90% of the families associated with 1,522 schools in 26 cities, take care of health, they want to send children to school | 26 शहरों में 1,522 स्कूलों से जुड़े 90% परिजन बाेले- सेहत का ख्याल रखें तो वे बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं

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बेंगलुरु38 मिनट पहले

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90% से अधिक टीचर्स ने महसूस किया कि ऑनलाइन तरीके से बच्चाें के सीखने का अर्थपूर्ण मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।

  • अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने 26 शहराें में ‘ऑनलाइन पढ़ाई के मिथक’ विषय पर किया सर्वे
  • अधिकतर माता-पिता और टीचर्स ने ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई को अपर्याप्त और अप्रभावी बताया

देश के पांच राज्यों में 26 शहरों के 1,522 स्कूलों में हुए एक सर्वे में 90 प्रतिशत पैरेंट्स ने कहा कि स्कूल खुलते हैं और बच्चों की सेहत का ख्याल रखा जाता है ताे वे बच्चों काे स्कूल भेजना चाहते हैं। वहीं अधिकतर माता-पिता और टीचर्स ने कहा है कि ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई अपर्याप्त और अप्रभावी है। ‘ऑनलाइन पढ़ाई के मिथक’ विषय पर यह सर्वे बेंगलुरु की अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने किया है।

इसके नतीजे सेामवार काे जारी किए गए। सर्वे का उद्देश्य बच्चाें और टीचर्स का ऑनलाइन पढ़ाई काे लेकर अनुभव समझना था। यूनिवर्सिटी के मुताबिक, अधिकांश माता-पिता स्वास्थ्य सुरक्षा के आवश्यक उपायों के साथ बच्चाें काे स्कूल भेजना चाहते हैं। उन्हें नहीं लगता कि स्कूल भेजने से बच्चाें के स्वास्थ्य पर काेई विपरीत असर पड़ेगा।

जिन स्कूलाें में यह सर्वे किया गया, उनमें 80 हजार से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। यूनिवर्सिटी के कुलपति अनुराग बेहार के मुताबिक, ऑनलाइन शिक्षा इंटरनेट या ऑनलाइन संसाधनों के कारण नहीं बल्कि शिक्षा की बुनियादी प्रकृति के कारण अप्रभावी है। शिक्षा के लिए शारीरिक मौजूदगी, एकाग्रता, विचार और भावनाओं की जरूरत हाेती है।

इसी से सीखने का उद्देश्य पूरा हाेता है। स्कूल में बच्चाें और टीचर के बीच जुबानी और सांकेतिक पारस्परिक क्रिया हाेती है। सर्वे में 54% टीचर्स ने माना कि ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाने के लिए वे तैयार नहीं हैं। 80% से अधिक टीचर्स ने यह भी माना कि ऑनलाइन तरीके में बच्चाें से भावनात्मक जुड़ाव असंभव हाेता है।
राज्य सरकाराें ने भी नहीं की व्यवस्था
सर्वे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, कर्नाटक और उत्तराखंड में किया गया है। पहले तीन प्रदेशाें में सरकाराें ने ऑनलाइन कक्षा की व्यवस्था की, पर बाद के दाे राज्याें में सरकाराें ने इसकी काेई व्यवस्था नहीं की है।

टीचर्स बोले- ऑनलाइन तरीके से बच्चों का अर्थपूर्ण मूल्यांकन नहीं हो पाता

  • 90% से अधिक टीचर्स ने महसूस किया कि ऑनलाइन तरीके से बच्चाें के सीखने का अर्थपूर्ण मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।
  • 70% पैरेंट्स ने कहा कि ऑनलाइन कक्षा बच्चाें के सीखने के लिए प्रभावी नहीं है।
  • 60% से अधिक बच्चाें की ऑनलाइन कक्षा तक पहुंच नहीं है। इसमें सिर्फ पढ़ाई के लिए स्मार्टफाेन न होना ऑर लर्निंग एप के उपयाेग में मुश्किल आना शामिल है।

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