Congress Interim President Sonia Gandhi । writes letter to PM Modi । over rising COVID19 cases | कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष ने कहा- वैक्सीन की शॉर्टेज चिंताजनक, रोज कमाकर पेट भरने वालों को 6 हजार रुपए महीना दे सरकार
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नई दिल्ली5 घंटे पहले
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देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों ने सभी को चिंता में डाल दिया है। अधिकारियों से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्री तक रोजाना मीटिंग कर समीक्षा कर रहे हैं। इस बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर हालात पर चिंता जाहिर की है।
सोनिया ने लिखा है कि मैंने उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की, जहां कांग्रेस या उसकी सहयोगी पार्टी की सरकार है। कई मंत्रियों से भी मेरी बात हुई। कोरोना की स्थिति काफी बुरी है। कई राज्यों से आ रही वैक्सीन शॉर्टेज की खबर चिंता में डालने वाली है। ये समय तकलीफ देने वाला है। केंद्र सरकार को ऐसे लोगों की चिंता खासतौर पर करनी चाहिए, जो रोज पैसे कमाकर अपना पेट भरते हैं। उनके खाते में 6 हजार रुपए महीने डालने चाहिए, ताकि उन्हें ज्यादा परेशानी न हो।
संक्रमण के हिसाब से राज्यों को सप्लाई करें वैक्सीन
वैक्सीन महामारी से लड़ने में हमारा सबसे बड़ा हथियार है। देखने में आ रहा है कि ज्यादातर राज्यों के पास 3 से 5 दिन के वैक्सीनेशन का स्टॉक ही बचा है। ऐसे समय में जरूरी हो जाता है कि हमें वैक्सीन बनाने की अपनी क्षमता को बढ़ाना चाहिए। हमें वैक्सीनेशन पर लगा उम्र का दायरा और बढ़ाना चाहिए। इसकी जगह उन सभी लोगों को वैक्सीन दी जानी चाहिए, जिन्हें इसकी जरूरत है। इसके अलावा राज्यों को वैक्सीन की सप्लाई भी वहां संक्रमण की स्थिति के हिसाब से ही की जाए।
रेमडेसिविर और डेक्सामेथासोन पर न लगे टैक्स
कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए जरूरी उपकरण, संसाधन, दवाइयां और सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को GST (गुड्स और सर्विस टैक्स) से बाहर रखना चाहिए। इसके अलावा वेंटीलेटर्स, ऑक्सीमीटर्स, ऑक्सीजन सिलेंडर्स, रेमडेसिविर और डेक्सामेथासोन से भी टैक्स हटाया जाना चाहिए।
गरीबों के लिए स्पेशल स्कीम चलाए सरकार
कोरोना संक्रमण को काबू करने के लिए कर्फ्यू, लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इससे अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचेगा। इसका सबसे बुरा असर गरीबों और रोज कमाकर खाने वालों पर पड़ेगा। इन लोगों के लिए केंद्र सरकार को एक योजना चलाकर प्रभावितों के खाते में पैसे डालने चाहिए। पिछले साल की तरह मजदूरों का पलायन इस बार भी शुरू हो गया है। ये काफी तकलीफ देने वाला है। सरकार को उनकी जरूरतों का खयाल रखना चाहिए।