madhya pradesh by election 2020 Change equations just before propagation stops | ग्वालियर-चंबल में फिर बदले समीकरण; भाजपा 5 तो कांग्रेस 7 सीटों पर मजबूत, 4 पर कड़ी टक्कर

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भोपाल39 मिनट पहले

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उपचुनाव के लिए प्रचार रविवार शाम थम गया। आखिरी तीन दिन के प्रचार के दौरान चंबल और मालवा क्षेत्र में तेजी से समीकरण बदले। सांवेर में तुलसी सिलावट की स्थिति मजबूत हो गई। बदनावर में कांग्रेस प्रत्याशी कड़े मुकाबले में आ गए।

चंबल के सुमावली में दो दिन पहले भाजपा आगे थी, अब यहां कांग्रेस की स्थिति बेहतर हो गई। मेहगांव में कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे की स्थिति मजबूत हो गई। भास्कर ने चुनावी क्षेत्रों की जमीनी हकीकत जानी। यहां 28 सीटों पर अब 12 पर भाजपा, 11 पर कांग्रेस मजबूत है। 5 सीटों पर अब भी कांटे का मुकाबला है।

क्षेत्रवार जानिए कहां कौन सी पार्टी बेहतर स्थिति में

क्षेत्र कुल भाजपा कांग्रेस टक्कर
ग्वालियर 9 4 3 2
चंबल 7 1 4 2
मालवा 5 3 1 1
निमाड़ 2 0 2 0
बुंदेलखंड 2 1 1 0
भोपाल 2 2 0 0
महाकौशल 1 1 0 0
स्थिति 28 12 11 5

ग्वालियर-9 सीटें

ग्वालियर: कांग्रेस की स्थिति सुधरी, लेकिन भाजपा फिर भी आगे
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है, कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा की स्थिति में सुधार हुआ है। हालांकि, भाजपा से मंत्री प्रद्युम्न तोमर यहां अब भी भारी दिख रहे हैं। तोमर की छवि लोगों में अच्छी है, जिसका फायदा उन्हें वोट में बदलने के रूप में मिल सकता है।

डबरा: नाथ के जवाब में इमरती भी विवादित बयानबाजी करने लगीं, ग्राफ गिरा फिर भी मजबूत
कमलनाथ के ‘आइटम’ वाले बयान के बाद इमरती देवी इसे भुनाने तो लगी हैं, लेकिन वह भी विवादित बयान देने लगीं। इससे उनके पक्ष में जो माहौल बन रहा था, वह थम गया। हालांकि, अब भी ग्राफ इमरती देवी का ही ऊपर दिख रहा है। यहां कांग्रेस से सुरेश राजे उम्मीदवार हैं।

करैरा: सहानुभूति से कांग्रेस के प्रागीलाल मजबूत, सभा से भी कमाल नहीं कर पाए सिंधिया
बसपा के टिकट पर तीन बार चुनाव लड़कर हार चुके कांग्रेस प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव की सहानुभूति के सामने भाजपा की तमाम कोशिशें असफल होते दिख रही हैं। करैरा में सिंधिया की सभा भी बड़ा कमाल नहीं कर पाई है। भाजपा से जसवंत जाटव उम्मीदवार हैं। हालांकि, समाज का रुझान कांग्रेस को मिलते दिख रहे हैं, जो निर्णायक साबित होगा।

मुंगावली: भाजपा सांसद के समर्थकों की मदद से कांग्रेस मजबूत, यादव पिछड़े
भाजपा के बृजेंद्र सिंह यादव को यादव वोट बैंक पर भरोसा है, लेकिन निजी कारण से उन्हें मुश्किल आ रही है। यहां करीब 40 हजार से ज्यादा यादव वोटर हैं। बावजूद कांग्रेस के कन्हई राम लोधी मजबूत हैं। भाजपा सांसद केपी यादव के समर्थकों की पर्दे के पीछे से की जा रही मदद काम आ रही है। भाजपा को यह भनक है।

