Mamata Banerjee Live Update | Narendra Modi, PM Modi, Mamata Banerjee, Cyclone Yaas, Narendra Modi Vs Mamata Banerjee | ममता बनर्जी ने कहा- PM मोदी को 30 मिनट वेट कराने का आरोप गलत, उल्टा मुझे ही काफी इंतजार के बाद उनसे मिलने की अनुमति मिली
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कोलकाता15 मिनट पहलेलेखक: प्रभाकर मणि तिवारी
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चक्रवर्ती तूफान यास से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने मेदिनीपुर के कलाईकुंडा एयरबेस पर समीक्षा बैठक बुलाई थी, लेकिन अव्वल तो ममता वहां आधे घंटे देरी से पहुंची और ऊपर से बैठक में हिस्सा लेने की बजाय उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उनको नुकसान पर सरकार की रिपोर्ट सौंपी और उनकी अनुमति लेकर वहां से निकल गईं।
इस पर शनिवार को ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ATC ने प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर उतरने की वजह से मुझे 20 मिनट की देरी से सागर द्वीप से कलाईकुंडा के लिए रवाना होने को कहा था। उसके बाद कलाईकुंडा में भी करीब 15 मिनट बाद हेलीकॉप्टर उतरने की अनुमति मिली। तब तक प्रधानमंत्री पहुंच गए थे। मैंने वहां जाकर उसे मुलाकात की अनुमति मांगी, लेकिन काफी इंतजार के बाद मुझे उनसे मिलने दिया गया।
ममता की प्रेस कॉन्फ्रेंस की 3 अहम बातें
1. विपक्ष के नेता को मीटिंग में बुलाने का क्या औचित्य
पहले समीक्षा बैठक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच होनी थी। इसके लिए मैंने अपने दौरे में कटौती की और कलाईकुंडा जाने का कार्यक्रम बनाया। बाद में बैठक में आमंत्रित लोगों की संशोधित सूची में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और विपक्ष के नेता का नाम भी शामिल किया गया। इसलिए मैंने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। आखिर गुजरात और ओडिशा में तो ऐसी बैठकों में विपक्ष के नेता को नहीं बुलाया गया था।
2. मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही
शाम को प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दफ्तर से मुझे बदनाम करने के अभियान के तहत लगातार खबरें और बयान जारी किए गए। उसके बाद राज्य सरकार से सलाह-मशविरा किए बिना मुख्य सचिव को अचानक दिल्ली बुला लिया गया। प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार हमेशा टकराव के मूड में रही है। चुनावी नतीजों के बाद भी राज्यपाल और दूसरे नेता लगातार आक्रामक मूड में हैं। दरअसल भाजपा अपनी हार नहीं पचा पा रही है। इसलिए बदले की राजनीति के तहत यह सब कर रही है।
3. राज्य सरकार को अशांत करने का आरोप लगाया
मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाकर केंद्र सरकार तूफान राहत और कोविड के खिलाफ लड़ाई में सरकार को अशांत करना चाहती है। आखिर केंद्र को बंगाल से इतनी नाराजगी क्यों है? अगर मुझसे कोई नाराजगी है तो बंगाल के लोगों के हित में मैं प्रधानमंत्री का पांव पकड़ कर माफी मांगने के लिए तैयार हूं। केंद्र सरकार यह गंदा खेल मत खेले।
ममता ने केंद्र से मुख्य सचिव को प्रतिनियुक्ति पर बुलाने का आदेश रद्द करने की अपील की। उन्होंने कहा कि केंद्र मुख्य सचिव को राजनीतिक बदले का शिकार न बनाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चक्रवात प्रभावित ओडिशा और पश्चिम बंगाल का दौरा किया था। इस दौरान नवीन पटनायक तो मीटिंग में शामिल हुए थे, लेकिन ममता बनर्जी नहीं आईं थीं।
किसी अधिकारी ने PM की अगवानी नहीं की थी
इससे पहले बीते दिन प्रधानमंत्री के बंगाल पहुंचने पर ममता या राज्य सरकार का कोई अधिकारी उनकी अगवानी के लिए मौके पर मौजूद नहीं था। उसके बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तो लगातार तेज हो ही रहे हैं। शुक्रवार रात को मुख्य सचिव आलापान बनर्जी को भी प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली पहुंचने का निर्देश दे दिया गया। इससे एक बार फिर केंद्र और राज्य के बीच टकराव का अंदेशा है।
ममता की दलील
आखिर ममता प्रधानमंत्री से मुलाकात करने करीब आधे घंटे की देरी से क्यों पहुंची और उन्होंने बैठक में हिस्सा क्यों नहीं लिया? ममता की दलील है कि उनको बैठक के बारे में समुचित तरीके से सूचना नहीं दी गई थी। जहां तक बैठक में हिस्सा नहीं लेने का सवाल है, ममता की दलील है कि उनके दौरे और प्रशासनिक बैठकें पहले से तय थीं, जबकि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम देरी से बना। इसलिए वे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंपने के बाद उनसे अनुमति लेकर दीघा रवाना हो गईं।
