Priyanka Gandhi Road Show In Lucknow Before Loksabha Election | प्रियंका ने कांग्रेसियों में बनाया जोश का माहौल, अब वोटरों को लुभाना बड़ी चुनौती

प्रियंका ने कांग्रेसियों में बनाया जोश का माहौल, अब वोटरों को लुभाना बड़ी चुनौती



प्रियंका गांधी ने नब्बे के दशक के अंत में जब अमेठी में मां सोनिया गांधी के लिए चुनावी सभाओं की शुरुआत कर अपनी पहली सियासी झलक दिखाई थी तो कांग्रेसियों ने नारा लगाया था- ‘अमेठी का डंका, बिटिया प्रियंका’. करीब दो दशक तक कांग्रेस के सुरक्षित गढ़ अमेठी और रायबरेली की सियासी चौसर पर ही पासे चलने के बाद प्रियंका ने अब कहीं ज्यादा बड़े प्लेटफार्म पर कदम रखा. लखनऊ के हवाई अड्डे से यूपी कांग्रेस के मुख्यालय तक की करीब 15 किलोमीटर की दूरी तक के रोड शो में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी थे लेकिन पूरे रास्ते प्रियंका ही छाई रहीं.

सड़कों पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का जबरदस्त हुजूम उमड़ा. कांग्रेसियों की ऐसी भीड़ पिछले सालों में लखनऊ की सड़कों पर नहीं देखी गई. प्रियंका कार्यकर्ताओं और आम लोगों से बेहतर कनेक्ट करती हैं. इसकी बानगी अमेठी और रायबरेली पहले ही देख चुका है. इस बार लखनऊ में भी इसे देखा गया. प्रियंका पूरे रास्ते सड़क पर उमड़े कार्यकर्ताओं से कभी हाथ मिलाती रहीं तो कभी हाथ हिलाकर लोगों का अभिभादन करती रहीं और बात करती रहीं. हालांकि आज प्रियंका ने कोई भाषण नहीं दिया लेकिन लखनऊ की सड़कों के नजारे से साफ है कि पूर्वी यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पहले ही दौरे से पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश का माहौल बना दिया है. लेकिन यहीं से यूपी की सियासत की कठिन डगर पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के मुकाबिल वोटरों के मन में कांग्रेस के प्रति जोश भरने की चुनौती भरी यात्रा भी प्रियंका की शुरू हो गई.

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सियासत प्रतीकों का भी खेल

सियासत प्रतीकों का भी खेल है. लिहाजा रोड शो में भी प्रतीकों की भरमार थी. मसलन हवाई अड्डे से बस पर सवार होकर राहुल, प्रियंका और पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रोड शो शुरू किया. यह वही बस है जो पंजाब विधानसभा चुनाव में राहुल के रोड शो के लिए रथ के रूप में इस्तेमाल हुई थी. पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनी थी. लिहाजा वह ‘भाग्यशाली’ बस यूपी में भी कांग्रेस का भाग्य बदलने के लिए लाई गई थी. हालांकि यह बस आखिरी मुकाम यानी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय तक नहीं पहुंच सकी क्योंकि जब यह तंग गलियों वाले इलाके में पहुंची तो बिजली के उलझे ओवरहेड तारों में बस फंस गई.

Priyanka Gandhi

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जब एसपी और कांग्रेस मिलकर लड़े थे, तब लखनऊ में अखिलेश यादव और राहुल गांधी के साझा रोड शो में भी दोनों नेता पुराने शहर में बिजली के तारों में ऐसे ही उलझे थे. दोनों को खूब झुकना और बैठना पड़ा था. तब विपक्षी बीजेपी ने तंज कसा था कि अखिलेश के राज में बिजली के तारों का यह हाल है. यूपी में अब सरकार बदल चुकी है. बीजेपी राज कर रही है. रोड शो की बस पर राहुल के साथ बहन प्रियंका हैं तो अखिलेश अब मायावती के साथ हैं. यूपी की सियासी पटकथा दो साल में बहुत बदली है पर बिजली के तार उसी हाल में हैं. अलबत्ता एक फर्क यह जरूर कि तब राहुल और अखिलेश के रोड शो के लिए कहा गया था कि उसमें उमड़ी भीड़ एसपी कार्यकर्ताओं के कारण आई थी लेकिन अब कांग्रेस का ही शो था और कांग्रेस की ही भीड़ थी.

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प्रियंका और राहुल की बस बिजली की तारों में उलझी तो दोनों को उतरना पड़ा और खुली जीप पर आकर बैठना पड़ा. खुली जीप ने ऊंचाई घटाई तो नेता जमीन के ज्यादा करीब पहुंचे. कार्यकर्ताओं से बेहतर संवाद होने लगा. प्रियंका बोलती रहीं, सुनती रहीं, कार्यकर्ता उनसे बोलते रहे, हाथ मिलाते रहे. बस से जीप का यह सफर कांग्रेस मुख्यालय पहुंचने के कुछ पहले फिर बदला जब राहुल और प्रियंका समेत बाकी नेता खुली ट्रक पर सवार हुए. इससे पहले दोनों ने महात्मा गांधी, बाबा साहब अंबेडकर और सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया.

Lucknow: Security personnel stand guard as All India Congress Committee (AICC) General Secretary of Uttar Pradesh East, Priyanka Gandhi Vadra (unseen) arrives for a road show, in Lucknow, Monday, Feb. 11, 2019. (PTI Photo/Atul Yadav) (PTI2_11_2019_000076B)

कभी यूपी में दलितों, मुस्लिमों और ब्राह्मणों के वोटों की एकछत्र दावेदार कांग्रेस सूबे में अपना वोट बैंक एसपी, बीएसपी और बीजेपी के हाथों गंवा चुकी हैं. राहुल ने पहले भी कहा है कि वे मायावती और अखिलेश का सम्मान करते हैं और उनके गठबंधन से उन्हें कोई गुरेज नहीं लेकिन कांग्रेस पूरी ताकत से फ्रंट फुट पर यूपी में लड़ेगी. इस बार भी राहुल ने यही कहा. कांग्रेस को पूरे दमखम से यूपी में लड़ाने की बड़ी जिम्मेदारी प्रियंका पर है. राहुल पूरे देश में और लखनऊ में भी राफेल के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ के नारे भी खूब लगाए. यूपी में कांग्रेस को फिर कामयाब बनाने में राफेल का मुद्दा ही पर्याप्त नहीं होगा. यह कांग्रेस के रणनीतिकार भी जानते हैं. अस्सी लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में चुनावी कामयाबी की राह आसान नहीं. कार्यकर्ताओं के उत्साह को वोटरों तक पहुंचाना और उसे कांग्रेस के लिए वोट में तब्दील करना प्रियंका की असली और सबसे बड़ी चुनौती होगी.

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