भांडेर : नरोत्तम मिश्रा के मंत्र से भाजपा में उत्साह, फिर भी कांग्रेस के बरैया मजबूत
भाजपा की रक्षा सिरोनिया की मुश्किलें बढ़ती देख मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पूरी ताकत झोंक दी है। चुनावी मंत्र देने के साथ यादव वोट साधने की कोशिश की है। हालांकि, जातिगत समीकरणों के कारण कांग्रेस के फूलसिंह बरैया अब भी सेफ जोन में हैं। मुस्लिम और दलित वोट साध चुके हैं।

पोहरी: वोट मैनेजमेंट से भाजपा के धाकड़ मजबूत, हरिवल्लभ की मुश्किल बढ़ी
जातिगत के साथ समाज के वोटों को साधने में भाजपा के सुरेश धाकड़ सफल होते दिख रहे हैं। कांग्रेस के हरिवल्लभ शुक्ला इस मामले में बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं। धाकड़ वोटों के एकजुट होने भाजपा की राह आसान हो गई, इसका सूत्रधार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को माना जा रहा है।

अशोकनगर: जातिगत फैक्टर उठने से दोहरे को झटका, अब कड़ा मुकाबला
यहां भी जातिगत फैक्टर अब चुनावी रंग लेने लगा है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जजपाल सिंह जज्जी इसे भुनाने में लगे हुए हैं। उनकी जाति को लेकर विवाद हुआ था। अनुसूचित जाति की सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आशा दोहरे हैं जो जैन परिवार की बहू हैं। भाजपा के भीतरघात को जज्जी संभाल पाए तो राह आसान हो जाएगी। यहां कड़ा मुकाबला है।

ग्वालियर पूर्व: भाजपा के मुन्ना को कांग्रेस के सिकरवार की कड़ी टक्कर
कांग्रेस से भाजपा में आए मुन्नालाल गोयल को लेकर व्यापारी वर्ग में नाराजगी है। इससे उलट सिकरवार व्यक्तिगत छवि के मामले में उनसे बेहतर स्थिति में हैं। भाजपा ने भी यहां कोई कसर नहीं छोड़ी है। यहां मुकाबला कांटे का हो गया।

बमोरी: जातिगत फैक्टर और विरोधियों को साधने से भाजपा मजबूत
मंत्री महेंद्रसिंह सिसौदिया की स्थिति बेहतर होती जा रही है। जातिगत फैक्टर के साथ सिसौदिया ने समय रहते विरोधियों को मना लिया है। कांग्रेस प्रत्याशी केएल अग्रवाल को मुश्किल आ रही है। अग्रवाल भाजपा से कांग्रेस में आए थे लेकिन वे इस मैनेजमेंट में सिसौदिया से पिछड़ गए।

चंबल- 7 सीटें

सुमावली: सिकरवार वोटर्स को साधने में चूक रहे कंसाना, कुशवाह की राह आसान
कुशवाह, गुर्जर और सिकरवार वोटों के बहुल वाली सीट पर समीकरण तेजी से बदले हैं। भाजपा ने गुर्जर उम्मीदवार उतारा है। ऐसे में अब सिकरवार वोटों का रुझान कांग्रेस तरफ जा सकता है। इसी बात ने भाजपा प्रत्याशी एंदल सिंह कंसाना की मुश्किल बढ़ा दी है। थोकबंद वोट कांग्रेस उम्मीदवार अजबसिंह कुशवाह की राह आसान बना सकते हैं।

दिमनी: शिवराज, उमा और तोमर भी नहीं बदल पाए हवा, कांग्रेस ही भारी
जातिगत समीकरणों के कारण यहां चुनाव के आखिरी दौर में भी हवा कांग्रेस के तरफ जा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती, नरेंद्र तोमर तक साथ सभाएं कर चुके हैं, लेकिन माहौल बदलने में कामयाब नहीं हो सके। भाजपा के प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया के लिए ठाकुर वोटबैंक सबसे बड़ी चुनौती शुरू से ही बने हुए हैं। कांग्रेस को ठाकुर और दलित वोट दोनों ही मिल सकते हैं।

