Break on AAP government’s door-to-door ration scheme, central government said – the state did not take approval | दिल्ली की घर-घर राशन योजना पर रोक, केंद्र सरकार ने कहा- बिना मंजूरी योजना लागू नहीं कर सकते
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नई दिल्लीएक घंटा पहले
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दिल्ली में हर घर तक राशन पहुंचाने की केजरीवाल सरकार की योजना पर केंद्र ने ब्रेक लगा दिया है। यह योजना एक हफ्ते बाद लागू होनी थी। इसकी सारी तैयारियां भी कर ली गई थीं। लेकिन दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से इस योजना की मंजूरी नहीं ली थी, जिसके चलते इसे रद्द कर दिया गया है। इससे पहले केंद्र और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के रिश्तों में तल्खी बढ़ गई थी।
15 मई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने कैबिनेट की बैठक ली थी, जिसमें मुफ्त राशन योजना को लेकर फैसला किया गया। 18 मई को खुद केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सरकार 72 लाख लोगों के घर तक राशन पहुंचाएगी। अब वे इस मसले पर रविवार सुबह 11 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखेंगे।
हर परिवार को मिलता 10 किलो राशन
केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में 72 लाख लोग ऐसे हैं जिनके पास राशन कार्ड है। सरकार ऐसे लोगों को 5 किलो राशन देती है। इस महीने ऐसे लोगों को फ्री राशन दिया जाएगा। इसके साथ ही केंद्र की योजना के तहत 5 किलो राशन और दिया जाएगा। इस तरह इस महीने लोग 10 किलो राशन ले सकेंगे। दिल्ली में कई ऐसे लोग हैं जिन्हें जरूरत है और उनके पास कार्ड नहीं है उन्हें भी राशन दिया जाएगा। जल्द ही यह प्रणाली लागू हो जाएगी।
मार्च में केंद्र ने बढ़ा दी थीं उप-राज्यपाल की शक्तियां
मार्च में संसद ने गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरेटरी ऑफ दिल्ली (संशोधन) बिल 2021 पास किया था। ये NCT बिल गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के बाद 27 अप्रैल से प्रभावी हो गया है। इस बिल के कानून बनने के बाद अब उप-राज्यपाल अनिल बैजल के पास दिल्ली की आम आदमी सरकार से ज्यादा शक्तियां होंगी। इन्हीं कानूनों के तहत उप-राज्यपाल केजरीवाल की योजनाओं को रोकने का अधिकार रखते हैं।
इस कानून के तहत उप राज्यपाल को ये अधिकार
- ये एक्ट प्रभावी होने के बाद से अब दिल्ली में सरकार के मायने उप-राज्यपाल होंगे।
- दिल्ली की चुनी हुई सरकार के मुकाबले यहां के उप-राज्यपाल यानी अनिल बैजल प्रभावशाली होंगे।
- किसी भी फैसले को लेने से पहले दिल्ली सरकार को उप-राज्यपाल की राय लेना जरूरी होगा।
- सरकार विधायिका से जुड़े फैसले लेती है तो उसे LG से 15 दिन पहले मंजूरी लेनी होगी।
- प्रशासनिक मामलों से जुड़े फैसले लेती है तो उसे 7 दिन पहले मंजूरी लेना जरूरी होगा।
आप और कांग्रेस ने किया था विरोध
इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने काफी विरोध किया था। सदन में बिल पास होने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि लोकतंत्र के लिए ये बेहद बुरा दिन है। हम सत्ता की ताकत को जनता के हाथ में रखने की अपनी कोशिशों को जारी रखेंगे। चाहे जैसी भी रुकावट हो, हम अच्छा काम जारी रखेंगे और ये न रुकेगा, न धीमा पड़ेगा।