Supreme Court On School Online Classes | Schools Must Reduce fees for Online Only Classes, Supreme Court Of India, Supreme Court, SC, Online Classes | सुप्रीम कोर्ट ने कहा- स्कूल चलाने का खर्च कम हुआ, इसलिए ऑनलाइन क्लासेस की फीस घटानी चाहिए
- Hindi News
- National
- Supreme Court On School Online Classes | Schools Must Reduce Fees For Online Only Classes, Supreme Court Of India, Supreme Court, SC, Online Classes
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
नई दिल्ली37 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
कोविड के दौरान स्कूल नहीं खुल रहे हैं और ऑनलाइन क्लासेस चल रही हैं। ऐसे में पैरेंट्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राहत वाला फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि स्कूल बंद हैं। उन्हें कैंपस में दी जाने वाली कई सुविधाओं का खर्च नहीं उठाना पड़ रहा है। इसलिए संचालन का खर्च कम हो गया है। इसलिए उन्हें ऑनलाइन क्लासेस की फीस जरूर घटानी चाहिए।
राजस्थान के स्कूलों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
राजस्थान के कई स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के उस फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी, जिसमें स्कूलों को 30% फीस माफ करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने कहा- ऐसा कोई कानून नहीं है, जो राज्य सरकार को ऐसा आदेश जारी करने का अधिकार देता हो, पर हम भी यह मानते हैं कि स्कूलों को फीस घटानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा, ‘शैक्षणिक संस्थानों के मैनेजमेंट को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए। लोग महामारी के चलते परेशानियों का सामना कर रहे हैं। स्कूलों को बच्चों और अभिभावकों को राहत देने वाले कदम उठाने चाहिए।’
लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों का खर्च निश्चित तौर पर बचा होगा- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कैंपस में स्टूडेंट्स को जो सुविधाएं दी जाती हैं, वो मौजूदा हालात में उन्हें नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में उसके पेमेंट से स्कूलों को फायदा हो रहा है और स्कूलों को निश्चित तौर पर इस फायदे से बचना चाहिए। कानूनन तो स्कूल ऐसी सुविधाओं के लिए स्कूल फीस नहीं ले सकते, जो इन हालात के चलते छात्रों को नहीं मिल पा रही हैं।
कोर्ट ने कहा कि ऐसी सुविधाओं के लिए फीस लेना मुनाफा कमाने और व्यवसायीकरण में शामिल होने जैसा ही है। 2020-21 में स्कूल लंबे समय तक कम्पलीट लॉकडाउन के चलते नहीं खुले, ये सभी जानते हैं और कानूनन भी इसे नोटिस में लिया गया है। निश्चित तौर पर स्कूलों ने पेट्रोल-डीजल, बिजली, पानी, मेंटेनेंस और सफाई पर बार-बार होने वाले खर्च बचाए होंगे।