मुरैना: भाजपा के व्यापारिक समीकरण से कांग्रेस को फायदा, फाइट में बसपा
यहां बसपा उम्मीदवार रामप्रकाश राजौरिया की मजबूती सामने आने के बाद भाजपा ने रणनीति बदल दी। पारंपरिक वोटबैंक व्यापारी वर्ग को भाजपा ने साधने की कोशिश तेज कर दी है। हालांकि इसका वोट बंटने पर कांग्रेस के प्रत्याशी राकेश मावई को इसका फायदा मिल सकता है। कड़ा मुकाबला है।

जौरा: दाे बार के विधायक बिगाड़ रहे कांग्रेस के पंकज का खेल, भाजपा मजबूत
नए चेहरे पंकज उपाध्याय को उतारकर फायदा उठाना चाह रही कांग्रेस अब फंस गई है। दो बार के विधायक सोनेराम कुशवाह बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे कांग्रेस का जातिगत वोट बंट सकता है। मुख्यमंत्री की अपील के बाद भाजपा प्रत्याशी सूबेदार को धाकड़ समाज की पंचायतों का फैसला पक्ष में आ सकता है। इससे भाजपा की राह आसान हो गई है। सीट पूर्व विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन से खाली हुई थी।

गोहद: 84 गांवों को साधने में कांग्रेस के मेवाराम आगे, भाजपा के रणवीर शहरी वोटर्स के भरोसे
यहां सीधे-सीधे लड़ाई शहरी और ग्रामीण वोटों पर बंटती दिखाई दे रही है। गोहद, मोह जैसे शहरी इलाकों के दम भाजपा मजबूत है तो ठाकुर बहुल 84 गांवों को साधने में पूर्व मंत्री गोविंदसिंह भारी पड़ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में वोटिंग ज्यादा हुई तो कांग्रेस के मेवाराम जाटव को फायदा होगा। माना जा रहा है कि उपचुनाव में शहरी वोटर कम जाता है।

मेहगांव: बघेल वोटों ने कांग्रेस के हेमंत को बनाया मजबूत, अब भाजपा पिछड़ी
यहां देरी से टिकट मिलने के बावजूद हेमंत कटारे ने भाजपा को जातिगत समीकरण के दम मुश्किल में डाल दिया है। पिछले दो दिन में बघेल वोटों के कांग्रेस तरफ रुझान दिखने के चलते भाजपा पिछड़ सकती है। ठाकुर, ब्राह्मण वोट वैसे ही निर्णायक हैं। ऐसे में भाजपा के ओपीएस भदौरिया वोटों के जातिगत विभाजन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

अंबाह: शिवराज के दांव ने केंद्रीय मंत्री को जनसंपर्क पर उतारा, भाजपा मुकाबले में लौटी
भाजपा के कमलेश जाटव पिछड़ गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के एक कूटनीतिक दांव ने वापस मुकाबले में ला दिया। सीएम ने मंच से कह दिया था कि प्रधानमंत्री के बगल में बैठने वाले नरेंद्रसिंह तोमर की प्रतिष्ठा का क्या होगा, जब यहीं से हार जाएंगे..। तब से केंद्रीय मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर गांव-गांव जा रहे हैं। हालांकि, बसपा से आए कांग्रेस उम्मीदवार को सत्यप्रकाश सखवार को जातिगत वोटों पर भरोसा है, लेकिन निर्दलीय अभिनव छारी के कारण मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

मालवा-5 सीटें

सांवेर: शिवराज-सिंधिया की ताबड़तोड़ सभाओं से भाजपा मजबूत हुई
प्रदेश की सबसे हॉट सीट पर भाजपा ने छोटे से लेकर बड़े नेता झोंक दिए हैं। शिवराज-सिंधिया की लगातार सभाओं ने यहां तुलसी सिलावट के पक्ष में माहौल बना दिया है। इंदौर से सटे क्षेत्र में महेंद्र हार्डिया, कैलाश विजयवर्गीय, आकाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, शंकर लालवानी लगातार लोगों से मिल रहे हैं। हर घर नल- हर घर जल और सांवेर तक मेट्रो लाने का वादा लेकर भाजपा अधिकतम लोगों तक पहुंच रही है। कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू, विधायक जीतू पटवारी के साथ पसीना बहाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