शुभेंदु की मौजूदगी से ममता नाराज
दरअसल, यह मामला उतना सीधा नहीं है जितना नजर आता है। एक दिन पहले तक ममता का मोदी के साथ बैठक में हिस्सा लेना तय था। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि किसी भी ऐसी समीक्षा बैठक में विपक्ष के नेता को बुलाने की परंपरा नहीं है। लेकिन केंद्र ने ममता को नीचा दिखाने के लिए ही उनके कट्टर दुश्मन बन चुके विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को बैठक में बुलाया। ममता ने उसी समय प्रधानमंत्री दफ्तर को सूचित कर दिया था कि वे बैठक में नहीं रह सकेंगी।
गृह मंत्री के ट्वीट के बाद मुख्य सचिव पर कार्रवाई
ममता के इस रवैए पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उनकी आलोचना करते हुए उन पर प्रधानमंत्री के अपमान का आरोप लगाया। शुक्रवार शाम को अमित शाह के ट्वीट के कुछ देर बाद ही केंद्र सरकार ने राज्य के मुख्य सचिव आलापन बनर्जी को प्रतिनियुक्ति पर 31 मई को दिल्ली पहुंचने का फरमान जारी कर दिया। अभी इसी सप्ताह उनको तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था।
केंद्र के फैसले से TMC खुश नहीं
मुख्यमंत्री बनर्जी ने इस मामले पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि ममता इस फैसले से काफी नाराज हैं। मुख्य सचिव राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रमुख तो थे ही, राज्य में कोविड प्रबंधन का काम भी संभाल रहे थे। इसी वजह से मुख्यमंत्री ने उनको सेवा विस्तार देने की सिफारिश की थी। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से की गई कार्रवाई करार दिया है। घोष कहते हैं कि भाजपा बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी हार नहीं पचा पा रही है। इसलिए वह ममता बनर्जी सरकार को परेशान करने की हरसंभव कोशिश कर रही है।
तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर राय सवाल करते हैं कि क्या आजाद भारत के इतिहास में पहले कभी किसी राज्य के मुख्य सचिव को जबरन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाया गया है? महज इसलिए कि बंगाल के लोगों ने चुनाव में मोदी-शाह की जोड़ी को झटका देते हुए ममता को चुना।
ममता के लिए इसे रोकना मुश्किल
लाख टके का सवाल यह है कि क्या ममता अपने मुख्य सचिव को दिल्ली जाने की इजाजत देंगी? ममता के रवैए से तो इसकी उम्मीद कम ही है। कानून विशेषज्ञों का कहना है कि कानूनन केंद्र का फैसला राज्य सरकार और संबंधित अधिकारी के लिए बाध्यतामूलक है, लेकिन यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि बीते साल भी केंद्र ने जब तीन आईपीएस अधिकारियों को जबरन प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था, तो ममता उस फैसले के खिलाफ अड़ गई थीं और उनको छोड़ने से इंकार कर दिया था। हालांकि, बाद में वह मामला ठंडा पड़ गया था। इस बार ममता के लिए इसे रोकना मुश्किल है।
मुद्दे पर कानूनी सलाह ली जा रही
ममता के करीबी एक तृणमूल नेता ने बताया कि ममता फिलहाल इस मुद्दे पर कानूनी सलाह ले रही हैं। इस फैसले को अदालत में चुनौती भी दी जा सकती है। उस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल में जब गुजरात में ऐसी ही समीक्षा बैठक की थी, तो उसमें विपक्ष के नेता को नहीं बुलाया गया था। फिर बंगाल में ऐसा क्यों किया गया? ऐसी सरकारी बैठक में विपक्ष के नेता की क्या भूमिका है? तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि ममता को नीचा दिखाने के लिए ही जान-बूझ कर शुभेंदु को बैठक में बुलाया गया था।
केंद्र से किसी सहायता की उम्मीद नहीं : ममता
क्या केंद्र और राज्य के इस तनातनी से तूफान प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों का इंतजार कर रहे लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी। राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस ऐसा नहीं मानती। ममता ने शुक्रवार को ही कहा था कि उनको केंद्र से किसी सहायता की उम्मीद नहीं है। राज्य सरकार ने राहत कार्य के लिए एक हजार करोड़ जारी किए हैं। जरूरत पड़ने पर और रकम जारी की जाएगी।