up panchayat election 2021: UP Panchayat Chunav News: Panchayat chunav me bade dalon ka khel kharab kar sakate hain chhote dal, partiyon me machi khalbali, UP Panchayat Chunav News: पंचायत चुनाव में बड़े दलों का खेल खराब कर सकते हैं छोटे दल, पार्टियों में मची खलबली
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को आम विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मान रहे प्रमुख राजनीतिक दलों को छोटे दलों से चुनौती मिलती दिख रही है। जातीय और स्थानीय मुद्दों को लेकर मैदान में उतर रहे छोटे दलों ने बड़ी पार्टियों में खलबली मचा रखी है। उन्हें लगता है कि छोटे दल कहीं उनका खेल न खराब कर दें। सभी राजनीतिक दलों को पता है कि पंचायत चुनाव का प्रदर्शन उनके आगे के राजनीतिक भविष्य का ताना-बाना तैयार करेगा।
सभी दलों को लगता है कि ज्यादा से ज्यादा पंचायत प्रमुख जीतकर अपनी पार्टी की धमक को और गुंजायमान किया जाए। कुछ दलों ने अपने उम्मीदवार भी उतारने शुरू कर दिए हैं। प्रमुख सत्तारूढ़ दल बीजेपी तो पंचायत चुनाव को लेकर आर-पार के मूड में दिख रही है। कांग्रेस, एसपी, बीएसपी को सरकार के विरोधी माहौल का लाभ लेने के प्रयास में है। उधर स्थानीय और छोटे दल राष्ट्रीय लोकदल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी, आजाद समाज पार्टी, एआईएमआईएम, प्रगतिशील समाज पार्टी, पीस पार्टी भी चुनाव मैदान में उतर कर अपनी ताकत को देखना चाहती है।
ओमप्रकाश राजभर ने 10 छोटे दलों से किया गठबंधन
इसी कारण सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने पंचायत चुनाव में 10 छोटे दलों से गठबंधन कर एक भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है। जो कि पंचायत चुनाव में मजबूती के साथ मैदान में उतर रहा है। मोर्चे के पदाधिकारी ने बताया कि मोर्चा के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे का फामूर्ला तय करने के साथ ही प्रत्याशियों की सूची तैयार की जा रही है। यह लोग पूर्वांचल और मध्य यूपी में अपनी ताकत दिखाएंगे।
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सुभासपा ने बनाया भागीदारी संकल्प मोर्चा
मोर्चा में सीटों के बंटवारे का फामूर्ला यह है कि जिस दल का जो नेता लंबे समय से क्षेत्र में चुनाव की तैयारी कर रहा है और जातीय समीकरण उसके पक्ष में है, वही मैदान में उतरेगा। सुभासपा पार्टी के महासचिव अरुण राजभर कहते हैं कि भागीदारी संकल्प मोर्चा पंचायत चुनाव में बहुत मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी। यह चुनाव स्थानीय कार्यकर्ताओं के हवाले है। हमारा मोर्चा करीब 60 प्रतिशत चुनाव जीतेगा। हमारा जतिगत समीकरण, पिछड़ा, मुस्लिम है। एक वार्ड में 10 हजार वोटों का टारगेट है। यह अगर वोटों में परिवर्तित हो गया तो कोई दल हमारे सामने नहीं टिक सकेगा।
दमखम के साथ लड़ेगी आरएलडी
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने बताया कि हमारी पार्टी भी पूरे दम से पंचायत चुनाव लड़ेगी। जिन जगहों पर रालोद के उम्मीदवार नहीं होंगे, वहां पर एसपी को समर्थन किया जाएगा। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेशक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि पंचायत चुनाव में पहली बार राजनीतिक दल खुलकर सामने आ रहे हैं। अपने प्रत्याषी घोषित करेंगे। अमूमन पहले यहां पर पार्टियां प्रत्याशी नहीं उतारते थे। यह बहुत माइक्रो लेवल का चुनाव होता है।
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बीजेपी, एसपी, बीएसपी, कांग्रेस उतार रहे प्रत्याशी
पंचायत चुनाव में व्यक्ति की अपनी पकड़ और जाति बहुत प्रभावी होती है। इसमें अभी तक पार्टियां गौण होती थी। क्योंकि वह सामने से चुनाव नहीं लड़ती थी। लेकिन अब जब बीजेपी, एसपी, बीएसपी, कांग्रेस अपने प्रत्याशी उतार रहे हैं तो उनकी साख दांव पर रहेगी। क्योंकि 10 माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर परिणाम किसी भी पार्टी के अनूकूल नहीं होगा तो साख को प्रभावित करेगा। रणनीति बदलने पर मजबूर कर देगा।
छोटे दलों के लिए टेस्टिंग ग्राउंड है पंचायत चुनाव
पंचायत चुनाव छोटे दलों के लिए टेस्टिंग ग्राउंड है। अगर छोटे दलों को इस चुनाव में सफलता मिलती है तो विधानसभा में इसका असर देखने को मिलेगा। अगर पंचायत चुनाव में ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी की पार्टी को सफलता मिलती है तो निश्चित रूप से यह लोग विधानसभा चुनाव में 8-10 सीट को प्रभावित कर सकते हैं।
इस बार पंचायत चुनाव में सियासी पार्टियां भी उतरीं