बदनावर : ‘रिकॉर्ड तोड़ने’ की चर्चा से दत्तीगांव खेमा टेंशन में, मुकाबला कड़ा हुआ
भाजपा सरकार के मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के लिए कुछ महीने पहले हुई तलवारबाजी की घटना मुश्किल बन सकती है। संघ समर्थकों से जुड़ा मामला होने से चर्चा है कि जिस तरह से पहले भी विश्रामगृह में बैठकर केस लगवाए गए थे, यह बदला लेने का वक्त है। भले ‘50 साल का रिकॉर्ड’ तोड़ना पड़े, तो भी करेंगे। इस फैक्टर ने कांग्रेस के कमल पटेल को बराबरी पर ला दिया है। मौके की नजाकत देख राजवर्धन खुद व्यक्तिगत संपर्क कर वोटर्स को साधने में जुटे हैं क्योंकि संघ और भाजपा के कुछ नेता राजवर्धन से नाराज हैं।

आगर: हार के बावजूद इलाके में बने रहने से विपिन को लाभ, ऊंटवाल पिछड़े
भाजपा के गढ़ में मनोहर ऊंटवाल के बेटे मनोज परंपरागत वोटों के भरोसे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े को इलाके में बने रहने का फायदा मिल रहा है। कमलनाथ सरकार गिरने के दो महीने पहले विधायक मनोहर ऊंटवाल का निधन हुआ था, उसके बाद फरवरी, मार्च में कांग्रेस प्रत्याशी विपिन ने इलाके में अघोषित विधायक की तरह सक्रियता रखी, चुनाव हारने के बाद भी वे बने रहे थे।

हाटपिपल्या: गायत्री राजे की टीम मनोज के लिए जुटी, कांग्रेस प्रत्याशी पिछड़े
कांग्रेस प्रत्याशी राजवीरसिंह बघेल के पक्ष में माहौल बनाने के लिए शनिवार को कमलनाथ ने बरोठा में रैली की। सज्जनसिंह वर्मा ने रैली को कामयाब बनाने के लिए पूरी ताकत लगाई। बावजूद इसके बघेल, भाजपा प्रत्याशी मनोज चौधरी से पिछड़ गए हैं। देवास विधायक गायत्री राजे और उनके बेटे विक्रम पवार गांव-गांव जाकर मनोज के समर्थन में काम कर रहे हैं।

सुवासरा : पाटीदार वोटर्स ने बदला समीकरण, डंग फिर भी मजबूत
पाटीदार वोटर्स का रूख भाजपा के उम्मीदवार हरदीप सिंह डंग की राह मुश्किल बना रहा है। कृषि कानून के नए प्रावधान का मुद्दा कांग्रेस उठा रही है क्योंकि किसान आंदोलन का सबसे बड़ा असर यहीं था। कांग्रेस ने उससे जुड़े राकेश पाटीदार को उतारा है। पहले वे प्रचार में पिछड़ गए, लेकिन पाटीदार वोटर्स बड़ा फैक्टर बन रहा है। हालांकि, जमीनी पकड़ के कारण बीजेपी के डंग अब भी मजबूत हैं।

निमाड़- 2 सीटें

मांधाता: कांग्रेस के उत्तम पाल मजबूत, निर्दलीय प्रत्याशी के उतरने से भाजपा को नुकसान
भाजपा संगठन ने अपने प्रत्याशी नारायण पटेल के लिए पूरी ताकत लगा दी है। मुख्यमंत्री चार सभाएं कर चुके हैं लेकिन फिर भी हालात में ज्यादा अंतर नहीं आया। अब भी पुराने कांग्रेसी राजनारायण के बेटे उत्तम पाल सिंह की स्थिति मजबूत बनी हुई है। आदिवासी समाज के एक प्रत्याशी के मैदान में उतरने से भाजपा के स्थायी वोटर भिलाला भी उनके हाथ से निकलते नजर आ रहे हैं। हालांकि, समीकरण बदलने के लिए भाजपा ने अपने छोटे से लेकर बड़े नेता को मांधाता क्षेत्र में लगा दिया है।

