Corona Guideline For Containment & Management in Peri-urban Rural & Tribal Areas | SOP, Corona Guideline For Villages, Testing Tracking And Treatment, Managing COVID At Rural Level | आशा कार्यकर्ता जुकाम-बुखार की मॉनीटरिंग करें, संक्रमितों को हेल्थ अफसर फोन पर सलाह दें; सभी को टेस्टिंग की ट्रेनिंग मिले
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नई दिल्ली6 मिनट पहले
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गाइडलाइन के मुताबिक, स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी RAT की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर RAT की किट उपलब्ध कराई जाए। (फाइल फोटो)
अभी तक शहरों में मौतों की वजह बन रहा कोरोना गांवों में तेजी से फैलने लगा है। ऐसे में सरकार ने गांवों के लिए अलग से गाइडलाइन जारी की है, ताकि इसका संक्रमण रोका जा सके। इस गाइडलाइन के मुताबिक, आशा कार्यकर्ताओं को जुकाम-बुखार की मॉनिटरिंग और संक्रमित मामलों में कम्युनिटी हेल्थ अफसर को फोन पर केस देखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा एएनएम को भी रैपिड एंटीजन टेस्ट की ट्रेनिंग दिए जाने की बात कही गई है।
केंद्र की गांवों के लिए गाइडलाइन
निगरानी और इलाज
- हर गांव में जुकाम-बुखार के मामलों की निगरानी आशा वर्कर्स करें। इनके साथ हेल्थ सैनिटाइजेशन और न्यूट्रिशन कमेटी भी रहेगी।
- जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं, उन्हें ग्रामीण स्तर पर कम्युनिटी हेल्थ अफसर (CHO) तत्काल फोन पर देखे।
- पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित संक्रमितों या ऑक्सीजन लेवल घटने के केसों को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को भेजा जाए।
- जुकाम-बुखार और सांस से संबंधित इन्फेक्शन के लिए हर उपकेंद्र पर OPD चलाई जाए। दिन में इसका समय निश्चित हो।
- संदिग्धों की पहचान होने के बाद उनकी स्वास्थ्य केंद्रों रैपिड एंटीजन टेस्टिंग (RAT) जांच हो या फिर उनके सैंपल नजदीकी कोविड सेंटर्स में भेजे जाएं।
- स्वास्थ्य अधिकारियों और एएनएम को भी RAT की ट्रेनिंग दी जाए। हर स्वास्थ्य केंद्र और उप केंद्र पर RAT की किट उपलब्ध कराई जाए।
- स्वास्थ्य केंद्रों पर टेस्ट किए जाने के बाद मरीज को तब तक आइसोलेट होने की सलाह दी जाए, जब तक उनकी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आ जाती।
- जिन लोगों में कोई लक्षण नहीं नजर आ रहा है, लेकिन वे किसी संक्रमित के करीब गए हैं और बिना मास्क या 6 फीट से कम दूरी पर रहे हैं, उन्हें क्वारैंटाइन होने की सलाह दें। इनका तत्काल टेस्ट भी किया जाए।
- कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जाए। हालांकि, ये संक्रमण के फैलाव और केसों की संख्या पर निर्भर करता है, लेकिन इसे ICMR की गाइडलाइंस के हिसाब से किया जाए।
होम और कम्युनिटी आइसोलेशन
- करीब 80-85% केस बिना लक्षणों वाले या बेहद कम लक्षणों वाले आ रहे हैं। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत नहीं है। इन्हें घरों या कोविड केयर फैसिलिटी में आइसोलेट किया जाए।
- मरीज होम आइसोलेशन के दौरान केंद्र की मौजूदा गाइडलाइंस का पालन करें। फैमिली मेंबर्स भी गाइडलाइन के हिसाब से ही क्वारैंटाइन हों।
होम आइसोलेशन में मॉनिटरिंग
- कोरोना मरीज के ऑक्सीजन लेवल की जांच बेहद जरूरी है। इसके लिए हर गांव में पर्याप्त मात्रा में पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होने चाहिए।
- आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और गांवों के स्वयंसेवियों के जरिए एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाए। ये सिस्टम उन मरीजों को लोन पर जरूरी उपकरण दिलाने का काम करे, जिनकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजििटव है।
- हर बार इस्तेमाल के बाद थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर को अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर में भीगे कपड़े से सैनिटाइज किया जाए।
- क्वारैंटाइन और होम आइसोलेशन में गए मरीजों के बारे में लगातार जानकारी के लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स, स्वयंसेवी और शिक्षक दौरा करें। इस दौरान वे संक्रमण से बचने के सभी उपायों और गाइडलाइंस का पालन करें।