Justice Mohan M Shantanagodar passes away due to lung infection; Judgment was given on reservation issue in promotion | फेफड़े में संक्रमण के चलते जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का निधन; प्रमोशन में आरक्षण मामले पर दिया था जजमेंट

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर पदोन्नत हुए थे। इससे पहले वह केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे। - Dainik Bhaskar

जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर पदोन्नत हुए थे। इससे पहले वह केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे।

सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का शनिवार देर रात निधन हो गया। 62 साल के जस्टिस शांतनागोदर ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। कोर्ट के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। शांतनागोदर के फेफड़े में संक्रमण फैल चुका था। ICU में उनका इलाज चल रहा था। जस्टिस शांतनागोदर कोरोना वायरस से संक्रमित थे या नहीं, इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है।

कर्नाटक के रहने वाले थे जस्टिस शांतनागोदर
जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर कर्नाटक के रहने वाले थे। 5 मई 1958 को कर्नाटक में उनका जन्म हुआ था। 5 सितंबर 1980 से उन्होंने वकालत की शुरूआत की थी। 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर पदोन्नत हुए थे। इससे पहले वह केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे।

मौलिक अधिकारों की रक्षा को लेकर दिया था फैसला

  • जस्टिस शांतनागोदर ने प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई भी की थी। कर्नाटक हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रहते हुए उन्होंने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण तभी दिया जाए जब कर्मचारी उस पद लायक हो। इसके लिए परीक्षण होना जरूरी है।
  • सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस शांतनागोदर ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट और मजिस्ट्रेट को नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी उतनी ही है, जितनी इस देश की सर्वोच्च अदालत को है। उन्होंने कहा था कि ट्रायल कोर्ट जज और मजिस्ट्रेट को न सुने जाने लायक मामलों को शुरुआत में ही या ट्रायल से पहले ही निरस्त कर देना चाहिए, उसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने का मौका ही नहीं दिया जाना चाहिए।
  • कोर्ट में एक ही मामले में एक ही पक्ष की ओर से एक ही आरोपी के खिलाफ अलग-अलग शिकायतों को लेकर भी जस्टिस शांतनागोदर ने सख्त आदेश दिया था। जस्टिस शांतनागोदर ने कहा था कि ऐसी शिकायतें अस्वीकार्य होनी चाहिए। एक ही मामले में एक ही आरोपी पर एक पक्ष की ओर से अलग-अलग शिकायतें मान्य नहीं होंगी।

सुप्रीम कोर्ट के 3 जज समेत 50% कर्मचारी कोरोना संक्रमित, सुनवाई अब वर्चुअली
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के 3 जज समेत 50% स्टाफ कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसके बाद कोर्ट ने सभी जजों को वर्क फ्रॉम होम करने और घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई करने का फैसला लिया था। तब से अब सभी मामलों की सुनवाई वर्चुअली हो रही है।

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