नेपानगर: भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी, फिर भी कांग्रेस प्रत्याशी मजबूत
कांग्रेस की मजबूत स्थिति देख भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाई जा रही है। यह बात अलग है कि दो दिन पहले जो कार्यकर्ता भाजपा में आए थे, वह नाटकीय तरीके से वापस लौट गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने नेपानगर को छोड़ चार सभाएं कर लीं। वे नेपानगर आएंगे भी नहीं, क्योंकि यहां के लिए किए गए पुराने वादे पूरे नहीं हुए हैं। यहां भाजपा से सुमित्रा कास्डेकर और कांग्रेस से रामकिशन पटेल मैदान में हैं।

भोपाल- 2 सीटें

सांची: शिवराजसिंह की चेतावनी के बाद न्यूट्रल नेता भी हुए सक्रिय, प्रभुराम मजबूत
मुख्यमंत्री ने सांची सीट की एक सभा में यह कहकर चौंका दिया कि किसी से डरने की जरूरत नहीं। इशारा शेजवार गुट की तरफ था। चेतावनी के बाद नेताओं ने पाला छोड़ा है। कांग्रेस के मदन चौधरी को यह बात संकट में डाल रही है।

ब्यावरा: भाजपा के पवार मजबूत, बूथ मैनेजमेंट नहीं कर पा रहे कांग्रेस के दांगी
भाजपा प्रत्याशी नारायण पवार बूथ मैनेजमेंट के मामले में पहले से ही मजबूत थे। इसका फायदा उन्हें मिल रहा है। रामचंद्र दांगी सहित पूरी कांग्रेस चुनाव के आखिरी मौके तक इसमें पिछड़ गई है। हालांकि, कुछ स्थानीय मुद्दों को उठाने में कांग्रेस प्रत्याशी रामचंद्र मुकाबले में आने की कोशिश कर रहे हैं।

बुंदेलखंड- 2 सीटें

सुरखी: कांग्रेस के बाहरी कार्यकर्ताओं के लौटते ही भाजपा और मजबूत
कांग्रेस प्रत्याशी पारूल साहू को कार्यकर्ताओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। माहौल बनाने के लिए बड़ी संख्या में बाहर से कार्यकर्ता बुलाए गए थे, जिनके लौटते ही भाजपा प्रत्याशी गोविंद राजपूत और मजबूत दिखने लगे हैं। हालांकि, राजपूत से भी कुछ लोग नाराज हैं, लेकिन भूपेंद्रसिंह ने मजबूती से पार्टी की कमान संभाली हुई है।

मलहरा: भाजपा प्रत्याशी कोविड के चलते अस्पताल में, कांग्रेस की साध्वी बेहतर स्थिति में
भाजपा के प्रद्युम्न सिंह लोधी को कोरोना हो गया। उन्हें भोपाल में भर्ती किया गया है। उनसे लोधी समाज के लोग पहले ही नाराज दिख रहे हैं। कांग्रेस की साध्वी रामसिया भारती यहां भारी नजर आ रही हैं।

महाकौशल- 1 सीट

अनूपपुर: मंत्री फैक्टर के कारण बिसाहूलाल को फायदा
मंत्री बिसाहूलाल साहू यहां मजबूत हैं। उसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनका मंत्री होना है। लोगों के मन में यह बात बैठा दी गई है कि जीतेंगे तो उनका मंत्री बनना तय ही है। कोल समुदाय से जुड़े एक भाजपा नेता की नाराजगी मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले दूर कर दी है। कांग्रेस से यहां विश्वनाथ मैदान में हैं।

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