में ईंधन की खपत भी अधिक होती है। यही कारण है ग्रामवासी लंबे समय से इस नदी पर बड़े पुल की मांग कर रहे थे।

ढाई साल पहले मिली थी मंजूरीः ग्रामीणों की मांग को देखते हुए वर्ष 2017 में यहां पर 7 करोड़, 16 लाख रुपये की लागत से पुल की मंजूरी मिली थी। जनवरी 2018 में इसका काम शुरू भी हो गया था। कांट्रेक्ट की शर्तों के अनुसार 3 जनवरी 2020 में इसका निर्माण पूरा हो जाना था, लेकिन आज की स्थिति में भी इसका काम पूरा नहीं हो सका है।

पुल के एक पिलर का काम भी बाकी है वहीं दूसरी ओर दोनों ओर की एप्रोच का काम भी बाकी है। यदि जोर-शोर से काम चालू भी हो जाए तो भी इसका काम पूरा होने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा। दूसरी ओर अब बारिश शुरू हो चुकी है। ऐसे में अब इस बारिश में काम पूरा होने की दूर-दूर तक गुंजाइश भी नहीं है।

ग्रामीणों की बनी रहेगी दिक्कतः यही कारण है कि ग्रामीणों की परेशानी इस साल भी बनी रहेगी। उन्हें पहले की तरह ही आवाजाही में दिक्कत उठाना होगा। इस पुल के कारण डुल्हारा, कटंगी, सिवनपाट, शांतिपुर, शक्तिगढ़, डेहरा आमढाना, चोपना सहित चोपना पुनर्वास क्षेत्र के 32 गांवों के लोगों को इस बारिश में भी या तो 15 से 20 किलोमीटर का अतिरिक्त फेरा काट कर अपने कार्यों के लिए घोड़ाडोंगरी तक जाना होगा या फिर जरुरी काम होने के बावजूद भी अपने ही घरों में कैद रहना होगा। बारिश से पहले काम पूरा हो जाए, इसके लिए क्षेत्र के ग्रामीण लंबे समय से मांग भी कर रहे थे, लेकिन काम अपनी रफ्तार से ही चलता रहा। इसका खामियाजा ग्रामीणों को उठाना होगा।

इसलिए जलमग्न होता है रपटाः अभी इस मार्ग पर यहां से आवाजाही करने के लिए कम ऊंचाई का रपटा है। यह जरा सी बारिश होते ही जलमग्न हो जाता है और आवाजाही बंद हो जाती है। कई बार तो बारिश न होने पर भी इस पुल से आवाजाही बंद हो जाती है। इसकी वजह यह है कि सतपुड़ा डैम के गेट खोलने पर पानी इसी नदी से होकर गुजरता है। ऐसे में यदि छिंदवाड़ा जिले में भी बारिश होती है तो डैम का जलस्तर मेंटेन रखने के लिए गेट खोल दिए जाते हैं। ऐसे में पानी ऊपर से जाते ही आवागमन बंद हो जाता है। पिछले साल भी ऐसा ही हुआ था और इस रपटे से हफ्तों तक आवाजाही बंद रही थी। इस दौरान कुछ गांवों में लोग बीमार भी हुए और उन्हें लेने के लिए एंबुलेंस तक भी गांवों तक नहीं पहुंच सकी थी।

तीन दिनों से बंद है आवागमनः हाल ही में छिंदवाड़ा जिले में जमकर हुई बारिश के कारण सतपुड़ा डैम लबालब भर गया था। इसके चलते सतपुड़ा डैम के गेट लगातार खोलने पड़े थे। गेट खोलते ही इस नदी पर मौजूद रपटे के ऊपर से पानी जाने लगा और 3 दिनों तक यहां आवागमन बंद रहा था। सिवनपाट निवासी अंतराम उइके बताते हैं कि इस साल बारिश के पहले पुल बन जाता तो हम लोगों की परेशानी भी खत्म हो जाती, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ग्रामवासी यह परेशानी लंबे समय से झेल रहे हैं। यही कारण है कि वे चाह रहे थे कि पुल जल्द से जल्द बन जाए, मगर उनकी चाहत कम से कम इस साल भी पूरी नहीं हो रही है। इस संबंध प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना इकाई क्रमांक 1 के महाप्रबंधक राजेश जैन से चर्चा का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल आउट ऑफ कवरेज होने से चर्चा नहीं हो पाई।

Posted By: Nai Dunia News Network

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